पाकिस्तान के लिए लाइफलाइन बना चीन का कर्ज, ओलंपिक के बहाने फिर लेने जा रहे इमरान

Chhattisgarh Reporter
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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर  

नई दिल्ली 03 फरवरी 2022। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान विंटर ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेने चीन के दौरे पर जा रहे हैं। हालांकि यह अंदर की खबर नहीं है, जानकारों का मानना है कि ओलंपिक के बहाने वह कर्ज मांगने चीन जा रहे हैं। इसी हफ्ते पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान अपने चीन दौरे पर वहां के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री खान के इस दौरे के मद्देनजर मीडिया से बातचीत में कहा कि इससे दोनों देशों के बीच हमेशा से कायम रही रणनीतिक साझेदारी और गहरी होगी। उन्होंने कहा कि इससे नए दौर में साझा भविष्य को ध्यान में रखते हुए चीन-पाकिस्तान समुदाय बनाने में भी मदद मिलेगी। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बीते गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री के इस दौरे का मकसद चीन के साथ एकजुटता दिखाना है क्योंकि कुछ देशों ने वहां हो रहे विंटर ओलंपिक का बहिष्कार किया है।

उन्होंने कहा कि इमरान खान शीर्ष चीनी नेतृत्व से मुलाकात करेंगे। यह बीते दो साल में इमरान खान का पहला चीन दौरा है। हालांकि कुछ लोगों को उनके इस दौरे के उद्देश्य पर संदेह है। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्टों में कहा गया है कि दरअसल इमरान खान चीन से तीन अरब डॉलर का कर्ज लेना चाहते हैं। वह यह भी चाहते हैं कि चीन पाकिस्तान में खासतौर से छह क्षेत्रों में निवेश करे। पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कुछ दिन पहले खबर दी कि सरकार विचार कर रही है कि वह चीन से तीन अरब डॉलर के कर्ज को मंजूर करने का आग्रह करे, जिसे चीन के सरकारी प्रशासनिक विदेश विनिमय कोष (सेफ) में रखा जाए, जिससे उसका विदेश विनियम भंडार बढ़े।

पाकिस्तान को चाहिए निवेश पाकिस्तान चाहता है कि चीन उसके यहां कपड़ा उद्योग, जूता-चप्पल उद्योग, दवा उद्योग, फर्नीचर, कृषि, वाहन निर्माण और सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश करे। अखबार ने आगे लिखा है, ‘उम्मीद है कि सरकार चीन की 75 कंपनियों से कहेगी कि वह उन्हें मध्य पूर्व, अफ्रीका और पूरी दुनिया के बाजार तक पहुंच बनाने का मौका देगी और सामान की ढुलाई पर छूट दी जाएगी।’ पाकिस्तान आर्थिक मदद और सहयोग के लिए चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर है। चीन ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर (सीपैक) के रूप में पहले ही पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश किया है। पाकिस्तान ने सीपैक के तहत ऊर्जा और बुनियादी ढांचे से जुड़ी कई परियोजनाओं को पूरा कर लिया है।

चीन के निवेश के खिलाफ हैं पाकिस्तानी, पर सरकार लगा रही गुहार

उन्होंने कहा कि चीनी निवेश उन्हें पीने का साफ पानी हासिल करने में मदद नहीं कर रहा है और ना ही प्रांत को कोई और फायदा हो रहा है। कुछ बलोच राष्ट्रवादियों का कहना है कि अगर पाकिस्तान चीन का कर्ज नहीं चुका पाया तो चीन बहुत कम दामों में इस प्रांत में मौजूद खानों पर नियंत्रण हासिल करना चाहेगा, या फिर पूरी तरह बंदरगाह को कब्जा लेगा। बंगाली मानते हैं कि इस तरह के संदेह चीनी विकास परियोजनाओं और कर्ज की शर्तों को गोपनीय रखने के पैदा होते हैं। पश्चिम से खराब रिश्ते शीत युद्ध के दौरान अमेरिका पाकिस्तान का मुख्य सहयोगी था। वही उसे हथियार और सैन्य प्रशिक्षण देता रहा। कम्युनिज्म का मुकाबला करने के लिए भी पाकिस्तान पश्चिमी देशों के गठबंधन में शामिल रहा। अमेरिका के साथ पाकिस्तान के रिश्ते 1990 के दशक में तनावपूर्ण रहे। लेकिन अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उसका अहम सहयोगी बन गया।

चीन की तरफ पाकिस्तान के झुकाव की भारत भी है एक वजह

हालांकि अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के बाद पाकिस्तान अब फिर रणनीतिक साझेदारी के लिए पूर्व की तरफ देख रहा है। कराची में रहने वाली विशेष मामलों की जानकार तलत आयशा विजारत कहती हैं कि पाकिस्तान चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर है क्योंकि पश्चिमी देश उसके अच्छे मित्र साबित नहीं हुए। उनके मुताबिक पश्चिमी देशों ने पाकिस्तान को अकेला छोड़ दिया और भारत के साथ नजदीकियां कायम कर ली, जो पाकिस्तान और चीन, दोनों देशों का दुश्मन है। वह कहती हैं कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने जब लोन की पेशकश की, तो उसके साथ बहुत सारी शर्तें जुड़ी थी। इतना ही नहीं, पश्चिमी वित्तीय संस्थाएं सीपैक से जुड़ा ब्यौरा भी जानना चाहती हैं।

पाकिस्तान की मजबूरी बन गया है चीन से मदद लेना

विजारत का दावा है कि चीन अपने कर्जे के साथ कोई शर्तें नहीं जोड़ता। उनके मुताबिक, ‘उसने सीपैक में पहले ही अरबों डॉलर का निवेश किया है, लेकिन उसके साथ कोई शर्तें नहीं जोड़ी हैं’। वह कहती हैं कि अफगानिस्तान से निकलने के बाद अमेरिका की इस क्षेत्र में कोई दिलचस्पी नहीं बची है। ऐसे में पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, अफगानिस्तान को स्थिर करने, क्षेत्र में अपना व्यापार बढ़ाने और अपने रक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए चीन की जरूरत है। हिंद महासागर तक पहुंच विजारात की राय है कि चीन की मदद की एवज में पाकिस्तान उसे हिंद महासागर तक पहुंच मुहैया करा सकता है, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसका समर्थन कर सकता है और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तक पहुंचने के लिए सबसे छोटा रास्ता मुहैया करा सकता है। 

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