छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 23 अक्टूबर 2023। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने रविवार को कहा कि भविष्य में मानवयुक्त मिशनों में महिला लड़ाकू टेस्ट पायलटों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। उन्होंने साफ किया कि गगनयान में फिलहाल महिला पायलटों को भेजने की संभावना बहुत कम है, क्योंकि कोई महिला टेस्ट पायलट हैं ही नहीं। भविष्य में जब वे उपलब्ध होंगी, तब उन्हें ही प्राथमिकता दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि करीब 9 हजार करोड़ रुपए खर्च करके भारत 3 अंतरिक्ष यात्रियों को तीन दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजने के लिए गगनयान मिशन पर काम कर रहा है। इसके सभी पक्षों और खासतौर पर अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा को लेकर खास ध्यान रखा जा रहा है। शनिवार को ही पहला गगनयान उड़ान परीक्षण हुआ, जिसमें क्रू-एस्केप मॉड्यूल को सफलता से परखा गया। मिशन साल 2024 के आखिर या 2025 में भेजा जा सकता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा, ‘इसमें शक नहीं कि महिला पायलटों को प्राथमिकता दी जा सकती है, लेकिन हमें इसकी संभावना भविष्य में तलाशनी होगी। फिलहाल शुरुआती उम्मीदवारों का चयन भारतीय वायुसेना के लड़ाकू टेस्ट पायलटों में से किया गया है। वे कुछ अलग श्रेणी के पायलट हैं। इस समय हमारे पास महिला लड़ाकू टेस्ट पायलट ही नहीं हैं। जब वे होंगी, तब इस बारे में सोचा जाएगा।’
वैज्ञानिक बनेंगे अंतरिक्ष यात्री, तब महिलाओं के लिए बढ़ेगी संभावना
सोमनाथ ने कहा, जब वैज्ञानिक गतिविधियां बढ़ेंगी, तो वैज्ञानिकों को ही अंतरिक्ष यात्री बनाया जा सकेगा। उन्हें विश्वास है कि उस समय महिलाओं के लिए संभावना बढ़ेगी। इसरो गगनयान मिशन के परीक्षणों के दौरान एक मानव-रहित उड़ान में रोबोट भी भेजेगा, जिसे महिला जैसा नजर आने वाला बनाया गया है।
साल 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन काम करने लगेगा
सोमनाथ ने बताया कि इसरो ने साल 2035 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन अंतरिक्ष में स्थापित करने का लक्ष्य बनाया है। उसी वर्ष से इसका संचालन भी शुरू हो जाएगाा। उल्लेखनीय है कि इस समय के दो अंतरिक्ष स्टेशन अंतरिक्ष में स्थापित हैं। इनमें से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) को 1998 में नासा (अमेरिका), रॉसकॉसमॉस (रूस), ईएसए (यूरोपीय संघ), सीएसए (कनाडा) और जाक्सा (जापान) ने मिलकर भेजा था। वहीं चीन ने साल 2021 में तियांगोंग स्पेस स्टेशन भेजा।
लॉन्च पैड पर हुई गड़बड़ तो अंतरिक्ष यात्रियों को ढाई किमी ऊंचा उड़ा ले जाएगी बचाव प्रणाली
इसरो ने पहली गगनयान परीक्षण उड़ान (टीवी – डी1) में बताया कि मिशन में कोई गड़बड़ी होने पर किस प्रकार क्रू मॉड्यूल में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को क्रू एस्केप मॉड्यूल (सीईएस) पृथ्वी से 17 किमी ऊंचाई से बचाकर लाएगा। इसके साथ उत्सुकता भी बढ़ी है कि अगर प्रक्षेपण से पहले लॉन्च पैड पर ही कोई हादसा हो जाए, तो सीईएस प्रणाली कैसे काम करेगी? जवाब है कि ऐसा होने पर सीईएस प्रणाली लॉन्च पैड से ही अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर 2.5 किमी ऊंचाई पर उड़ जाएगी। यह लॉन्च पैड से कम से कम 400 मीटर दूर उन्हें उतारेगी।
इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ व चार अन्य वैज्ञानिकों के शोध पत्र ‘इवॉल्यूशन ऑफ क्रू एस्केप सिस्टम फॉर गगनयान’ में में बताया गया है कि लॉन्च पैड पर कोई गड़बड़ी होने पर सीईएस में लगे इंजन पूरे क्रू मॉड्यूल को 2.5 किमी ऊंचाई पर ले जाने की क्षमता रखते हैं। 2.5 किमी इसलिए क्योंकि किसी पायलट पैराशूट प्रणाली को ठीक से काम करने के लिए कम से कम इतनी ऊंचाई चाहिए होती है।
खतरे, हादसे और आशंकाएं
अंतरिक्ष में मानव को भेजने के मिशन बेहद खतरनाक माने जाते हैं। ऐसे मिशन और इनकी तैयारियों के दौरान अब तक विश्व में 188 वैज्ञानिक, प्रशिक्षक, टेस्ट पायलट, अंतरिक्ष यात्री आदि मारे गए हैं। इनमें से 19 अंतरिक्ष यात्री 5 हादसों में मारे गए हैं। अमेरिकी वायुसेना के आंकड़ों के अनुसार मिशन में शामिल हुए अंतरिक्ष यात्रियों में से 2.3 प्रतिशत की मौत ऐसे हादसों में होती है।