कैंप में कराई नसबंदी, 4 महिलाओं की बीमार होने से मौत, 25 से 27 तक ही थी उम्र

Chhattisgarh Reporter
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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर          

हैदराबाद 30 अगस्त 2022। हैदराबाद में नसबंदी के बाद महिलाओं की मौत का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। नसबंदी के बाद बीमार होने से कम से कम 4 महिलाओं की मौत हो गई। स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 25 अगस्त को हैदराबाद के बाहरी इलाके रंगा रेड्डी जिले के इब्राहिमपट्टनम में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में सामूहिक नसबंदी कैंप लगाया था। यहां नसबंदी की सर्जरी से उत्पन्न होने वाली विभिन्न जटिलताओं के कारण चार महिलाओं की मौत हो गई। मृतकों की पहचान मंचला प्रखंड के लिंगमपल्ली गांव की मायलाराम सुषमा (26), मडगुल प्रखंड के नरसैपल्ली गांव की एन ममता (25), कोलुकुलपल्ली थंडा की मौनिका (26) और सीतारामपेट गांव की अवुतराम लावण्या (27) के रूप में हुई है।

इब्राहिमपट्टनम सीएचसी में कुल 34 महिलाओं की नसबंदी की गई थी। सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक जी श्रीनिवास राव ने संवाददाताओं को बताया कि बाकी महिलाओं की हालत स्थिर है। उनमें से सात को बेहतर इलाज के लिए हैदराबाद शिफ्ट कर दिया गया है। चारों मृतकों में ममता की रविवार रात को मौत हो गई, जबकि सुषमा ने सोमवार को दम तोड़ दिया। राव ने कहा, “बाकी दो की मंगलवार तड़के मौत हो गई।”

उन्होंने कहा कि इब्राहिमपट्टनम सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक को आजीवन निलंबित कर दिया गया है। वहीं लेप्रोस्कोपिक फैमिली प्लानिंग सर्जरी (नसबंदी) करने वाले डॉक्टरों को भी निलंबित कर दिया गया है। तेलंगाना सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया, जो कथित रूप से विफल सर्जरी की गहन जांच करेगी। उन्होंने कहा कि दोषी साबित होने पर डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे।

राव ने कहा कि यह एक आम बात है कि इस तरह के नसबंदी कैंप हर महीने तेलंगाना में नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने कहा, “अनुभवी डॉक्टर डबल-पंचर लैप्रोस्कोपी (डीपीएल), ट्यूबेक्टोमी और पुरुष नसबंदी सर्जरी करते हैं। असफल सर्जरी की ऐसी घटनाएं बहुत कम होती हैं। हम सटीक कारणों का पता लगाएंगे कि आखिर महिलाओं में समस्या कैसे हुई जिससे उनकी मौत हो गई।” सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक ने पहले एक बयान जारी कर कहा था कि डीपीएल नसबंदी सर्जरी कराने वाली 34 महिलाओं में से चार ने तीव्र गैस्ट्रोएन्टेरिटिस (आंतों के संक्रमण) की शिकायत की थी और उन्हें इलाज के लिए निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया था।

उन्होंने कहा कि डीपीएल आमतौर पर उन महिलाओं की पसंदीदा सर्जरी थी जो न्यूनतम समस्याओं के साथ स्थायी नसबंदी चाहती हैं। उन्होंने कहा, “सर्जरी को अन्य नसबंदी तकनीकों की तुलना में ज्यादा पसंद किया जाता है क्योंकि यह रोगियों के बीच अत्यधिक स्वीकार्य है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि उन्हें उसी दिन छुट्टी मिल सकती है और वे तुरंत अपनी गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं।” राव ने बताया कि राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है, इसके अलावा एक डबल बेडरूम का घर और आवासीय स्कूलों में उनके जीवित बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की घोषणा की है।

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