छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 20 अप्रैल 2024। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने क़ानून मंत्रालय की तरफ से नए कानूनों को लेकर आयोजित एक कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. इस दौरान सीजेआई ने कहा कि इन 3 नए कानूनों से भारतीय समाज में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी. उन्होंने कहा कि नए कानून भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में अभूतपूर्व बदलाव लाएंगे और पीड़ित पर भी ध्यान दिया जाएगा. CJI ने कहा कि पुराने क़ानून की सबसे बड़ी खामी उनका बहुत पुराना होना था. वो क़ानून 1860, 1873 से चले आ रहे थे. नए कानून संसद से पारित होना इस बात का साफ संदेश है कि भारत बदल रहा है और हमें मौजूदा चुनौतियों के लिए नए तरीके चाहिए।
नए कानूनों में रखा गया कई बातों का ध्यान
देश के चीफ जस्टिस ने कहा कि पुराने तरीकों की सबसे बड़ी खामी पीड़ित पर ध्यान न होना था. नए कानून में इस बात का ध्यान रखा गया है कि अभियोजन और जांच कुशलता से हो सके, इसके साथ पीड़ित के हितों का भी ध्यान रखा गया है. छापेमारी के दौरान साक्ष्यों की ऑडियो विजुअल रिकॉर्डिंग अभियोजन पक्ष के साथ साथ नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने हाल ही में 7000 करोड़ रुपए का बजट न्यापालिका के लिए आवंटित किया है, जिसका इस्तेमाल अदालतों के अपग्रेडेशन में किया जा रहा है।
नए कानून नई जरूरतों के लिए
सीजेआई ने कहा कि नवंबर और 31 मार्च के बीच 850 करोड़ रुपए हार्डवेयर और सॉफ्ट वेयर को अपग्रेड करने में खर्च किए गए है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह हमेशा से घरेलू डिजिटल कोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की हिमायत करते रहे हैं. फॉरेंसिक टीम की मौजूदगी जांच में मददगार होगी. उन्होंने कहा कि नए कानून नई जरूरतों के लिए हैं, लेकिन हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त रूप से विकसित हो और जांच अधिकारीयों को ट्रेनिंग मिले.
“पुराने कानूनों में कई खामियां”
सीजेआई ने कहा कि बीएनएसएस ( भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में) में ट्रायल और फैसले के लिए टाइमलाइन तय होना एक सुखद बदलाव है, लेकिन कोर्ट में इंफ्रास्ट्रक्चर भी होना चाहिए वरना इसे हासिल करना मुश्किल हो जाएगा. हाल ही में उन्होंने सभी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी है कि सभी स्टेक होल्डर्स पुलिस, कोर्ट्स आदि को नए कानूनों के लिए ट्रेनिंग दी जाए. डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की खामी यह है कि गंभीर और छोटे मोटे अपराधों को एक ही नजरिए से देखा जाता रहा है. नए कानून में इसमें भी बदलाव किया गया है, लेकिन सबसे बड़ी जरूरत अपनी सोच को बदलने की है. पुलिस रिसोर्सेज को बढ़ावा देने की ज़रूरत हैद।