छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 07 नवंबर 2022। ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद तमाम राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। एक तरफ भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मोदी सरकार की सामाजिक जीत करार दिया तो कांग्रेस ने इस फैसले का विरोध जताया है। कांग्रेस नेता उदित राज ने तो सुप्रीम कोर्ट को जातिवादी करार दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जातिवादी है, अब भी कोई शक है!
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने 3-2 के साथ ईडब्ल्यूएस 10 फीसदी आरक्षण को मंजूर किया। बेंच के पांच जजों में से तीन ईडब्ल्यूएस कोटे को संविधान के अनुरुप बताया। जबकि चीफ जस्टिस यूयू ललित समेत दो जजों ने इसे अनुचित करार दिया। लेकिन, बहुमत के हिसाब से मोदी सरकार के फैसले पर मुहर लग गई है।
कांग्रेस ने जताया विरोध
पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता उदित राज ने इस फैसले का विरोध जताया। उन्होंने ट्वीट किया, “सुप्रीम कोर्ट जातिवादी है, अब भी कोई शक! ईडब्ल्यूएस आरक्षण की बात आई तो कैसे पलटी मारी कि 50% की सीमा संवैधानिक बाध्यता नही है लेकिन जब भी SC/ST/OBC को आरक्षण देने की बात आती थी तो इंदिरा साहनी मामले में लगी 50% की सीमा का हवाला दिया जाता रहा।
भाजपा ने किया स्वागत
ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भाजपा ने स्वागत किया है। भाजपा महासचिव बीएल संतोष ने कहा कि अनारक्षित वर्गों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा है। पीएम मोदी के गरीब कल्याण की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। भाजपा महासचिव सीटी रवि ने कहा कि यह फैसला भारत के गरीबों को सामाजिक न्याय प्रदान करने के अपने “मिशन” में मोदी के लिए एक और जीत है।
चीफ जस्टिस समेत दो जजों ने जताया ऐतराज
गौरतलब है कि सोमवार को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने देश में गरीब तबके के लोगों को उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में मिलने वाले 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटे को बरकरार रखा है। 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 3-2 से इस कोटे के पक्ष में फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट ने इस कोटे को गलत करार दिया है और संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया।