छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 16 मार्च 2022। उत्तर प्रदेश में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के अंतर्गत वर्ष 2020 में सबसे अधिक 361 लोगों की गिरफ्तारियां हुईं और 54 लोगों को सजा मिली। एनसीआरबी के अनुसार वर्ष 2020 में यूएपीए के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 361 लोगों को गिरफ्तार किया गया, इसके बाद जम्मू-कश्मीर का 346 और मणिपुर का 225 गिरफ्तारियों के साथ नंबर आता है। सजा देने के मामले में भी सबसे ऊपर यूपी (54) है, इसके बाद तमिलनाडु (21), झारखंड (3) और जम्मू-कश्मीर (2) हैं। गिरफ्तारी के बाद जमानत देने वालों में सबसे ऊपर जम्मू-कश्मीर(103), तमिलनाडु (44), केरल (22), और मणिपुर (19) हैं। यूएपीए के अंतर्गत गिरफ्तारी के बाद निर्दोष बरी होने वाले राज्यों में तमिलनाडु (50), झारखंड(46), असम(13) और जम्मू-कश्मीर (4) हैं। लोकसभा में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने एक लिखित जानकारी दी, जिसमें पूछा गया था कि कितने लोग इस कानून के अंतर्गत जेल में बंद हैं, और जिनकी जमानत नहीं हुई, उसका आधार क्या है?
गृह राज्यमंत्री ने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मिली अपराधों की जानकारी को राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो (एनसीआरबी) दर्ज करता है। गृह राज्यमंत्री ने कहा कि इस कानून के तहत कितने समय से जेलों में बंद अपराधियों की जानकारी और जो बिना जमानत के कितने समय से जेलों में बंद हैं इसकी जानकारी एनसीआरबी दर्ज नहीं करता है।
देशभर में एनआरसी पर कोई फैसला नहीं
केंद्र सरकार ने देशभर में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर अभी कोई फैसला नहीं किया है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद माला राय के सवाल पर लोकसभा में यह जानकारी दी। सांसद ने पूछा था कि असम समेत पूरे देश में एनआरआईसी की क्या स्थिति है? इससे जुड़े काम कब तक पूरे हो जाएंगे? मंत्री ने लिखित जवाब में बताया, अभी सरकार ने राष्ट्रव्यापी एनआरआईसी पर कोई निर्णय नहीं किया है। उन्होंने बताया, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर असम के एनआरसी में नाम शामिल करने की पूरक सूची और हटाने की सूची 31 अगस्त, 2019 को प्रकाशित हो चुकी है।
संसद : क्रिप्टोकरेंसी लाने की योजना नहीं
केंद्र ने मंगलवार को संसद में साफ किया कि क्रिप्टोकरेंसी लाने की सरकार की कोई योजना नहीं है। राज्यसभा में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि आरबीआई ने किसी भी तरह की कोई क्रिप्टोकरेंसी जारी नहीं कर रखी है। पारंपरिक कागजी मुद्रा ही वैध है।
हिंदी नामों वाली योजनाएं फायदेमंद
द्रमुक सांसद डीएनवी सेंथिलकुमार ने मंगलवार को केंद्र से पीएमएवाई का अंग्रेजी अनुवाद बताने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषी लोग नहीं समझते हैं, जिससे वो फायदा नहीं उठा पाते। इस पर ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा, अगर सांसद इंदिरा आवास योजना का मतलब जान सकते हैं, तो प्रधानमंत्री आवास योजना का अर्थ भी समझा जा सकता है।
रेलवे को भी बेचना चाहती है सरकार, जवाब दे : विपक्ष
विपक्ष ने मंगलवार को केंद्र पर एयर इंडिया के बाद रेलवे का भी निजीकरण करने का आरोप लगाते हुए उससे जवाब मांगा है। कांग्रेस सांसद के सुरेश ने कहा, रेलवे को अकुशल ढंग से चला रही सरकार इसके बजट आवंटन में बाजीगरी कर रही है। एयर इंडिया को बेचने के बाद अब उसका इरादा रेलवे को भी निजी हाथों में सौंपने का है। सुरेश के मुताबिक, सरकार बजट में तय मंत्रालय के राजस्व लक्ष्य को पाने की दिशा में गंभीर कदम नहीं उठा रही है। केंद्र को बताना चाहिए कि रेलवे भारत सरकार के अधीन रहेगा या नहीं। ब्यूरो
- वहीं, द्रमुक सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने रेलवे में रिक्तियों पर सवाल उठाया। साथ ही सरकार से जवाब मांगा कि वह अगले साल तक रेलवे का 100 फीसदी विद्युतीकरण लक्ष्य कैसे हासिल करेगी क्योंकि अभी यह 73 फीसदी ही है।
- तृणमूल कांग्रेस सांसद शताब्दी रॉय ने भी रेलवे के निजीकरण पर सरकार से रुख साफ करने की मांग की और पूछा कि इसका आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा। इसके अलावा, जौनपुर से बसपा सांसद श्याम सिंह यादव ने कहा कि रेलवे को हमेशा गरीबों के लिए होना चाहिए।
सीवर व सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 325 मौतें: सरकार
संसद में सरकार ने बताया है कि सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करते वक्त हुई दुर्घटनाओं में बीते पांच साल में 325 लोगों ने जान गंवाई है। हालांकि, हाथ से मैला ढोने के कारण किसी की भी मौत नहीं हुई है।
केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने जानकारी दी, जान गंवाने वाले 276 लोगों के परिवारों को मुआवजा मिल चुका है। इन दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा 52 मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं। तमिलनाडु में 43, नई दिल्ली में 42, हरियाणा में 33 और महाराष्ट्र में 30 लोगों ने जान गंवाई।
यूक्रेन के विवि भारतीय छात्रों को नहीं छोड़ना चाहते थे : जयशंकर
विदेशमंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि यूक्रेन के विश्वविद्यालय भारतीय छात्रों को भारत न लौटने के लिए पुरजोर तरीके से मना रहे थे। जयशंकर ने कहा कि हमारी कोशिशों के बावजूद बड़ी संख्या में छात्रों ने यूक्रेन में ही रुकने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन से 22,500 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला। विदेशमंत्री ने एक बयान में कहा कि हमें शिक्षा को लेकर छात्रों की स्थिति को समझना होगा। पढ़ाई का हर्जा और शिक्षण संस्थानों को नहीं छोड़ने का फैसला स्वाभाविक था। उन्होंने कहा कि कुछ यूनिवर्सिटी ने तो छात्रों को भरपूर हतोत्साहित किया और वे ऑनलाइन क्लास लेने की भी इच्छुक नहीं थीं।
उन्होंने कहा कि 24 फरवरी को लेकर राजनीतिक संकेत भी स्पष्ट नहीं थे। उस दौरान सेना की वापसी की अटकलों और युद्ध के खतरे पर भ्रम की स्थिति थी। इसका परिणाम यह हुआ कि करीब 18,000 विद्यार्थी युद्ध के बीच में फंस गए। जयशंकर ने कहा कि उस परिस्थिति में छात्रों ने जो उचित समझा वह किया।
भारत ने युद्ध से पहले शुरू कर दी तैयारी
भारत ने हालांकि युद्ध से पहले तैयारी कर ली थी। यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास ने जनवरी में ही भारतीय नागरिकों का पंजीकरण शुरू कर दिया था। इसके परिणामस्वरूप भारतीय दूतावास ने 20,000 नागरिकों का पंजीकरण किया। करीब 4000 छात्रों ने प्रत्यक्ष या परोक्ष फ्लाइट के जरिये यूक्रेन छोड़ा।
भारत ने विदेशी नागरिकों को भी सुरक्षित निकाला
विदेशमंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में बताया कि युद्धग्रस्त यूक्रेन से सरकार ने भारतीयों सहित विदेशी नागरिकों को भी निकाला। विदेशमंत्री ने यूक्रेन के हालात और ऑपरेशन गंगा पर जानकारी देते हुए कहा, भारत के वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत के तहत युद्धग्रस्त क्षेत्र से विदेशी नागरिकों को भी सुरक्षित निकाला गया। इनमें 18 देशों के 147 नागरिक शामिल हैं। कई यूक्रेनियों को भी भारत लाया गया। उन्होंने कहा कि रूस द्वारा 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले के बाद भारत सरकार ने वहां फंसे भारतीयों को लाने के लिए ऑपरेशन गंगा अभियान चलाया था।