नई राजनीति: खालिस्तानी संगठनों और पाकिस्तान को ललकार कैप्टन ने गढ़ी दमदार राष्ट्रवादी की छवि, 2022 में बनेगा मुख्य मुद्दा

Chhattisgarh Reporter
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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर

जालंधर (पंजाब) 28 अक्टूबर 2021। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी छवि को दमदार राष्ट्रवादी के रूप में उभारकर पंजाब की राजनीति में दोबारा अपने पांव जमाने के रास्ते पर निकल पड़े हैं। इससे तय है कि 2022 में पंजाब के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रवाद अहम मुद्दा होगा। सिख फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू से लेकर खालिस्तानी संगठनों को खुले मंच पर ललकारने वाले कैप्टन ने बुधवार को अपने तेवरों से दोबारा अवगत करवा दिया कि वह पाकिस्तान बॉर्डर को लेकर कितने चिंतित हैं। साथ ही बीएसएफ की 50 किलोमीटर के दायरे में तैनाती की खुलेआम हिमायत कर वह यह साफ कर गए हैं कि सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने में राष्ट्रवादी छवि अहम भूमिका अदा करेगी।भारतीय राजनीति के एक अग्रणी नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला के राजघराने से आते हैं और भारतीय आर्मी में बतौर कमीशंड ऑफिसर अपनी सेवा दे चुके हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह दो बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं। पहले, उन्होंने 2002 से 2007 तक पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था और फिर मार्च 2017 से 18 सितंबर 2021 तक वे दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे। कैप्टन ने 1963 से 1966 तक भारतीय सेना के लिए काम किया। 

पटियाला राजघराने में पैदा हुए कैप्टन ने सेना में दी सेवाएं

उनका जन्म महाराजा यादवेंद्र सिंह और पटियाला की महारानी मोहिंदर कौर के घर हुआ जो सिद्धू बराड़ के फुल्किया वंश से संबंधित हैं। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और इंडियन मिलिट्री एकेडमी से स्नातक करने के बाद 1963 में वे भारतीय सेना में शामिल हुए और 1965 में इस्तीफा देने तक रहे। पाकिस्तान के साथ जंग छिड़ जाने के बाद वे फिर से भारतीय सेना में शामिल हुए और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में कप्तान के रूप में अपनी सेवाएं दीं और सिख रेजिमेंट का हिस्सा रहे। कैप्टन अमरिंदर सिंह जितनी देर सत्ता में रहे, उन्होंने सेवानिवृत्त हो चुके सेना के जवानों को ही आगे लाने में अहम भूमिका निभाई।

सेना से जुड़ी किताबें पढ़ने का शौक रखते हैं अमरिंदर 


रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल टीएस शेरगिल को उन्होंने अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया और मेजर अमरदीप संधू को अपना ओएसडी। कैप्टन के बारे में मशहूर है कि अगर वह कोई बैठक ले रहे हों और कोई फौजी चाहे वह उनका जानकार न भी हो, आ जाए तो कैप्टन बैठक की जगह फौजी से मिलना पसंद करते हैं। कैप्टन को केवल फौजियों से ही नहीं बल्कि फौज से जुड़ी हुई किताबों को पढ़ने का भी खासा शौक है। वैसे तो वह इतिहास की किताबों को भी पढ़ने में वे खासी रुचि रखते हैं, लेकिन उनकी पहली पसंद मिलिट्री से जुड़ी किताबें हैं। कैप्टन न सिर्फ पढ़ते हैं बल्कि लिखने में भी रुचि रखते हैं।

पन्नू के संगठन को आतंकी घोषित करवाने में कैप्टन की अहम भूमिका

पंजाब को अलग देश बनाने का सपना देखने वाले रेफरेंडम 2020 के गुरपतवंत सिंह पन्नू के संगठन को आतंकी संगठन घोषित करवाने में कैप्टन अमरिंदर सिंह की अहम भूमिका रही है। इसके अलावा करतापुर कॉरिडोर के नींव पत्थर रखने के मौके पर कैप्टन ने स्टेज से पाक आर्मी प्रमुख बाजवा को खुलेआम ललकारा, जिसकी काफी सराहना हुई। 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए पाकिस्तान आर्मी के चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा को ललकारते हुए पंजाब विधानसभा में कहा था कि ‘हमले के लिए जनरल बाजवा जिम्मेदार है। बाजवा तू पंजाबी है तां असी वी पंजाबी हां, तू पंजाब में आके दिखाना’। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने एक प्रस्ताव भी पास किया कि अब पाकिस्तान से बातचीत नहीं होनी चाहिए और कार्रवाई होनी चाहिए और यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पंजाब विधानसभा में पास किया गया।

कैप्टन पर शहरी वर्ग का विश्वास बढ़ा

राज्य में हिंदू मतदाताओं की संख्या 38.5 प्रतिशत है और 45 शहरी सीटों पर हिंदू या तो बहुसंख्यक हैं या फिर जीत-हार तय करने की हैसियत रखते हैं। इस समय यह वर्ग कैप्टन की राष्ट्रवादी छवि की तरफ देख रहा है। 2002 व 2017 के चुनाव में हिंदू वोट बैंक ने कैप्टन को सत्ता तक पहुंचाया था। कैप्टन पर शहरी वर्ग का विश्वास काफी बढ़ गया था।

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