भारत सरकार ने 43 ऐप्स फिर से किए बैन
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 69A के तहत लगाया बैन
148 दिन के भीतर 267 ऐप्स पर बैन लगाया जा चुका , ज्यादातर ऐप चाइनीज
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 24 नवंबर 2020। केंद्र सरकार ने मंगलवार को 43 मोबाइल ऐप पर बैन लगा दिया। केंद्र ने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 69A के तहत ये बैन लगाया है। केंद्र ने बताया कि ये ऐप ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं, जिनसे देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
बैन की गईं 43 ऐप्स में से 14 डेटिंग, 8 गेमिंग ऐप्स, 6 बिजनेस और फाइनेंस और एक इंटरटेनमेंट ऐप है।
टिकटॉक के बाद एक और पॉपुलर ऐप पर स्नैक वीडियो एक्शन
चीनी ऐप टिकटॉक को बैन कर चुकी केंद्र सरकार ने अब पॉपुलर चैट ऐप स्नैक वीडियो को बैन किया है। ये सिंगापुर बेस्ड चाइनीज सॉफ्टवेयर कंपनी है। इसके 10 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं। टिकटॉक बैन होने के बाद यूजर्स के लिए ये सबसे बड़ा ऑप्शन बनी और महज 2 महीनों के अंदर करीब 5 करोड़ यूजर्स बढ़ गए। सबसे ज्यादा यूजर्स भारत में हैं।
केंद्र ने 4 बार ऐप्स के खिलाफ एक्शन लिया
- पहली बार सरकार ने 29 जून को 59 चीनी ऐप्स बैन कर दिए थे। तब भी ऐप्स को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया था। गलवान झड़प के बाद ये फैसला लिया गया।
- 27 जुलाई को भी 47 ऐप बैन किए गए थे। सरकार ने यह कदम तब उठाया था, जब लद्दाख में तनाव बढ़ रहा था और चीनी सैनिकों ने दो बार घुसपैठ की कोशिश की थी।
- 2 सितंबर को सरकार ने पबजी समेत 118 ऐप्स को बैन किया था। पबजी को 17.5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने डाउनलोड किया है।
- अब 24 नवंबर को एक बार फिर सरकार ने 43 मोबाइल ऐप्स बैन की हैं। केंद्र ने यह फैसला इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर की गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर लिया है।
इन 43 ऐप्स को किया गया बैन
148 दिनों में 267 ऐप्स बैन किए गए
गलवान झड़प 15 जून को हुई थी। चीन को कड़ा संदेश देने और उस पर दबाव बनाने के लिए सरकार ने पहली बार चीनी ऐप्स बैन किए। इसके बाद 148 दिन के भीतर 267 ऐप्स पर बैन लगाया जा चुका है और इनमें ज्यादातर ऐप चाइनीज हैं।
ट्रम्प ने भी किया था चीनी ऐप्स को बैन, पर बाइडेन ने स्थिति स्पष्ट नहीं की
अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन ने 18 सितंबर को वीचैट और टिकटॉक जैसे चीनी ऐप्स को बैन किया था। 20 सितंबर से यह बैन लागू होना था और 12 नवंबर को पूरी तरह से ऐप्स को बंद किया जाना था, लेकिन मामला अदालतों में उलझा रहा। ट्रम्प प्रशासन अक्टूबर में भी प्रयास कर रहा था कि बैन लागू रहे। हालांकि, अब चुनाव के बाद प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। इस वजह से यह बैन फिलहाल प्रभावी नहीं है।