छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
रायपुर 01 नवबंर 2022। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस एक नवंबर और राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की बधाई दी। उन्होंने कहा कि, दुनियाभर के आदिवासी समाज के नृत्य की कलाएं बहुत हद तक समान हैं। आदिवासियों की छोटी सी इच्छा यही है कि प्रकृति पर पूरी मनुष्यता का समान अधिकार हो और मिलजुलकर संरक्षण करें। उन्होंने कहा कि इस डांस फेस्टिवल का उद्देश्य भी आदिम संस्कृति को बचाए रखना है। इससे पहले मुख्यमंत्री बघेल ने दीप प्रज्वलित कर और आदिवासी नगाड़ा बजाकर नृत्य महोत्सव का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्हें छत्तीसगढ़ी गमछा पहनाया गया।
आदिवासी संस्कृति के प्रयास का बढ़ेगा दायरा
रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में शुरू हुए फेस्टिवल में मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बचाए रखने के लिए हमने बहुत काम किया है। आज का क्षण हमारे लिए आत्म गौरव का है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य समारोह का ये तीसरा आयोजन है, लेकिन इसमें देश विदेश के 1500 कलाकार प्रस्तुति देंगे। हम सभी आए हुए कलाकारों का स्वागत करते हैं। CM बघेल ने कहा कि, इससे आदिवासी संस्कृति के प्रसार और विनिमय का दायरा बढ़ेगा।
आदिम नृत्य की परंपरा एक से दूसरी पीढ़ी में आई
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि, मनुष्य का इतिहास जितना पुराना है उतना ही पुराना नृत्य का इतिहास है। दुनियाभर के आदिवासियों की नृत्य शैली, वाद्ययंत्र में समानता है। आदिम नृत्य की यह परंपरा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आई है, इस तरह से हम आज यहां पहुंचे हैं। समय के बदलाव के साथ जीवन के तौर तरीके में बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि, इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों की परंपरा को बचाए रखने और पूरी दुनिया की आदिम संस्कृति आगे बढ़ाने से है।
पोस्टल स्टैंप और कॉफी टेबल बुक का विमोचन
उन्होंने कहा कि, प्रकृति पर पूरी मनुष्यता का एक जैसा अधिकार हो, सभी प्रकृति का संरक्षण करें। विकास की गलत अवधारणा के कारण आज प्रकृति ही खतरे में पड़ गई है। छत्तीसगढ़ आदिवासियों और किसानों का प्रदेश है। राज्य के आंदोलन में जिन मूल्यों को लेकर आंदोलन हुआ, हमारी सरकार उस सोच को लेकर आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री बघेल को पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू ने गौरसिंह पहनाया। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के पोस्टल स्टैम्प और 2021 की कॉफी टेबल बुक का विमोचन भी किया।