वैक्सीनेशन में इन विभागों से मिली बड़ी कामयाबी, भारत ने दुनियाभर में बजाया अपनी रिसर्च का डंका

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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर

नई दिल्ली 23 जनवरी 2023। मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत बनाने के अभियान में केंद्रीय विज्ञान-प्रौद्योगिकी मंत्रालय पूरी कोशिशों के साथ जुटा हुआ है। मंत्रालय के सहयोग से तैयार भारत की पहली इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन भी 26 जनवरी को लांच होने जा रही है। केंद्रीय विज्ञान-प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विश्व की पहली नाक से दी जानी वाली इस वैक्सीन में सबसे अहम रोल केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का है। मंत्रालय के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और इसके लोक उपक्रम, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाईरैक–बीआईआरएसी) ने भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) के साथ मिलकर विश्व का यह पहला इंट्रानेजल वैक्सीन तैयार करने में अपना योगदान दिया है।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और निगरानी में मिशन कोविड सुरक्षा ने भारत को न केवल आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में मजबूत किया है। बल्कि विश्वभर में देश की स्थिति को भी सुदृढ़ किया है। भारत लगातार विश्व में अपनी विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षमताओं की क्षमता का प्रदर्शन कर रहा है। यह हर भारतीय के लिए गौरव का क्षण है। मिशन कोविड सुरक्षा के अंतर्गत नई रिसर्च और शोध का वित्तीय खर्च जैव प्रौद्योगिकी विभाग और बीआईआरएसी उठा रहा है।

केंद्र सरकार दी मंजूरी, इस तरह काम करेगी वैक्सीन

दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार ने 23 दिसंबर 2022 को भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन को मंजूरी दी थी। यह वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर लग सकेगी। नेजल वैक्सीन शुरुआत में प्राइवेट अस्पतालों में लग सकेगी। इस वैक्सीन को सरकार ने भारत के कोविड 19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम में भी शामिल किया है। इससे पहले भारत के औषधि महानियंत्रक डीसीजीआई ने भारत बायोटेक की इंट्रा नेजल कोविड वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी। इस नेजल स्प्रे वैक्सीन को नाक के जरिए दी जाती है। यह नाक के अंदरूनी हिस्सों में इम्यून तैयार करती है। अंदरूनी हिस्सों में इम्यूनिटी तैयार होने से ऐसे बीमारियों को रोकने में ज्यादा असरदार साबित होती है, जो हवा के जरिए फैलती हैं। नेजल वैक्सीन के एक्सपर्ट का कहना है कि अन्य वैक्सीनों की तुलना में नेजल वैक्सीन बेहतर और कारगर साबित होगी। इसकी दो खुराक दी जाती हैं।

कौन लगवा सकते हैं वैक्सीन

ये वैक्सीन अभी 18 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों को ही लगाई जाएगी। 12 से 17 साल के बच्चों का भी वैक्सीनेशन चल रहा है, लेकिन वे इसे नहीं लगवा सकते। दूसरी बात ये कि इसे बूस्टर डोज के तौर पर लगाया जाएगा। यानी, जो लोग दो डोज लगवा चुके हैं, वही ये वैक्सीन लगवा सकते हैं। हालांकि, इसे प्राइमरी वैक्सीन की मंजूरी भी मिली है। यानी, अगर कोई भी वैक्सीन नहीं ली है, तो भी इसे लगवा सकते हैं। हालांकि, भारत में लगभग पूरी आबादी का वैक्सीनेशन हो चुका है। लेकिन अभी भी बहुत बड़ी आबादी ने बूस्टर डोज नहीं ली है। कोविन पोर्टल के मुताबिक, देश में 95.11 करोड़ से ज्यादा लोग दो डोज ले चुके हैं। लेकिन 22 करोड़ लोगों ने ही बूस्टर डोज लगवाई है।

नेजल वैक्सीन के इतना है दाम

नाक के जरिए दी जाने वाली भारत बायोटेक की इंट्रानेजल कोरोना वैक्सीन INCOVACC की कीमत तय कर दी गई है। भारत सरकार के अनुसार प्राइवेट अस्पतालों में इसकी एक डोज की कीमत 800 रुपये होगी। इसके अलावा पांच फीसदी जीएसटी भी देना होगा। रिपोर्ट के अनुसार निजी अस्पतालों को एक डोज के लिए 150 रुपये का एडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज लगाने की भी मंजूरी है। इस प्रकार इस वैक्सीन की एक खुराक की कीमत फिलहाल लगभग 1000 रुपये पड़ेगी। वहीं सरकारी अस्पतालों में इस वैक्सीन की कीमत 325 रुपये होगी।

बाकी वैक्सीन से कितनी अलग ये

भारत में अब तक जितनी वैक्सीन लगाई जा रही हैं, वे सभी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन हैं। इन्हें इंजेक्शन के जरिए बांह में लगाई जाती हैं। लेकिन भारत बायोटेक की ये नेजल वैक्सीन है। इसे नाक के जरिए दिया जाएगा। इसका मतलब ये नहीं कि इंजेक्शन नाक में लगाया जाएगा। बल्कि ड्रॉप की तरह इसे नाक में डाला जाएगा। नेजल वैक्सीन को मस्कुलर वैक्सीन से ज्यादा असरदार माना जाता है। इसकी वजह ये है कि जब इंजेक्शन के जरिए बांह में वैक्सीन लगाई जाती है, तो वो संक्रमण से फेफड़ों को बचाती है। लेकिन नेजल वैक्सीन नाक में दी जाती है और ये नाक में ही वायरस के खिलाफ इम्युनिटी बना देती है, जिससे वायरस शरीर के अंदर नहीं जा पाता। नेजल वैक्सीन की भी दो डोज दी जाती हैं। दोनों डोज में चार हफ्ते का अंतर होता है। हर डोज में 4-4 ड्रॉप नाक में डाली जाती है।

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