अब छत्तीसगढ़ के वन विभाग में बेरोजगार इंजीनियरों/राजमिस्त्रियों को भी मिल सकेंगे रोजगार के अवसर और निर्माण कार्य निविदा आमंत्रण (ठेका पद्धति) से हो सकेंगे।
पूर्व प्रकाशित खबर में “छत्तीसगढ़ रिपोर्टर” ने वन विभाग में बिना निविदा आमंत्रण के कराए गए लाखों रूपए के निर्माण कार्यों और डिग्री लिए भटक रहे बेरोजगार इंजीनियरों की खबर को प्रमुखता से रखा था।
साजिद खान
सरगुजा संभाग 25 अगस्त 2020 (छत्तीसगढ़)। वर्ष 2014 में “छत्तीसगढ़ रिपोर्टर” ने “”घोटालों से भरा छत्तीसगढ़ का वन विभाग”” शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। प्रकाशित खबर को उस वक्त की तत्कालिन छत्तीसगढ़ सरकार ने लगता है कि गंभीरता से नही लिया लेकिन वर्तमान की इस सरकार ने छत्तीसगढ़ रिपोर्टर की पूर्व प्रकाशित इस खबर पर जैसे पक्की मुहर ही लगा दी। 14 जुलाई 2020 को मंत्री- परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुक्रम में वन विभाग में विभिन्न निर्माण कार्य ( भवन, सड़क, स्टाप डेम, पुल-पुलिया,रपटा, चेकडैम, एनिकट, तालाब निर्माण, वाच-टावर, बैरियर निर्माण आदि) ठेका पद्धति से कराए जाने तथा प्रदेश के बेरोजगार इंजीनियरों/ राजमिस्त्रियों को रोजगार के अवसर प्रदान करने हेतू राज्य शासन द्वारा दिशा निर्देश दे दिया गया। वर्ष 2014 में छत्तीसगढ़ रिपोर्टर की पूर्व प्रकाशित खबर में हमने बताया था कि छत्तीसगढ़ के वन विभाग में लाखों रूपए के निर्माण कार्य बिना निविदा के कराए गए। निविदा नही होने से सरकार को राजस्व की हानि हुई। जहां पीडब्ल्यूडी जैसे दूसरे अन्य दूसरे निर्माण एजेंसी वाले विभागों में सिल्वीकल्चलर प्रकिया के तहत निविदा आमंत्रित होने के पश्चात निर्माण कार्य कराए जाते हैं। जिससे सरकार को राजस्व का फायदा होता है। लेकिन वन विभाग के निर्माण कार्यों में ले-आउट देने से लेकर कार्य का मूल्यांकन और कार्य निर्मित होने तक कहीं न कहीं परदे के पीछे अघोषित रूप की ठेकेदारी और अघोषित रूप से अन्य विभाग से इंजीनियरिंग की सेवा ली जाती है। वन विभाग के निर्मित सिविल कार्यों में एक वन रक्षक को व्हाऊचर में लिखकर हस्ताक्षर करना पडता है कि प्रमाणित किया जाता है कि कार्य मेरे द्वारा कराया गया और परिक्षेत्र सहायक को उसी व्हाऊचर में लिखकर हस्ताक्षर करना पड़ता है कि प्रमाणित किया जाता है कि कार्य का निरीक्षण मेरे द्वारा किया गया। भले ही परदे के पीछे उन निर्मित हो चुके कार्यों में अघोषित इंजीनियरिंग और अधोषित ठेकेदारी चली हो। क्या वन रक्षक और परिक्षेत्र सहायक ने सिविल इंजीनियरिंग की योग्यता या डिग्री हासिल की हुए होते हैं ? हमने पूर्व में पीसीसीएफ कार्यालय रायपुर से बगैर पंजीकृत ठेकेदारों से कराए जा रहे निर्माण कार्यों के विषय में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी भी मांगी थी जिसका उल्लेख इस पूर्व प्रकाशित खबर में हैं। बिना निविदा के कराए गए निर्माण कार्यों के ले-आउट और इंजीनियरिंग के संबंध में मांगी गई जानकारी के लिए सरगुजा वनवृत्त के अलग- अलग वनमंडलों के द्वारा दी गई जानकारी का उल्लेख भी इस पूर्व प्रकाशित खबर में है। पूर्व प्रकाशित इस खबर में हमने उल्लेखित किया था कि देश के संविधान की सिल्विकल्चरल प्रकिया के विपरीत जंगल विभाग के आईएफएस जंगल के अंदर हरे पत्तों के बीच दौड रहे हैं। माननीय उच्च न्यायालय इन आईएफएस अफसरों की दौड़ को रोक कर देश की सिल्विकल्चरल प्रकिया के तहत करवाए तो डिग्रीधारी बेरोजगार इंजीनियरों का भला हो जाएगा।
