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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
कोलकाता 18 जुलाई 2021। पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान व उसके बाद हिंसा, मारपीट और महिलाओं के साथ कथित बलात्कार की घटनाओं से पूरा राज्य दहल उठा था। इन हिंसक घटनाओं को लेकर सत्ता व विपक्ष के नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करते रहे और इस बीच यह मामले पहले हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुके हैं। बता दें पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर की रहने वाली एक 60 साल की बुजुर्ग महिला ने भी चुनाव के बाद अपने साथ हुई हिंसा, पांच साल के नाती के सामने रेप, मारपीट और जबरदस्ती जहर देने की वारदात को लेकर सुप्रीम कोर्ट में इंसाफ की गुहार लगाई है।
एक माह तक अस्पताल में भर्ती थीं बुजुर्ग
इस घटना के बाद से पीड़िता इतने सदमें में हैं कि वह केवल मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान देने के लिए ही बाहर निकलती हैं। इन दिनों वे कोलकाता के एक गेस्ट हाउस में रह रही हैं। कोर्ट में दी गई याचिका के अनुसार चुनावी नतीजों के बाद चार-पांच मई की मध्य रात को कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लोग बुजुर्ग महिला के घर में जबरन घुस आए और हमला कर दिया। बदमाशों से एक ने महिला के पांच साल के नाती के सामने उन्हें खाट पर बांध दिया और उनके साथ रेप की घटना को अंजाम दिया। इतना ही नहीं आरोपियों ने उनके साथ मारपीट की और उन्हें जबरन जहर भी दे दिया। गौरतलब है कि इस घटना के बाद पीड़िता लगभग एक माह तक अस्पताल में भर्ती थीं।
रेप का केस वापस लेने के लिए बनाया जा रहा दबाव
इधर, पीड़िता के दामाद ने पुलिस को बताया, ‘टीएमसी के गुंडों ने उनके इलाके में देसी बम फेंके थे, जिसके बाद मेरी सास और पत्नी घर छोड़कर भाग निकले थे। चार तारीख की देर रात वे लोग वापस आ गए और सास को खाट से बांधकर उनके साथ बलात्कार किया। बाद में उन्हें जहर भी दिया गया था।’ दामाद ने आगे कहा, ‘जो बदमाश जबरन घर में घुस आए वे हमारे रिश्तेदार हैं और साथ ही टीएमसी के समर्थक भी हैं। मेरा और मेरी सास के साथ इनका लंबा जमीनी विवाद चल रहा है। मैं और मेरा परिवार भाजपा समर्थक है और टीएमसी के लोग चुनावी नतीजों के बाद भाजपा समर्थकों को निशाना बनाने लगे थे।’ पीड़ित परिवार का दावा है कि उन्हें अनजान नंबरों से फोन आते हैं और रेप का केस वापस लेने के बदले पैसे ऑफर किए जाते हैं।
आरोप को टीएमसी ने खारिज किया
वहीं, पीड़िता के साथ की गई हिंसा व रेप की घटना से अपने जुड़ाव को टीएमसी की तरफ से खारिज कर दिया गया है। पार्टी का कहना है कि बुजुर्ग मानसिक रूप से विकलांग हैं और भाजपा ने उन्हें टीएमसी के खिलाफ आरोप गढ़ने के लिए छिपा कर रखा है। फिलहाल पीड़िता ने भाजपा की मदद से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और एसआईटी से जांच करवाने की मांग की है।