किसी स्कूल में आपबीती साझा करके तो किसी स्कूल में गणितीय सवाल हल करवा करके दे रहे हैं प्रेरणा
साजिद खान/ छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
कोरिया (छत्तीसगढ़) 03 फरवरी 2022। – हाल ही में जिलें में नव पदस्थ हुए कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने बीेते गुरूवार 28 तारिख को सोनहत ब्लाक के कटगोडी शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में 10 वीं एंव 12 वीं के छात्रों के लिए 40 डे मिशन के तहत कराई जा रही परिक्षा की तैयारी का औचक निरिक्षण करने पहुंचे। विद्यालय में छात्रों से खुद के आईएएस बनने के आप बीती का अनुभव साझा किए तथा बीते बुधवार 3 तारिख को एकलव्य आवासीय विद्यालय पोंडीडीह खडगवां के निरिक्षण में पहुंच कर मेधावी छात्रों के लिए तालियां बजवाकर उत्साहवर्धन किया तथा शिक्षक भी बने।
बीते गुरूवार को सोनहत ब्लाक के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की दसवीं क्लास की एक छात्रा मनीषा तिवारी के द्वारा पूछने पर कि कोई आईएएस होते हैं तो उनसे मिलना, बात करना, सब बहुत अच्छा लगता है। उनसे जाकर प्रेरणा लेना बहुत अच्छा लगता है। इसके बाद कलेक्टर द्वारा कहा गया कि बढिया क्वेश्चन पूछा है। फिर कलेक्टर ने कहा कि देखो हर व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ एक प्रेरणा रहती है और व्यक्ति चाहता है कि वह एक बड़ा अधिकारी बने या जो भी उसके जीवन के सपने हैं, उसको पूरा करे। परंतु उसमें क्रिटिकल क्या हो सकता है। क्या चीज है जो उस चीज के लिए जो उसको सबसे ज्यादा मोटिवेट कर सकती है। उन्होने कहा कि दसवीं क्लास में मै कितने डिविजन में पास हुआ होऊंगा। क्या आपको पता है। सेकेंड डिविजन में पास हुआ। मेरा 57% आया था और पहली बार मुझे इतना खराब लगा कि जब इलेवेंथ में एडमिशन के लिए तो वहां हरियाणा के प्रिंसिपल ने एडमिशन के लिए मना कर दिया कि इतने परसेन्टेज के बच्चों का यहां एडमिशन यहां नही होगा। तो रिक्वेस्ट किया गया। बात रखी गई। पहली बार मुझे खराब लगा कि मेहनत करनी चाहिए थी। उस समय मेरी दीदी से बस ऐसी ही बात हो रही थी तो मैैने कहा कि सेकेंड डिविजन वाले भी आइएएस बन जाते हैं तो बडी नाराज हुईं। कही कि ऐसे नही बनते हैं। ऐसे आइएएस नही बना जाता है। लेकिन शायद मुझे लगता है कि वो एक ऐसा वाक्या था जब मैने सोंच लिया था कि आइएएस बनना है। 10th में सेकेंड डिविजन पास होने के बाद फिर 12th में मैने डिक्टेंशन लिया। फिर ग्रेजुएशन में मैने देल्ही युनिवर्सिटी में टाप किया। और उसके बाद फर्स्ट अटेम्प में मेरा सलेक्सन हुआ। तो बात यह है कि जब जागो तब सवेरा वाली जो बात है। ये हमे कब लग जाए यह हमे नही पता होता। 10th क्लास तक मै भी ऐसा ही था। नार्मल बच्चों की तरह खेलना, कूदना, पढाई में कम ध्यान देना। जब कोई टोकेगा तभी पढना। लेकिन ऐसे नही होता। उस दिन पहली बार खुद मेरे अंदर जागृति आई थी कि अब तो पढना है अब कोई विकल्प नही है। कलेक्टर की आपबीती सुन रहे बच्चे मुग्ध नजर आए थे।
कल बीते बुधवार को कलेक्टर खडगवां के एकलव्य आवासीय विद्यालय पोडीडीह खडगवां के निरिक्षण में पहुंचे। इस दौरान कलेक्टर के सामने एक छात्र अजय ने अंग्रजी के एक पूरे पैरा ग्राफ को पढा। जिससे कलेक्टर बहुत प्रभावित हुए। इसके बाद शिक्षक बनकर कलेक्टर ने ब्लैक बोर्ड पर गणितीय सवाल लिखा जिसे एक छात्रा ने हल किया तो कलेक्टर के वेरीगुड कहने पर क्लास में छात्रों ने जमकर तालियां बजाई। कलेक्टर ने नाम पूछा तो बच्ची ने दिशा नाम बताया। कहा बडी होकर डाक्टर बनूंगी। पापा का सपना पूरा करूंगी। बच्चों से मिलकर परिक्षा की बेहतर तैयारी के लिए कलेक्टर ने उन्हे शुभकामनाएँ दी।