ज्ञात हो कि इस सरकार के मंत्री परिषद द्वारा लिए निर्णय से हमारी पूर्व प्रकाशित खबर पर पक्की मुहर लग गई। अब प्रदेश के वनमंडलों में होने वाले निर्माण कार्यों में बेरोजगार इंजीनियरों/ राजमिस्त्रियों को घोषित औपचारिक रूप से रोजगार का अवसर मिलेगा और वनमंडलों में होने वाले निर्माण कार्य ठेका पद्धति से करवाए जा सकेंगे। बेरोजगार इंजिनियरों को रोजगार और वन विभाग में निर्माण कार्य निविदा आमंत्रण (ठेका पद्धति) से होंगे जो कि हमारी खबर की प्रमुखता थी। छत्तीसगढ़ शासन वन विभाग के उप सचिव अभिषेक कुमार सिंह के १३ अगस्त २०२० के पत्र क्रमांक एफ 2-04/2020/10-2/ बजट के तहत मंत्रि-परिषद की 14 जुलाई 2020 की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुक्रम में वन विभाग में विभिन्न निर्माण कार्य (भवन, स्टाप डेम, पुल-पुलिया, रपटा, चेक डेम, एनिकट, तालाब निर्माण, वाच-टावर, बैरियर निर्माण आदि) ठेका पद्धति से कराए जाने तथा प्रदेश के बेरोजगार इंजीनियरों/ राजमिस्त्रियों को रोजगार के अवसर प्रदान करने हेतू राज्य शासन के दिए गए दिशा निर्देशन जिसमें (1) छत्तीसगढ़ के मूल निवासी जो छत्तीसगढ़ राज्य के अथवा प्रदेश के बाहर के राज्यों के मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग/ पॉलीटेक्निक कालेज से सिविल/ इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिग्री/ डिप्लोमा, मेसन ट्रेड में आई.टी.आई., स्किल डेवलपमेंट इनिशिएटिव योजना, मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना, प्रशिक्षित राजमिस्त्री स्व सहायता समूह, सेक्टर स्किल, काउंसिल का प्रमाण- पत्र (सर्टिफिकेट) प्राप्त होने के वर्ष को छोड़कर ५ वर्षों की अवधि में पंजीकृत करने के पश्चात उन्हे इन शर्तों के अधीन वन विभाग के द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्य सौंपे जाऐंगे। जिसमें (A) एक बेरोजगार इंजिनियर/राजमिस्त्री- सिविल (मेसन) का कार्य क्षेत्र राजस्व जिलों के समूह दंतेवाड़ा, जगदलपुर, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा, राजनांदगांव, कवर्धा, दुर्ग, बालोद, बेमेतरा, रायपुर, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, बलौदाबाजार, जशपुर, कोरिया, अम्बिकापुर, बलरामपुर, सूरजपुर, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, कोरबा, मुंगेली, रायगढ़, गौरेला- पेंड्रा में से एक क्षेत्र होगा। (B) बेरोजगार स्नातक इंजीनियर सिविल/ इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, बेरोजगार डिप्लमा इंजीनियर सिविल/ इलेक्ट्रिकल, राजमिस्त्री (सिविल) को पंजीयन के लिए स्वप्रमाणित प्रमाण- पत्र दिया होगा, कि आवेदक किसी शासकीय या अर्धशासकीय अथवा गैर शासकीय संस्थानों में सेवारत नही है। (C) इनका पंजीयन प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग के कार्यालय में होगा जिसमें पंजीयन शुल्क अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए नि:शुल्क होगा, अन्य वर्ग के लिए पंजीयन शुल्क रूपए १०००/- होगा। (पंजीयन शुल्क, छत्तीसगढ़ शासन, लोक निर्माण विभाग द्वारा, समय-समय पर संसोधन अनुसार लागू होगा)। (D) पंजीयन का एक कार्ड जारी किया जावेगा, जिसमें उसके व्यक्तिगत विवरण के साथ कार्य का भी विवरण होगा। (E) कार्य का विज्ञापन स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों में दिया जावेगा। साथ ही वेबसाइट में भी विज्ञप्ति प्रसारित की जाएगी। (F) बेरोजगार इंजीनियर/ राजमिस्त्री को कुल लागत की १० प्रतिशत राशि विभाग द्वारा कार्य प्रारंभ करने के लिए मोबिलाईजेशन एडवांस दिया जाएगा। अनुसचित जाति एवं जनजाति के बेरोजगार इंजीनियर को १५ प्रतिशत तक यह राशि दी जा सकेगी। विभाग द्वारा एडवांस, वैध बैंक गारंटी के आधार पर प्रदाय किया जाएगा। (G) बेरोजगार इंजीनियर/ राजमिस्त्री को बैंक लोन प्राप्त करने में विभाग, दस्तावेज