छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 22 फरवरी 2023। आम आदमी पार्टी सरकार पर सीबीआई का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। फीडबैक यूनिट के जरिए विपक्षी दलों पर जासूसी कराने के आरोपों से घिरे दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केस चलाने की मंजूरी दे दी है। गौरतलब है कि दिल्ली की नई आबकारी नीति के बाद 2015 में दिल्ली सरकार की ओर से गठित फीडबैक यूनिट (एफबीयू) की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्रारंभिक जांच के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश की गई थी।
उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने इस मामले में कार्रवाई के लिए सीबीआई के अनुरोध को गृह मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रपति को भेज दिया था। इसे अब केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी मिल गई है। सीबीआई की जांच में सामने आया कि कथित तौर पर खुफिया राजनीतिक जानकारियां इकट्ठा करने के लिए एफबीयू गठित की गई थी।
गृहमंत्रालय के फैसले के बाद आया डिप्टी सीएम की प्रतिक्रिया
केंद्र से एफबीयू मामले में केस चलाने की अनुमति मिलने के बाद मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, ‘अपने प्रतिद्वंदियों पर झूठे केस करना एक कमजोर और कायर इंसान की निशानी है। जैसे-जैसे आम आदमी पार्टी बढ़ेगी, हम पर और भी बहुत केस किए जाएंगे।
भाजपा ने किया स्वागत
भाजपा नेता वीरेंद्र सचदेव ने कहा, दिल्ली की जनता मनीष सिसोदिया पर FBU जासूसी कांड में मुकदमा चलाए जाने की प्रशासनिक अनुमति का स्वागत करती है, हमें विश्वास है कि मनीष सिसोदिया इस आरोप मे जेल जाएंगे। भाजपा मांग करती है कि सीबीआई तुरंत सिसोदिया को गिरफ्तार करे और इस कांड के असल अभियुक्त अरविंद केजरीवाल पर भी जांच हो।
2015 में इसलिए गठित हुई एफबीयू
2015 में आम आदमी पार्टी सरकार ने सत्ता में आने के बाद सतर्कता विभाग को और सुदृढ़ करने के लिए एफबीयू गठित की थी। आरोप है कि इस इकाई के जरिये राजनीतिक जासूसी करवाई जा रही थी। इस मामले की प्राथमिक जांच के बाद सीबीआई ने उपराज्यपाल को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के लिए गठित एफबीयू ने कथित तौर पर राजनीतिक खुफिया जानकारी हासिल की थी। सीबीआई ने कहा है कि आप सरकार ने दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र के विभागों, स्वायत्त निकायों, संस्थानों और संस्थाओं के कामकाज के सिलसिले में जानकारी हासिल करने और ट्रैप के लिए 2015 में एफबीयू की स्थापना की थी। इस इकाई के गोपनीय सेवा व्यय के लिए एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया और 2016 में यूनिट ने कामकाज शुरू कर दिया था।
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में एक कैबिनेट बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव पास किया, लेकिन एजेंडा नोट प्रसारित नहीं किया गया था। एफबीयू में नियुक्तियों के लिए उपराज्यपाल से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी।
सीबीआई ने रिपोर्ट में लगाए ये आरोप
एफबीयू ने राजनीतिक खुफिया और कई गोपनीय जानकारियां भी एकत्रित कीं। सीबीआई ने दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग के एक संदर्भ पर प्रारंभिक जांच शुरू की। सतर्कता विभाग ने एफबीयू में अनियमितताओं का खुलासा किया था। रिपोर्ट के अनुसार प्रथमदृष्टया दोषी लोक सेवकों द्वारा नियमों, दिशानिर्देशों का जानबूझकर उल्लंघन किया गया।
सीबीआई की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि उल्लंघन की प्रकृति को देखकर लगता है, जानबूझकर बेईमानी के इरादे से एफबीयू बनाई गई। इससे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और तत्कालीन सचिव (सतर्कता) सुकेश कुमार जैन की ओर से बेईमान इरादे से अपने पद का दुरुपयोग किया गया। एफबीयू की ओर से तैयार की गई 60 प्रतिशत रिपोर्ट सतर्कता और भ्रष्टाचार, जबकि 40 फीसदी मामले राजनीतिक खुफिया जानकारी के थे। सिसोदिया व सुकेश जैन के अलावा दूसरे अधिकारियों पर एफआइआर दर्ज करने की सिफारिश की गई है। इनमें सीआईएसएफ के पूर्व महानिदेशक आरके सिन्हा, आईबी के पूर्व संयुक्त उप सचिव, सीआईएफएफ के सहायक कमांडेंट सतीश खेत्रपाल व मुख्यमंत्री के सलाहकार गोपाल मोहन भी शामिल हैं।