छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
रायपुर/मनेन्द्रगढ़ 16 जून 2023। मनेन्द्रगढ़ के विधायक डॉ. विनय जायसवाल ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये भाजपा नेता श्यामबिहारी जायसवाल पर गलत तरीके से सैकड़ों एकड़ जमीन का वन अधिकार पट्टा हासिल करने का आरोप लगाया है। मनेन्द्रगढ़ के पूर्व विधायक श्यामबिहारी जायसवाल द्वारा वन अधिकार पट्टा फर्जी दस्तावेज लगाकर जमीन हासिल करने के संबंध में।
- चंद्रवती माँ श्यामबिहारी जायसवाल
- कांति जायसवाल पति श्यामबिहारी जायसवाल
- 4 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन।
- तीन पीढ़ी से (13 दिसंबर 2005) के पूर्व तीन पीढ़ी (75 वर्ष) पूर्व के निवास का प्रमाण नहीं।
- कब्जा संबंधी दस्तावेज नहीं।
- अपने नाम को छुपाने के लिये पत्नी के नाम से आवेदन।
- इनके (कांति जी) के नाम खड़गवां तहसील में ही 45.13 एकड़ जमीन।
- राशन कार्ड में श्यामबिहारी जायसवाल के परिवार के सदस्य (माँ) के रूप में चंद्रवती का नाम अंकित है।
- ग्राम पंचायत खड़गवां, रतनपुर, बरमपुर, मझौली एवं बेलबहरा से प्राप्त जानकारी के अनुसार।
- श्यामबिहारी जायसवाल के नाम पर 39.35 एकड़ जमीन।
- कांति जायसवाल के नाम पर 45.13 एकड़ जमीन।
1 श्यामबिहारी जायसवाल ने पत्नी और माँ के नाम से फर्जी दस्तावेजों और कुटरचना करके 10 एकड़ से ज्यादा वन भूमि का वन अधिकार पट्टा के लिये आवेदन कर जमीन प्राप्त किया।
2 दो अलग-अलग प्रकरण में पहले प्रकरण में पत्नी के प्रकरण में राशन कार्ड लगाया गया लेकिन माँ के प्रकरण में पहचान के लिये राशन कार्ड नहीं लगाया गया है, क्योंकि वन अधिकार पट्टा के अधिनियम के अनुसार व्यक्तिगत पट्टा परिवार के लिये जारी किया जाता है, एक ही परिवार के दो सदस्यों का पट्टा नहीं बन सकता।
3 हालांकि इनके द्वारा तीन पीढ़ियों के कब्जे का कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया।
4 अपना नाम छुपाने के लिये माँ और पत्नी के नाम से वन अधिकार पट्टे का बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है।
5 माँ और पत्नी मातृ पक्ष की है, विवाह उपरांत तीन पीढ़ी का रिकार्ड नहीं हो सकता।
6 नियमतः 10 एकड़ से अधिक भू-स्वामित्व परिवार वन अधिकार पट्टा के लिये पात्रता नहीं रखता।
पत्रकार वार्ता में प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला, महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला, प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, सुरेंद्र वर्मा, नितिन भंसाली, वंदना राजपूत, अमित श्रीवास्तव, मणी प्रकाश वैष्णव उपस्थित थे।
अपने पर लगे इस आरोप का जवाब देते हुए मनेन्द्रगढ़ के पूर्व विधायक श्यामबिहारी जायसवाल ने कहा कि हमारे मनेन्द्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र के गांव मनोरा में पीडब्ल्यूडी के द्वारा एक तीन सौ मीटर सडक जो बनी ही नही है। इनके भाई के द्वारा उसमें अठारह लाख की राशि एक साल पहले पहले ही निकाल ली गई। इस बात को मेरे नेतृत्व में भाजपा के लोगों ने उसको उठाया। घटना स्थल पर सडक के पास पहुंचे। मीडिया में दिए। कलेक्टर से शिकायत किए। जब इस बात को क्षेत्र के लोग जान गए। तो डा. विनय जायसवाल ने आनन फानन में एक प्रेस कांफ्रेंस अपने क्षेत्र को छोड़कर उन्होने रायपुर में आयोजित की। और जिस बात को लेकर वह प्रेस कांफ्रेंस किए हैं। मै आश्चर्यचकित और हतप्रभ हूं। मै एक किसान का बेटा हूं। और जमीन संबंधी मेरे ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया। जमीन के मामले में पहली बात इनको मालूम होना चाहिए कि छत्तीसगढ़ का कोई भी व्यक्ति जो वर्ष 2003 के पहले से काबिज हो और तीन पीढी का निवासी हो। सभी वर्ग को वनाधिकार पत्र मिलता है। जहां मेरी पत्नी और मेरी मां का इन्होने बात किया है तो वो भी इसी छत्तीसगढ़ के निवासी हैं। इनके अनुसार हमको वनाधिकार पत्र मिला है। मुझे मालूम नही है और मै इसकी पुष्टि नही करता। लेकिन एक हजार प्रतिशत मेरी माता, पत्नी या परिवार को वनाधिकार पत्र नही मिला है लेकिन यदि मिलता भी तो 2003 के पहले का कब्जा , छत्तीसगढ़ का निवासी , उसके साथ ग्राम सभा का अनुमोदन , ब्लाक स्तरीय कमेटी का अनुमोदन पश्चात , वनमंडलाधिकारी और कलेक्टर के साइन होने के बाद यदि वनाधिकार किसी को प्राप्त होता है तो उसकी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की है। इनके कथनानुसार यदि कोई भ्रष्टाचार अगर हुआ है। कोई गलत तरिके से बना है तो ये क्षेत्र के विधायक हैं। प्रेस में जाने की क्या आवश्यकता है। इसके लिए यह जांच करवाते , जांच कराकर पट्टे को निरस्त कराते। यदि कोई फर्जीवाडा हुआ है तो उस पर कानूनी कार्यवाही कराते। एफआईआर करवाते। तो मुझे लगता है कि इन्होने अठारह लाख की सडक की घटना को दबाने का प्रयास किया है।