आदि की पूर्ति में सहायता उपलब्ध कराएगा। (H) यदि कोई बेरोजगार इंजीनियर/राजमिस्त्री आबंटित कार्य को अधूरा छोड़ देता है, तो उसका पंजीयन रद्द किया जा सकेगा। (I) ठेकेदार द्वारा कार्य यदि अधूरा छोड़ दिया जाए तो नियमानुसार संबंधित ठेकेदार से वसूली होगी। (J) अधूरा कार्य सामान्य नियमों के अनुसार अन्य ठेकेदारों/विभागीय तौर पर संपादित होंगे। (2) बेरोजगार स्नातक ( सिविल/इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स), डिप्लोमा अभियंताओं ( सिविल/ इलेक्ट्रिकल), राजमिस्त्रियों ( मेसन) को आबंटित कार्य, ५० प्रतिशत पूर्ण करने पर उन्हे दूसरे कार्य दिए जा सकेंगे, लेकिन एक वर्ष में (1) बेरोजगार स्नातक (सिविल/ इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स), (2) डिप्लोमा अभियंताओं (सिविल/इलेक्ट्रिकल), (3) राजमिस्त्रियों (मेसन) को क्रमश: रूपए २ करोड़ रूपए १ करोड़ एवं ६० लाख की अधिकतम कार्य सीमा होगी। (3) बेरोजगार स्नातक, डिप्लोमा अभियंताओं, राजमिस्त्रियों के लिए आरक्षित कार्यों के प्रथम निविदा आमंत्रण में आमंत्रित निविदाओं में निविदा प्रपत्र A-A में उचित स्वीकृत योग्य निविदा प्राप्त नही होने पर कार्य की निविदा सामान्य ठेकेदारों के लिए आमंत्रित की जा सकेगी। इन निविदाओं में बेरोजगार अभियंता/राजमिस्री भी सामान्य ठेकेदारों के साथ भाग ले सकेंगे। ऐसे प्रकरणों में निविदा प्रपत्र A जिसके आधार पर निविदा आमंत्रित है, पर अनुबंध किया जावेगा। (4) कार्य आबंटन की सीमा में (१) वन विभाग के समस्त नये निर्माण कार्य जिनकी लागत रू. 25 लाख से अधिक तथा रू.50 लाख तक होगी, उसे बेरोजगार स्नातक अभियंता (सिविल/ इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स) को निविदा पद्धति के आधार पर सीमित प्रतिस्पर्धा में संबंधित क्षेत्र ( सिविल/ इलेक्ट्रिकल) के कार्य स्वीकृति योग्य होने पर आबंटित किया जा सकेगा। (२) ऐसे समस्त नये निर्माण कार्य जिनकी लागत रू.१५ लाख से अधिक तथा रू. २५ लाख तक होगी, उसे बेरोजगार डिप्लोमा अभियंता ( सिविल/इलेक्ट्रिकल) को निविदा पद्धति के आधार पर सीमित प्रतिस्पर्धा से संबंधित क्षेत्र (सिविल/इलेक्ट्रिकल) के कार्य स्वीकृति योग्य होने पर आबंटित किया जा सकेगा। (३) समस्त नये निर्माण कार्य जिनकी लागत रू. १५ लाख तक होगी उसे राजमिस्त्री को निविदा पद्धति के आधार पर प्रतिस्पर्धा कर स्वीकृति योग्य होने पर आबंटित किया जा सकेगा। (5) उपरोक्त इन निर्देशों के अतिरिक्त तीन और निर्देश (१) वन विभाग में उपरोक्तानुसार ठेका पद्धति से कराए जाने वाले निर्माण कार्य हेतू, छत्तीसगढ़ लोक निर्माण विभाग के आदेश क्र. एफ 1-17/2005/19 स्था-2 दिनांक 01.10. 2015 में लोक निर्माण विभाग के द्वारा समय- समय पर किए जाने वाले संसोधन का वन विभाग आवश्यकतानुसार अनुकूलन किया जा सकेगा। (२) वन विभाग में खुली निविदा पर निर्माण कार्य, ठेका पद्धति से कराए जाने पर, वर्तमान में ग्रामीण यांत्रिकी विभाग अंतर्गत निर्माण कार्य हेतू तकनीकी स्वीकृति, प्रशासकीय स्वीकृति, निविदा स्वीकृत करने के अधिकार, निविदा कार्यों के भुगतान के अधिकार एवं अन्य अनुषांगिक कार्यों के अनुरूप, वन विभाग के द्वारा कार्य कराया जाना प्रस्तावित है।
इसकी अनुमति, पृथक से छत्तीसगढ़ शासन वित्त विभाग से प्राप्त कर अवगत कराया जाएगा। (३) वन विभाग में निर्माण कार्यों में ठेका पद्धति के लागू होने के पश्चात भी आवश्यकतानुसार निर्माण कार्यों को विभागीय रूप से कराया जा सकेगा। जिनमें इन निर्देशो का पालन भी सुनिश्चित किया जावेगा।
बहरहाल अब ये भविष्य में तय होगा कि वन विभाग में आवश्यकतानुसार वाले विभागीय निर्माण कार्यो का आंकडा कितना ज्यादा होगा !