पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता बूटा सिंह का निधन
86 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा
बूटा सिंह की पहचान पंजाब के बड़े दलित नेता के तौर पर रही
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेहद करीबी माने जाते थे बूटा सिंह
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 2 जनवरी 2021। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता बूटा सिंह का निधन हो गया। वह 86 साल के थे। उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का बहुत करीबी माना जाता था। केंद्र में कांग्रेस की अलग-अलग सरकार के दौरान उन्होंने गृह मंत्री, कृषि मंत्री, रेल मंत्री समेत कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। वह बिहार के पूर्व राज्यपाल भी रहे। बूटा सिंह राजस्थान से कांग्रेस के सांसद भी रहे। वह राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बूटा सिंह के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह एक अनुभवी नेता और कुशल प्रशासक थे। पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने गरीबों और समाज में हाशिये पर चले गए लोगों के लिए आवाज उठाई। पीएम ने कहा कि वे उनके निधन से दुखी हैं और उनकी संवेदना बूटा सिंह के परिवार के साथ है।
राहुल गांधी ने बूटा सिंह के निधन पर गहरा शोक जताया
सरदार बूटा सिंह जी के देहांत से देश ने एक सच्चा जनसेवक और निष्ठावान नेता खो दिया है। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा और जनता की भलाई के लिए समर्पित कर दिया, जिसके लिए उन्हें सदैव याद रखा जाएगा। इस मुश्किल समय में उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएँ।
पूर्व गृह मंत्री और दिग्गज दलित नेता बूटा सिंह नहीं रहे
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बूटा सिंह लंबे समय से बीमार थे। उन्हें अक्टूबर में ब्रेन हैमरेज के बाद एम्स (All India Institute of Medical Sciences) में भर्ती कराया गया था। इस बीच दो जनवरी (शनिवार) को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी पहचान पंजाब के बड़े दलित नेता के तौर पर रही। बूटा सिंह कांग्रेस की कई सरकारों का हिस्सा रहे। राजीव गांधी सरकार में उन्हें गृह मंत्री की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी।
सिख विरोधी दंगों के बाद राजस्थान से चुनाव मैदान में उतरे बूटा सिंह, दर्ज की थी जीत
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता 1967 से लगातार पंजाब के रोपड़ चुनाव लड़ते आ रहे थे। हालांकि, 1984 में रंग बदला था वजह थी ऑपरेशन ब्लू स्टार और 84 के सिख विरोधी दंगे। इस दौरान पंजाब में चुनाव के हालात तो नहीं थे। ऐसे में राजीव गांधी ने उस समय बूटा सिंह को पंजाब से राजस्थान भेज दिया था। मारवाड़ का इलाका और जालौर की सुरक्षित सीट पर बूटा सिंह ने तब आसानी से जीत दर्ज की थी। इस बार वह दो साल तक कृषि मंत्री और फिर गृहमंत्री का पद संभालते रहे।