छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 04 सितम्बर 2023। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्थायी सरकार से ही देश का आर्थिक विकास संभव है। भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र होगा जिसमें भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं होगी। पीएम मोदी ने कहा कि हम भारतीयों के पास आज विकास की नींव रखने का शानदार मौका है, जिसे अगले हजारों वर्षों तक याद रखा जाएगा। पीएम मोदी ने एक समाचार के साथ विशेष साक्षात्कार में कहा, 2014 से पहले तीन दशकों तक देश में कई अस्थिर सरकारें बनीं, जो बहुत कुछ नहीं कर पाईं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जनता ने भाजपा को निर्णायक जनादेश दिया, जिससे एक स्थिर सरकार, अनुकूल नीतियां और समग्र दिशा में स्पष्टता आई है। इसकी वजह से ही पिछले नौ साल में कई सुधार लागू किए जा सके। ये सरकार की राजनीतिक स्थिरता का स्वाभाविक परिणाम हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, वित्तीय क्षेत्र, बैंक, डिजिटलीकरण, कल्याण, समावेशन और सामाजिक क्षेत्र से संबंधित इन सुधारों ने एक मजबूत बुनियाद रखी, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि हुई। उन्होंने कहा, भारत की विकास गाथा पर दुनिया की नजर है। दुनिया का जीडीपी केंद्रित नजरिया, अब मानव केंद्रित दृष्टिकोण में बदल रहा है, जिसमें भारत उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहा है।
अब फिर आगे बढ़ रहा देश
पीएम मोदी ने कहा कि इतिहास में लंबे समय तक दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्था में से एक रहा भारत उपनिवेशवाद के चलते पीछे चला गया था। अब भारत एक बार फिर आगे बढ़ रहा है। एक दशक से भी कम समय में भारत पांच पायदान की छलांग लगाकर 10वीं से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
दुनिया के सामने मुद्रास्फीति प्रमुख मुद्दा
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रास्फीति एक प्रमुख मुद्दा है, जिसका दुनिया सामना कर रही है। उन्होंने कहा, हमारी जी-20 अध्यक्षता में समूह के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर शामिल थे। यह माना गया कि केंद्रीय बैंकों की ओर से नीतिगत रुख का समय पर और स्पष्ट सूचना महत्वपूर्ण है। इससे यह सुनिश्चित हो सकता है कि मुद्रास्फीति से निपटने के लिए प्रत्येक देश की ओर से अपनाई गई नीतियों का अन्य देशों पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन देशों और न्यायक्षेत्रों को परंपराओं के साथ आगे बढ़ने और अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली में बड़े सुधार की अनुमति देगा।
संस्थाएं तभी प्रासंगिक जब खुद को बदलें
प्रधानमंत्री ने कहा, विश्व आज बहुध्रुवीय है। यहां नियमों पर आधारित ऐसी व्यवस्था बेहद अहम है, जो सभी सरोकारों के लिए जायज व संवेदनशील हो। संस्थाएं तभी प्रासंगिक रह सकती हैं, जब वे बदलते समय के अनुरूप खुद को बदलें। …हमारे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को बदलती सच्चाइयों को समझने, निर्णय लेने वाले मंचों का विस्तार करने, उनकी प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करने व सभी पक्षों की आवाजों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की जरूरत है। समय रहते इस दिशा में कार्रवाई नहीं होने पर छोटे या क्षेत्रीय मंच अधिक महत्वपूर्ण आकार लेने लगते हैं। करीब 80 मिनट के साक्षात्कार में मोदी ने कहा, जी-20 ने भारत को एक ऐसा मंच प्रदान किया है, जो मानव केंद्रित उसके दृष्टिकोण व समूची