छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 17 जनवरी 2023। विदेश में खेलने की इच्छा जताने वाले भारत के ओपनर बल्लेबाज मुरली विजय का एक और बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने इस बार भारत के पूर्व विस्फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग को लेकर बयान दिया है। साथ ही कहा है कि टीम मैनेजमेंट ने जो समर्थन सहवाग को दिया, वह अगर उन्हें मिलता तो वह काफी कुछ कर सकते थे। 38 वर्षीय विजय ने भारत के लिए पिछला मैच 2018 में खेला था। इसके बाद से वह मौकों के लिए जूझते रहे हैं। विजय और सहवाग ने काफी समय तक भारतीय टेस्ट टीम में साथ ओपनिंग की थी। हालांकि, विजय ने अब उनके साथ किए गए बुरे व्यवहार के बारे में बात की है। उन्होंने खासकर टीम मैनेजमेंट से समर्थन न मिलने को लेकर बात कही है। विजय ने कहा कि अगर टीम मैनेजमेंट ने सहवाग की तरह उनका समर्थन किया होता तो वह भी कुछ नया करने की कोशिश कर सकते थे।
डब्ल्यूवी रमन के साथ एक शो में बातचीत के दौरान विजय ने कहा- ईमानदारी से कहूं तो मुझे जानबूझकर वीरेंद्र सहवाग जैसी आजादी नहीं मिली। सहवाग को अपने जीवन में जो भी मिला, मुझे नहीं मिला। अगर मुझे उस तरह का समर्थन मिलता तो मैं भी और अच्छा करने की कोशिश कर सकता था। सबसे ईमानदारी की बात यह है कि आपके पास टीम का समर्थन है और आप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टीम में कैसे योगदान दे सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट एक उच्च स्तरीय प्रतियोगिता है और आपके पास अलग-अलग तरीकों से प्रयोग करने के अधिक मौके नहीं हैं।
विजय ने सहवाग के साथ खेलने के अनुभव के बारे में भी बात की। विजय ने कहा कि सहवाग की बल्लेबाजी को देखकर उन्हें अपनी बैटिंग स्टाइल को नियंत्रित करने में मुश्किल हुई। विजय ने कहा- जब सहवाग मेरे साथ क्रीज पर होते थे, तो मुझे लगता था कि अपनी बैटिंग स्टाइल को नियंत्रित करना और खेलना कठिन है, लेकिन उन्हें इस तरह की आजादी से गुजरते हुए देखना शानदार था।
विजय ने कहा- केवल सहवाग ही ऐसा कर सकते थे। मुझे लगता है कि सहवाग की तरह कोई और नहीं खेल सकता। उन्होंने भारतीय क्रिकेट के लिए जो किया वह अद्भुत था। वह अलग तरह के बल्लेबाज हैं, जिन्हें मैंने अपनी आंखों से देखा है। मुझे उनके साथ बातचीत करने का सौभाग्य मिला। उनकी बैटिंग स्टाइल बहुत आसान थी। उन्होंने अपना मंत्र इतना सरल रखा- गेंद को देखें और हिट करें। वह उस मोड में रहते थे। 145-150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंक रहे गेंदबाजों के सामने गाना गा रहे होते थे। तब आप कुछ और अनुभव कर रहे होते हैं। यह सामान्य नहीं है।
‘बीसीसीआई अध्याय’ को समाप्त करने के बाद, विजय अब विदेशों में अवसर तलाश रहे हैं। दरअसल, विजय ने इसी शो में कहा था- बीसीसीआई के साथ मेरा नाता अब लगभग खत्म हो चुका है। मैं अब विदेशों में मौके तलाशना चाहता हूं। मैं अभी भी कॉम्पिटिटीव क्रिकेट खेलना चाहता हूं। भारत में यह धारणा है कि 30 साल का होते ही हमें अनदेखा किया जाता है। इसके बाद हमें 80 साल का बुजुर्ग समझ लिया जाता है। मैं किसी तरह के कंट्रोवर्सी में नहीं पड़ना चाहता। मीडिया को भी इसे अलग तरीके से देखना चाहिए। मुझे लगता है कि 30 साल की उम्र के बाद भी शीर्ष पर पहुंचा जा सकता है। मैं अभी भी उसी तरह बल्लेबाजी कर सकता हूं जैसा कि मैं करता था। लेकिन बदकिस्मती कहूं या खुशकिस्मती यहां मौके कम हैं। ऐसे में मुझे बाहर मौके तलाशने होंगे।