
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
भोपाल 22 फरवरी 2023। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों का काउंटडाउन शुरू हो गया है। सिर्फ सात-आठ महीने का समय बचा है। ऐसे में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों को धार देना शुरू कर दिया है। भाजपा की विकास यात्राएं अपने शबाब पर हैं, जिसमें प्रशासन की मदद से विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को साधा जा रहा है। वहीं, कांग्रेस ने भी प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साझा नेतृत्व में आगे बढ़ने का फैसला किया है। कमलनाथ पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर बैठकर रणनीति बनाएंगे तो वहीं दिग्विजय सिंह दौरे करेंगे। फिलहाल इस पर काम शुरू हो गया है।
कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जुगलबंदी पर भले ही भाजपा के आला नेता निशाने साध रहे हो, लेकिन कांग्रेस के प्रचार अभियान की धुरी इनके ईर्द-गिर्द ही बन रही है। दोनों ने मिलकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के लिए मध्यप्रदेश से डेलिगेट्स की सूची को फाइनल किया। इसी वजह से दोनों के करीबी नेता इस लिस्ट में देखे जा रहे हैं। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के गले मिलते हुए और साथ के फोटो पिछले दिनों वायरल हुए थे। इसमें भी दोनों नेता कह चुके हैं कि हम मिलकर काम करेंगे। उनकी गतिविधियां भी इसी दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
दोनों के बीच खटपट की बात हुई पुरानी
भारत जोड़ों यात्रा के दौरान दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच मनमुटाव की अटकलें लगी थी। इसके चलते ही राहुल गांधी ने दोनों नेताओं को मंच पर गले भी मिलाया था। भारत जोड़ो यात्रा खत्म होने के बाद दोनों को यह समझ आ गया है कि मध्यप्रदेश जीतने के लिए आपसी कड़वाहट को मिटाना होगा। दोनों परिपक्व नेता हैं और दोनों की समन्वित कदमताल बता रही है कि दोनों ही इसे गंभीरता से ले रहे हैं। दोनों की मिली-जुली ताकत ही थी जो 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एकजुटता के साथ चुनाव लड़ी और 2018 के 58 सीटों से 114 सीटों तक पहुंच गई थी। उसके बाद जो भी हुआ, वह इतिहास बन चुका है।
हारी सीटों पर दिग्विजय सिंह का फोकस
दिग्विजय सिंह ने 17 फरवरी को भोपाल की हारी हुई सीटों पर कार्यकर्ताओं से बातचीत की। फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सीट बुदनी (सीहोर) भी पहुंचे। उनका टारगेट ऐसी सीटों पर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने का है, जहां पार्टी दो-तीन चुनाव से हार रही है। इसी सिलसिले में उनके प्रदेशव्यापी दौरे शुरू हो चुके हैं। कुल मिलाकर 60 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस पिछले दो-तीन चुनाव लगातार हारी है। इन सीटों के लिए पार्टी ने अलग से रणनीति बनाई है। शुरुआत में दिग्विजय सिंह जा रहे हैं और वहां के कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे हैं ताकि उन्हें एकजुट बनाया जा सके।
सर्वे कर मजबूत उम्मीदवार की रिपोर्ट बनाएंगे
दिग्विजय सिंह हारी हुई सीटों पर जाकर एक तीर से की निशाने साध रहे हैं। मंडलम, सेक्टर और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं। रुठे कार्यकर्ताओं को मना रहे हैं। उन्हें फिर से पार्टी और अभियान से जोड़ रहे हैं। ऐसे कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ा रहे हैं, जो पिछले कुछ समय से राजनीतिक दुर्भावनावश मुकदमों का सामना कर रहे हैं। चुनावों तक एकजुट रहने के गुर भी सिखा रहे हैं। ग्राउंड लेवल पर लगातार दौरों के बाद दिग्विजय सिंह एक सर्वे रिपोर्ट तैयार करेंगे। वहां के मजबूत उम्मीदवार के नामों को पता करेंगे और यह रिपोर्ट कमलनाथ को सौंपेंगे। फिलहाल हारी हुई सीटों पर जा रहे हैं, लेकिन इसके बाद उनके दौरे कांग्रेस की सीटों पर भी होंगे। वहां के जमीनी हालात पर भी वह रिपोर्ट सौंपने वाले हैं।
जनता से मिलकर रणनीति बना रहे हैं कमलनाथ
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ का जोर भी उन सीटों पर हैं, जिन पर पार्टी लगातार हार रही है। वह भी ऐसी सीटों को चिह्नित कर दौरे कर रहे हैं। कोशिश हो रही है कि हर एक सीट के लिए अलग रणनीति हो। इसके लिए रोजाना लोगों से मिल रहे हैं और उनकी नाराजगी के मुद्दे समझने की कोशिश भी कर रहे हैं।