मानवता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों के समाधान के लिए किए जाने वाले सहयोगात्मक कार्य को आगे बढ़ाने का मौका मिला है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दृष्टिकोण बदलने की जरूरत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने संबंधी चर्चाओं में दृष्टिकोण में बदलाव की जबरदस्त वकालत की। उन्होंने विभिन्न देशों से उनके रवैये को प्रतिबंधात्मक के बजाय रचनात्मक बनाने की अपील करते हुए आग्रह किया कि वे यह न करो या वह न करो पर ध्यान केंद्रित न करें। उन्होंने कहा, मैं जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई के भविष्य को लेकर बेहद सकारात्मक हूं। हम प्रतिबंधात्मक की जगह रचनात्मक रवैया अपनाने के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। … हम एक ऐसा दृष्टिकोण लाना चाहते हैं, जो लोगों और राष्ट्रों को जागरूक करे। यह बताया जाए कि राष्ट्र क्या कर सकते हैं और इस दिशा में उन्हें वित्त, प्रौद्योगिकी व अन्य संसाधनों की मदद उपलब्ध कराई जाए।
नौ वर्ष पहले लक्ष्य को हासिल करने वाला पहला जी-20 देश
प्रधानमंत्री ने कहा, हम निर्धारित तिथि से 9 वर्ष पूर्व ही अपने जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने वाले संभवत: पहले जी20 देश हैं। एकल-उपयोग प्लास्टिक (सिंगल यूज़ प्लास्टिक) के खिलाफ भारत की कार्रवाई को दुनियाभर में मान्यता मिली है। इससे साफ-सफाई एवं स्वच्छता सुनिश्चित करने की दिशा में काफी प्रगति भी हुई है। भारत अब वैश्विक पहलों में सिर्फ भागीदार बनने से आगे निकलते हुए अग्रणी भूमिका निभाने की ओर बढ़ गया है। भारत जलवायु-केंद्रित पहलों पर काफी प्रगति कर रहा है। उसने कुछ ही वर्षों में अपनी सौर ऊर्जा क्षमता 20 गुना बढ़ा दी है। पवन ऊर्जा के मामले में हम दुनिया के शीर्ष चार देशों में शामिल हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने व नवाचार दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र में सभी का प्रतिनिधित्व हो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्था में बदलते विश्व की सच्चाइयों के अनुरूप परिवर्तन अपरिहार्य हो चुका है। 21वीं शताब्दी में 20वीं सदी के मध्य का रवैया नहीं चल सकता। संयुक्त राष्ट्र में ऐसे सुधार होने चाहिए, जिससे सभी पक्षों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा, जी-20 ऐसी संस्था है, जिसे उम्मीद के रूप में देखा जा रहा है। दुनिया आज कार्रवाई और परिणाम चाहती है, भले ही वे कहीं से आ रहे हों। भारत के पास जी-20 की अध्यक्षता ऐसे ही महत्वपूर्ण मोड़ पर आई है। इस संदर्भ में वैश्विक रूपरेखा के भीतर, भारत की स्थिति विशेष तौर पर प्रासंगिक हो गई है। विभिन्नता वाले एक देश, लोकतंत्र की जननी, युवाओं की सबसे बड़ी आबादी के घर व विश्व का विकास इंजन होने के कारण भारत को दुनिया के भविष्य को गढ़ने के लिए बहुत कुछ योगदान देना है।
अफ्रीका हमारी शीर्ष प्राथमिकता
जी-20 में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने के संबंध में पीएम ने कहा, जी-20 की थीम इस बार वसुधैव कुटुंबकम है। कोरोना के दौरान इसी सोच के तहत हमने अलगाव नहीं, बल्कि जोड़ने की भावना दिखाई और करीब 150 देशों को दवा और टीकों की आपूर्ति की। अफ्रीका के साथ हमारा हजारों वर्ष पुराना सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संबंध हैं। पीएम बनने के बाद मैंने जिन शुरुआती शिखर सम्मेलनों में हिस्सेदारी की थी उनमें 2015 को भारत-अफ्रीका फोरम का शिखर सम्मेलन भी था। जी-20 के अंदर भी अफ्रीका हमारी शीर्ष प्राथमिकता है।