छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
कपड़े से बने मास्क वायरस से बचाने में कारगर हैं, लेकिन उन्हें हर उपयोग के बाद उच्च तापमान पर रोज धोना जरूरी है। ऐसा करने पर ही ये मास्क सार्स कोव-2 जैसे वायरस से बचाव कर सकता है, जो कि कोविड-19 संक्रमण का कारण बनता है। एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है।
ऑस्ट्रेलिया में न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय से प्रोफेसर रैना मैकइंटायर ने कहा कि कपड़े के मास्क और सर्जिकल मास्क दोनों को उपयोग के बाद ‘दूषित’ माना जाना चाहिए। सर्जिकल मास्क उपयोग के बाद नष्ट कर दिए जाते हैं, लेकिन कपड़े से मास्क बार-बार उपयोग किए जाते हैं। कपड़े के मास्क को कई बार पहनने, उनसे हाथ पोंछने आदि से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
बीएमजे ओपन जर्नल में प्रकाशित हुआ अध्ययन
नया अध्ययन बीएमजे ओपन जर्नल में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने स्वास्थ्यकर्मियों के साल 2011 के आंकड़ों का गहराई से अध्ययन किया। इसमें उन्होंने इस बात की जानकारी प्राप्त की कि क्या स्वास्थ्य कर्मियों ने अपने मास्क दैनिक आधार पर धोए थे। अगर हां, तो उन्होंने अपने मास्क कैसे धोए। शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि यदि अस्पताल में कपड़े धोने के स्थान पर मशीन में धोए कपड़े के मास्क सर्जिकल मास्क की तरह प्रभावी थे।
मास्क को हाथ से धोना सुरक्षित नहीं
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सार्स कोव-2 का परीक्षण नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने अपने श्वसन में इन्फ्लूएंजा, राइनोवायरस और मौसमी कोरोना वायरस जैसे सामान्य श्वसन रोगजनकों को शामिल किया।
इस अध्ययन में पाया गया कि मास्क को हाथ से धोने में पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिली। जिन स्वास्थ्यकर्मियों ने कपड़े के मास्क को हाथ से धोया था, उनमें मशीन से मास्क धोने वाले कर्मचारियों की तुलना में संक्रमण का खतरा दोगुना था।
पहनने से पहले हर बार धोएं मास्क
डब्ल्यूएचओ ने मशीन से धोए जाने वाले मास्क को 60 डिग्री सेल्सियस पर गर्म पानी से धोने की सलाह दी है। मैक्लेन्टेयर ने कहा कि इस शोध से स्पष्ट संदेश यह है कि कपड़े से बने मास्क काम करते हैं, लेकिन इसे दोबारा पहने जाने से पहले हर बार ठीक से धोया जाना चाहिए।