सरकार के इस दांव से मजबूत होंगी देश की सीमाएं, अब हर पर्यटक करेगा ‘बॉर्डर पेट्रोलिंग’

Chhattisgarh Reporter
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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर

नई दिल्ली 19 दिसंबर 2022। प्रधानमंत्री मोदी के ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ से सीमावर्ती गांव की सुविधाएं तो बढ़ ही रही हैं, साथ ही इस कार्यक्रम से नॉर्थ-ईस्ट से लेकर उत्तर और उत्तर-पश्चिम की सीमा से सटे इलाकों की सुरक्षा भी बढ़ रही है। दरअसल ऐसा वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत संभव हो पा रहा है। योजना के मुताबिक अगले कुछ समय में सीमावर्ती सभी गांवों को बेहतर सुविधाओं से जोड़ दिया जाएगा, बल्कि इन गांव में पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए गृह मंत्रालय की बनाई गई कमेटी ने ऐसे गांव की लिस्ट भी तैयार कर ली है। विशेषज्ञों का कहना है कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के माध्यम से देश की सीमाओं से जुड़े हुए गांवों और वहां बढ़ने वाले पर्यटन से बॉर्डर की सुरक्षा (Border Security) न सिर्फ और मजबूत होगी बल्कि वहां पर हर वक्त हर महीने टूरिस्ट की आमद से जीवंतता भी बनी रहेगी।

आवासीय और पर्यटन केंद्रों का निर्माण शुरू

रविवार को उत्तर-पूर्व में प्रधानमंत्री मोदी ने जब वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की चर्चा की, तो सीमावर्ती गांवों की सुविधाओं से लेकर वहां बढ़ने वाले टूरिज्म का जिक्र शुरू हुआ। गृह मंत्रालय के वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि जिस तरीके की योजना इस कार्यक्रम के तहत बनाई गई है, उससे एक साथ बहुत कुछ जोड़ा जा रहा है। जिसमें चीन के साथ भारत की सीमा वाले उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों के बॉर्डर वाले गांवों में बुनियादी ढांचे में सुधार किया जाना और उन्हें बढ़ाने का कार्यक्रम तय हुआ है। वह कहते हैं कि कार्यक्रम के तहत आवासीय और पर्यटन केंद्रों का निर्माण किया जाना शुरू हो चुका है। इसके अलावा इन इलाकों में सड़कों के साथ साथ ऊर्जा के तमाम स्रोतों के विकास का काम भी शुरू हुआ।

दरसल इस कार्यक्रम से बॉर्डर के गांवों की सुविधाओं को ही नहीं बढ़ाया जाएगा, बल्कि वहां पर पर्यटन के दृष्टिकोण से भी गांवों का चयन किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक उत्तर-पूर्व से लेकर, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और राजस्थान से लेकर गुजरात के सीमावर्ती इलाकों के गांवों का चयन बॉर्डर विलेज टूरिज्म के पॉइंट से भी किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि दरअसल बॉर्डर विलेज टूरिज्म का मकसद सीमावर्ती गांवों में पर्यटन को बढ़ाना है। ताकि देश के अलग-अलग इलाकों के रहने वाले लोग सीमावर्ती इलाकों में जाकर गांवों में भ्रमण कर सकें। वहां पर रुक सकें। इसके अलावा अपने देश की विविधता और एकता को बेहतर तरीके से समझ सकें।

गांवों से भी नहीं होगा पलायन

प्रोजेक्ट से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक बॉर्डर विलेज टूरिज्म के माध्यम से जब देश का पर्यटक इन गांवों में पहुंचेगा, तो सीमा पर हर वक्त हलचल बनी रहेगी। अभी के हालात में सीमावर्ती गांव में मौसम की विपरीत परिस्थितियों में ज्यादातर गांव के लोग या तो अपने इलाकों को छोड़कर सामान्य परिस्थितियों वाले शहरों में पहुंच जाते हैं या फिर आसपास दूसरे गांवों में पलायन कर जाते हैं। अधिकारियों का कहना है जब सीमावर्ती गांव में सुविधाएं और बेहतर होंगी। साथ ही पर्यटन की भी व्यवस्था होगी, तो सीमा पर बसे यह गांव देश के अलग-अलग इलाकों से पहुंचने वाले करोड़ों लोगों से साल भर गुलजार रहेंगे। यह कार्यक्रम इन गांव में रहने वाले लोगों को मौसम की विपरीत परिस्थितियों के साथ-साथ सुविधाओं की कमी के चलते होने वाले पलायन को भी रोकेंगे। इससे सीमा पर गांव वालों की मौजूदगी से सजगता भी रहेगी और सीमा पार दुश्मन देश को भी इसका संदेश जाएगा। पूर्व के दिनों में मौसम की विपरीत परिस्थितियों के चलते अधिसंख्य गांववासी सुविधाओं के अभाव में न सिर्फ अपना गांव छोड़ देते थे, बल्कि इससे गांव वालों की वजह से आबाद रहने वाला बॉर्डर का इलाका खाली भी हो जाता था। रक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञ कर्नल (रि.) एएम सूरी कहते हैं कि चीन बीते कुछ समय से इस तरीके की योजनाओं को चला रहा है। वह तिब्बत के हिस्से में ऐसे गांव भी विकसित कर रहा है। वह अपने बॉर्डर के गांवों को न सिर्फ पर्यटन की दृष्टि से, बल्कि सुविधाओं के नजरिए से भी बहुत मजबूत करता रहता है। नतीजतन उनके बॉर्डर के गांव साल भर आबाद रहते हैं। अब हमारे देश के बॉर्डर के गांव भी उससे बेहतर तरीके से ना सिर्फ आबाद रहेंगे, बल्कि बॉर्डर भी सुरक्षा के नजरिए से भी मजबूत रहेंगे। कर्नल सूरी कहते हैं कि इस कार्यक्रम से पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ेगी, तो यह एक तरीके से सिविलियंस की बॉर्डर पेट्रोलिंग जैसा ही होगा। उनका कहना है कि यह प्रोजेक्ट देश की सीमाओं को सुरक्षा के लिहाज से मजबूत करने का बहुत बड़ा कार्यक्रम है।

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