छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
भोपाल 04 जनवरी 2024। मध्य प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद से शुरू हुआ लाउडस्पीकर को लेकर विवाद अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। खंडवा में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर की आवाज को पूरी तरह बंद करने को लेकर जिला प्रशासन ने बुधवार देर शाम शहर की सभी धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों के साथ पुलिस कंट्रोल रूम में मीटिंग रखी थी। मीटिंग में जिला प्रशासन के इस फरमान के खिलाफ शहर काजी का जमकर आक्रोश देखने को मिला। यही नहीं, बैठक के दौरान खंडवा शहर काजी ने साफ शब्दों में प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि हम सब कानून के मानने वाले लोग हैं। हमारी गुजारिश है कि आप हमारे साथ ऐसा कोई व्यवहार न करें, जिससे हमको मजबूरन सड़कों पर आना पड़े। बता दें कि यहां जिला प्रशासन इससे पहले धार्मिक स्थलों पर एक चिलम (पीए हॉर्न स्पीकर) लगाने के फरमान के साथ ही उनका ऑडियो डेसीबल टेस्ट भी पूरा कर चुका है।
खंडवा जिले के पुलिस कंट्रोल रूम में बुधवार देर शाम जिला प्रशासन ने शहर के सभी धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों के साथ एक मीटिंग का आयोजन किया था। इसमें खंडवा एसडीएम अरविंद चौहान और सीएसपी अरविंद तोमर सहित शहर काजी सैयद निसार अली के साथ ही सभी मस्जिद कमेटियों के प्रमुख और सिख एवं हिंदू धार्मिक संस्थाओं के प्रमुख भी मौजूद थे। मीटिंग की शुरुआत में ही SDM चौहान ने सभी को बताया कि जिले में 55 डेसीबल की आवाज के पैरामीटर का वायलेशन हो रहा है। इस आवाज की कैटेगरी में कोई भी साउंड सिस्टम नहीं आता है, इसलिए पड़ोस के जिलों की तरह ही हमें भी जितनी भी धार्मिक संस्थाएं हैं वहां से सभी तरह के साउंड सिस्टम को हटाना है। वहीं सीएसपी तोमर ने भी सभी से कहा कि अब आप लोग किसी भी धार्मिक स्थल में किसी भी प्रकार के ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग नहीं करेंगे, और यह अकेले खंडवा का नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का निर्णय है।
प्रशासन ने पहले कहा था, देंगे परमिशन
जिला प्रशासन के इस एक तरफा निर्णय के बाद बैठक में मौजूद लोगों ने इस निर्णय का विरोध करना शुरू कर दिया। इस दौरान वहां मौजूद खंडवा शहर काजी सैयद निसार अली ने जिला प्रशासन के अधिकारियों से कहा कि खंडवा के तमाम लोगों ने जिला प्रशासन का साथ मिलकर अपनी अपनी इबादत गाहों से मस्जिदों से सारे साउंड सिस्टम (चिलम ) निकाल लिए। सिर्फ एक सिस्टम (चिलम) रहने दिया। प्रशासन ने उस वक्त कहा था सबको परमिशन देंगे, आप परमिशन मांगो। सभी ने परमिशन के लिए आवेदन भी दिया। अब आज प्रशासन हमको यह कह रहा है कि सारे साउंड सिस्टम उतारने होंगे मस्जिदों से, मंदिरों से, गुरुद्वारे से। प्रशासन ने इस दौरान हमको दो जगह के हवाले दिए खरगोन और बड़वानी। आप हमें इंदौर का हवाला दें। वहां एक भी साउंड सिस्टम नहीं हटा है।
नास्तिकों का नहीं, धर्म के मानने वालों का है देश
बैठक के दौरान शहर काजी निसार अली ने कहा कि हम सब धार्मिक प्रवृत्ति के लोग हैं। यह नास्तिकों का देश नहीं है। यह धर्म को मानने वाले लोगों का देश है। धर्म के आधार पर कानून के आधार पर यह देश चलेगा। आप साउंड चेक करने की डिवाइस के हिसाब से साउंड चेक करके सिस्टम लगवाएं। यह नहीं चलेगा कि सभी धार्मिक स्थलों से आप साउंड सिस्टम पूरी तरीके से हटा दो। आदेश जो भी हो, तमाम लोग उस चीज का पालन करेंगे। लेकिन यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा की इबादत की जगह से अजान की आवाज, कीर्तन की आवाज और भजन की आवाज बंद करके आप इसको बंद करके नास्तिकता का सबूत दें। हमारी गुजारिश है की आप हमारे साथ ऐसा कोई व्यवहार ना करें, ताकि हमको मजबूरन सड़कों पर आना पड़े।