छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 04 मार्च 2023। देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि फर्जी खबरों के युग में सच्चाई ‘शिकार’ बन गई है। सोशल मीडिया के प्रसार के साथ छोटी सी कही हुई कोई बात भी बिना तर्क की कसौटी पर कैसे वर्चुअल रूप से व्यापक सिद्धांत का रूप ले लेती है। सीजेआई ने कहा कि आज हम एक ऐसे युग में रह रहे हैं जहां लोगों में धैर्य और सहनशीलता नहीं है, क्योंकि वे अपने से भिन्न दृष्टिकोणों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ यहां अमेरिकन बार एसोसिएशन इंडिया कांफ्रेंस 2023 को संबोधित कर रहे थे, जिसका विषय था ‘वैश्विकरण के युग में कानून: भारत और पश्चिम का मिलन’।
सीजेआई ने विभिन्न मुद्दों पर बात की, जिसमें तकनीक और न्यायपालिका में इसके उपयोग, खासकर कोरोना संकट के दौरान, न्यायिक पेशे के समक्ष उत्पन्न चुनौतियां और अधिक महिला न्यायाधीशों का मामला शामिल है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कई मायनों में भारतीय संविधान वैश्वीकरण के युग में प्रवेश करने से पहले ही वैश्वीकरण का एक प्रमुख उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि जब भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया गया था, तो इसके निर्माताओं को संभवतः इस बात का अंदाजा नहीं था कि मानवता किस दिशा में विकसित होगी। उन्होंने कहा कि हमारे पास निजता की धारणा नहीं थी, इंटरनेट नहीं था। हम उस दुनिया में नहीं रहते थे जिसे एल्गोरिदम द्वारा नियंत्रित किया जाता था। हमारे पास निश्चित रूप से सोशल मीडिया नहीं था।
सीजेआई ने कहा कि हर छोटी चीज के लिए जो हम करते हैं, आप जो कुछ भी करते हैं, उसके लिए आपको किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने का खतरा होता है, जो आपकी बात से सहमत नहीं है। और मेरा विश्वास करें, न्यायाधीशों के रूप में हम इसके अपवाद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह यात्रा और तकनीकी के वैश्विक आगमन के साथ मानवता का विस्तार हुआ है, वैसे ही मानवता भी कुछ भी स्वीकार करने की इच्छा न रखते हुए पीछे हट गई है, जिसमें लोग व्यक्तिगत रूप से विश्वास करते हैं। और मुझे विश्वास है कि यह हमारे युग की चुनौती है।
उन्होंने प्रौद्योगिकी के सकारात्मक पहलुओं पर भी विचार करते हुए कहा कि इनमें से कुछ शायद प्रौद्योगिकी का ही उत्पाद है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वैश्वीकरण ने खुद के असंतोष को जन्म दिया है और इसके कई कारण हैं। मंदी भी इसका ही एक कारण है, जो दुनिया भर में अनुभव की गई है। सीजेआई ने कहा कि उनसे अक्सर पूछा जाता है कि देश में अधिक महिला न्यायाधीश क्यों नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि समावेश और विविधता के मामले में आज हमारे संस्थान की जो स्थिति है वह दो दशक पहले पेशे की स्थिति को दर्शाती है। क्योंकि जो न्यायाधीश आज 2023 में उच्च न्यायालयों में आते हैं या जो न्यायाधीश 2023 में सर्वोच्च न्यायालय में आते हैं, मिलेनियम की शुरुआत में बार की स्थिति को दर्शाते हैं।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि जब तक 2000 और 2023 के बीच कानूनी पेशे में प्रवेश करने और फलने-फूलने के लिए महिलाओं को एक समान अवसर नहीं मिलता, तब तक कोई जादू की छड़ी नहीं है जिसके द्वारा आप 2023 में महिलाओं में से शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों को चुनेंगे।