चंद्रयान 3: प्रज्ञान के बाद चंद्रमा की रात शुरू होने से पहले विक्रम भी सो गया, इस दिन को दोनों फिर जागेंगे

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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर

नई दिल्ली 05 सितम्बर 2023। इसरो ने लैंडर विक्रम को सोमवार सुबह 8 बजे स्लीप मोड में भेज दिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि इसके उपकरणों द्वारा जमा किए गए डाटा को पृथ्वी पर भेजने के बाद इन्हें भी बंद कर दिया गया। हालांकि, लैंडर के रिसीवर को ऑन रखा गया है। इससे पहले चंद्रयान 3 मिशन में लैंडर के साथ भेजे गए रोवर प्रज्ञान को भी 2 सितंबर को पूरी तरह चार्ज करने के बाद स्लीप मोड में भेज दिया गया था। दोनों को आसपास रखा गया है। सौर ऊर्जा खत्म होने और बैटरी पूरी तरह खत्म होने बाद वे गहन निद्रा में चले जाएंगे। 

इसरो के अनुसार इससे पूर्व विक्रम ने हॉप-टेस्ट में जब अपनी जगह को बदला तो उसके उपकरणों चास्टे, रंभा एलपी और इल्सा ने नई जगह पर भी कुछ और परीक्षण किए। इनका डाटा विक्रम ने पृथ्वी को भेज दिया है। चंद्रमा का एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है। अब वहां रात्रि शुरू हो रही है, जिसकी वजह से सौर ऊर्जा बेहद कम मात्रा में मिल पाती है, इसे देखते हुए उन्हें समय रहते स्लीप मोड में भेज दिया गया है। 

करना है माइनस 250 डिग्री की ठंड का सामना 
इसरो के अनुसार उसे उम्मीद है कि 22 सितंबर को जब नया चंद्र दिवस शुरू होगा और रोवर व लैंडर दोनों को सौर ऊर्जा मिलने लगेगी, वे फिर से जागृत हो सकते हैं। हालांकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पहले से कठोर हालात रात के समय और भी विकट हो जाते हैं। उन्हें विकिरणों से लेकर माइनस 180 से 250 डिग्री सेल्सियस तक की ठंड झेलनी है। इसके बाद इन मशीनों के फिर से काम करने लायक रहने की संभावनाएं कम हैं।

ठंड में काम लेना जोखिमपूर्ण था इसलिए समय रहते किया बंद
इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार 23 अगस्त को लैंडिंग के बाद से विक्रम और प्रज्ञान ने सभी परीक्षण सफलता से पूरे कर लिए थे। रात के समय तापमान में भारी गिरावट की वजह से अगर उपकरणों को और काम में लिया जाता, तो उन्हें बड़ा नुकसान पहुंच सकता था। इसी वजह से इन्हें समय रहते बंद किया गया है। अब इन्हें तापमान बढ़ने पर ही फिर से शुरू किया जाएगा। 18 दिन बाद अगर उपकरण फिर से काम करने लगते हैं, तो विभिन्न परीक्षणों को फिर से अंजाम दिया जा सकेगा।

इसरो के सूत्रों के अनुसार विक्रम और प्रज्ञान को हर 10 से 14 दिन में बंद करने और फिर से शुरू करके काम लेने की रणनीति कामयाब रही तो इसे कई बार दोहराया जा सकता है। इससे मिशन की तय उम्र सीमा यानी 14 दिन के बजाय कहीं अधिक समय तक उपयोग में लाया जा सकता है।

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