
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
लखनऊ 30 अप्रैल 2025। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बुधवार को राजनीतिक दलों से संयम और एकजुटता की अपील की। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को राजनीतिक पोस्टरबाजी और बयानबाजी का माध्यम न बनाया जाए, बल्कि सरकार के कदमों का समर्थन किया जाए।
मायावती ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा:
“पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सभी पार्टियों को एकजुट होकर सरकार के हर कदम के साथ खड़े होना चाहिए, न कि इसकी आड़ में पोस्टरबाजी व बयानबाजी कर घिनौनी राजनीति की जानी चाहिए। क्योंकि लोगों में भ्रम पैदा हो रहा है जो कि देशहित में ठीक नहीं है।” उनके इस बयान को देशहित में राजनीतिक सामंजस्य बनाए रखने की पहल के रूप में देखा जा रहा है।
आंबेडकर के नाम का राजनीतिकरण बंद हो: बसपा प्रमुख का सख्त संदेश
अपने एक अन्य पोस्ट में मायावती ने कहा कि भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम का इस मुद्दे से जोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) को सीधे निशाने पर लेते हुए चेताया: “इस प्रकरण में बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर का भी अपमान कतई ना किया जाए। खासकर सपा एवं कांग्रेस को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए, अन्यथा बसपा इनके विरुद्ध सड़कों पर भी उतर सकती है।” यह बयान बसपा के उस रुख को दर्शाता है जिसमें पार्टी संविधान, सामाजिक न्याय और आंबेडकर के विचारों पर कोई समझौता नहीं करती।
राजनीतिक समरसता की अपील: मायावती की छवि को मिला बल
इस बयान के माध्यम से मायावती ने न केवल राजनीतिक दलों को चेताया, बल्कि खुद को एक जिम्मेदार राष्ट्रीय नेता के रूप में प्रस्तुत किया जो आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर सियासी लाभ की बजाय देशहित को प्राथमिकता देती हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यह रुख आगामी चुनावी राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है।