विभाजन का दर्द : कल्याण के मासिक विशेष अंक में वर्णित’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी, अखंड, सशक्त भारत बनाने में युवाओं की होगी महत्वपूर्ण भूमिका : प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
वर्धा, 8 अगस्त 2022। अखंड और सशक्त भारत बनाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। यह विचार महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने व्यक्त किये। वे विश्वविद्यालय में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सहयोग से विभाजन विभीषिका ‘विभाजन का दर्द : कल्याण के मासिक विशेष अंक में वर्णित’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे थे। शुक्रवार, 5 अगस्त को ग़ालिब सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय प्रबंधन संस्थान, नागपुर के निदेशक प्रो. भीमराया मैत्री, सारस्वत अतिथि कविश्वर कुलाचार्य महानुभाव आश्रम, अमरावती के कारंजेकर बाबा तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक के कुलपति प्रो. मधूसुदन पेन्ना, नागपुर के वरिष्ठ पत्रकार एवं विश्वविद्यालय की कार्य परिषद् के पूर्व सदस्य श्री सुधीर पाठक, अवध विश्वविद्यालय के डॉ. अरूण चौबे उपस्थित थे।
कुलपति प्रो. शुक्ल ने विभाजन की त्रासदी को कुटनीति का दुष्परिणाम बताते हुए कहा कि विभाजन के कारण 12 लाख लोगों का बलिदान सहना पड़ा और एक करोड़ 65 लाख लोग विस्थापित हुए। उन्होंने कहा कि संपादक हनुमानप्रसाद पोद्दार ने 1946 में कल्याण का विशेषांक निकाला था, जिसे अंग्रेजों ने जप्त किया। विभाजन एक निरंतर दंश देने वाली घटना है, परिणामस्वरूप आज भी दस लाख से अधिक लोग अपने नागरिक अधिकारों से वंचित है। उन्होंने कहा कि हमें अखंड और सशक्त भारत का संकल्प लेना चाहिए। इसमें देश के युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
पत्रकार सुधीर पाठक ने द्विराष्ट्र सिद्धांत की चर्चा करते हुए कहा कि देश ने विभाजन से बहुत खोया है। प्रो. मधूसुदन पेन्ना ने कहा अभी भी भौगोलिक विभाजन का खतरा है। हमें सतर्क रहने की जरूरत है। अखंड भारत के लिए जैसे बर्लिन की दीवार को तोड़कर जर्मनी एक हुआ, वैसा होना चाहिए। अवध विश्वविद्यालय के डॉ. अरूण चौबे ने सवाल किया कि विभाजन का दर्द क्यों छुपाया गया। हमें विभाजन की समालोचना कर सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि से जागरूक रहना आवश्यक है। कारंजेकर बाबा ने कहा कि संस्कृति और विचारधारा को टूटने से बचाना होगा तभी अखंड हिदुस्तान बनेगा। प्रो. भीमराया मैत्री का कहना था कि विभाजन को हमने अवसरों में बदल दिया है। आज विश्वस्तरीय कंपनियों के प्रमुखों की धूरी भारतीय लोगों के हाथों में है। हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से विश्व नागरिक और विश्व नेतृत्व की तरफ बढ़ रहें हैं। इस दौरान डॉ. रोमसा शुक्ला और पद्मश्री विष्णु पंड्या ने भी विभाजन की त्रासदी और उसके परिणामों की चर्चा की। प्रास्तावित वक्तव्य जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपा शंकर चौबे ने दिया। उन्होंने कल्याण मासिक के संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार की पत्रकारिता की चर्चा की।
कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन दर्शन एवं संस्कृति विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्डेय ने किया तथा आभार दूर शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ. के. बालराजू ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल, गणमान्य अतिथि, अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष, अध्यापक और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम का प्रारंभ दो मिनट के मौन से तथा समापन राष्ट्रगान से किया गया। कार्यक्रम के पश्चात कुलपति प्रो. शुक्ल सहित अतिथियों ने विश्वविद्यालय स्थित महात्मा गांधी और बाबासाहेब भीमराव रामजी आंबेडकर की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर अभिवादन किया।