छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 04 जुलाई 2023। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार यानी आज शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वर्चुअल शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे। इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सहित अन्य सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। एससीओ के सम्मेलन को पीएम मोदी ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में वैश्विक स्थिति एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर है। विवादों, तनावों और महामारी से घिरे विश्व में फर्टिलाइजर और ईंधन का मुहैया होना सभी देशों के लिए बड़ी चुनौती है। हमें यह फैसला करना होगा कि क्या हम अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने और चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं। क्या एससीओ ऐसा संगठन है जो आगे के बदलावों के हिसाब से बदल रहा है। एससीओ में भाषा संबंधी परेशानियों को हटाने के लिए हम अपने प्लेटफॉर्म को सबके साथ साझा करने में रुचि रखते हैं। आगे के सुधारों को लागू करने में एससीओ बड़ा प्लेटफॉर्म बन सकता है।
ईरान भी एससीओ की बैठक में हुआ शामिल
पीएम मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि ईरान आज एससीओ की बैठक में शामिल है। साथ ही हम बेलारूस को एससीओ में शामिल करने के लिए मेमोंरेंडम में हस्ताक्षर का स्वागत करते हैं। यह आवश्यक है कि एससीओ का फुल फोकस मध्य एशिया के देशों के हितों और आकांक्षाओं पर केंद्रित रहे।
चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई जरूरी
उन्होंने आगे कहा कि आतंकवाद क्षेत्रीय कार्यों के लिए खतरा बना हुआ है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई जरूरी है। हमें किसी भी अभिव्यक्ति में इसके खिलाफ लड़ाई करनी होगी। कुछ देश इसे क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म के लिए इसे नीति के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं। आतंकवाद के समर्थकों के लिए दोहरे मापदंड नहीं रखने चाहिए। आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है। इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है। आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई करनी होगी।
SCO में सहयोग के लिए पांच नए स्तंभ
पीएम मोदी ने संबोधन में कहा कि भारत ने SCO में सहयोग के लिए पांच नए स्तंभ बनाए हैं। ये पांच स्तंभ स्टार्टअप और इनोवेशन, पारंपरिक औषधि, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन और साझा बौद्ध विरासत है।
भारत के बताए दो सिद्धांत
उन्होंने कहा कि SCO के अध्यक्ष के रूप में भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नई ऊचाईयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। इन सभी प्रयासों को हमने दो सिद्धांतों पर आधारित किया है। पहला- ‘वसुधैव कुटुंबकम’ यानी पूरा विश्व एक परिवार है। ये सिद्धांत प्राचीन समय से हमारे सामाजिक आचरण का अभिन्न अंग रहा है और आधुनिक समय में ये हमारी प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। वहीं, दूसरा दूसरा- SECURE यानी सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और पर्यावरण संरक्षण।
अफगानिस्तान की जमीन को पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने में न की जाए प्रयोग
उन्होंने आगे कहा कि भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। पिछले दो दशकों में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योगदान दिया है। 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं। यह आवश्यक है कि अफगानिस्तान की भूमि पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने या उग्रवादी विचारधाराओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयोग न की जाए।
भारत कर रहा एससीओ की मेजबानी
गौरतलब है कि भारत एससीओ के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। भारत ने इस साल मई में गोवा में दो दिवसीय सम्मेलन में एससीओ के विदेश मंत्रियों की मेजबानी की थी। एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा गुट है और सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है।
कब हुई थी एससीओ की स्थापना?
एससीओ की स्थापना रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा 2001 में शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में की गई थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में स्थायी सदस्य बने। भारत को 2005 में एससीओ में एक पर्यवेक्षक बनाया गया था और आम तौर पर समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भाग लिया था, जो मुख्य रूप से यूरेशियन क्षेत्र में सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर केंद्रित था।