छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
रायपुर 27 अप्रैल 2022। छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में परसा कोयला खदान के लिए अंतिम मंजूरी देने के बाद वन विभाग ने मंगलवार को क्षेत्र में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी, लेकिन इसके विरोध में ग्रामीण खड़े हो गए। बड़ी संख्या में मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने अधिकारियों को कार्रवाई रोकने की कोशिश की। परसा कोयला खदान परियोजना के लिए रामानुजनगर वन क्षेत्र के जनार्दनपुर गांव में 300 पेड़ काटे गए। एक स्थानीय वन अधिकारी ने कहा कि स्थानीय ग्रामीणों की आपत्ति के बाद काम रोक दिया गया हैं हालांकि स्थिति को देखते हुए आगे कार्रवाई की जाएगी।
राज्य सरकार ने छह अप्रैल को राज्य के उत्तरी भाग में सरगुजा और सूरजपुर जिलों में फैली परसा कोयला खदान के लिए 841.538 हेक्टेयर वन भूमि के गैर-वानिकी उपयोग के लिए अंतिम स्वीकृति दी थी। खदान का आवंटन राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को किया गया है। परसा कोयला खदान परियोजना के लिए इस क्षेत्र में लगभग 1,590 पेड़ काटे जाने हैं। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों से निर्देश मिलने के बाद इस दिशा में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पास के साल्ही गांव के निवासी रामलाल करियाम ने बताया कि वनों की कटाई की सूचना मिलने के बाद परियोजना से प्रभावित होने वाले साल्ही, फतेहपुर और हरिहरपुर गांव निवासी वहां पहुंच गए और इसका विरोध किया। करियाम ने बताया कि वनों की कटाई के दौरान 50 से अधिक पुलिसकर्मियों को वहां तैनात किया गया था। उन्होंने कहा कि हम लंबे समय से इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। हमने ग्राम सभा के फर्जी दस्तावेजों की जांच की भी मांग की है, जिसके आधार पर खनन को मंजूरी दी गई है।’
वहीं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने वन विभाग के इस कदम को दुखद कहा है और आरोप लगाया है कि इससे उद्योग घरानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचला जा रहा है।