छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 10 अप्रैल 2022। यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते जहां यूक्रेन में पढ़ रहे हजारों भारतीय छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है, वहीं एक बार फिर भारतीय छात्रों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस बार परेशानी भारत-रूस के बीच सीधी विमान सेवाएं बंद होने के कारण होने वाली हैं। छात्रों के अलावा रूस नौकरी और व्यापार के लिए जाने वाले भारतीयों की दिक्कतें भी बढ़ सकती हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर का कहना है कि स्थिति चिंताजनक है और सरकार इस मामले को देख रही है।
भारत-रूस के बीच वर्तमान में सिर्फ एयर इंडिया और रूस की विमान कंपनी एयरोप्लोट की ही सीधी विमान सेवाएं हैं। एयर इंडिया की उड़ानें एक अप्रैल से निलंबित चल रही हैं। उड़ानें कब शुरू होंगी, ये भी स्पष्ट नहीं है। रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के कारण एयर इंडिया को अंतरराष्ट्रीय बीमा कंपनियां रि-इश्योरेंस प्रदान नहीं कर रही हैं। एयर इंडिया इसका विकल्प तलाशने के साथ-साथ सरकार से भी मदद की गुजारिश कर रही है। एयर इंडिया की उड़ानें बंद होने के साथ-साथ आगे की बुकिंग भी अभी रुकी हुई है।
केवल बेलारूस तक उड़ानों का संचालन
रूसी एयरलाइंस एयरोफ्लोट इंश्योरेंस संबंधी प्रतिबंधों के कारण वर्तमान में केवल बेलारूस तक ही उड़ानों का संचालन कर रही है। सूत्रों की मानें तो एयरोफ्लोट ने फिलहाल अपनी सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को बंद कर दिया है। कंपनी ने जिन विमानों को लीज पर लिया हुआ है, उनके अनुबंधों का नवीनीकरण नहीं हो पा रहा है। इस कारण कंपनी को डर है कि दूसरे देशों में उसके विमानों को संबंधित कंपनी जब्त कर सकती हैं। रूसी कंपनी यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से पहले दुनिया के 150 से ज्यादा शहरों में अपनी सेवाएं दे रही थी। इस रूसी एयरलाइंस ने आधे से ज्यादा विमान लीज पर लिए हुए हैं।
भारतीय छात्रों को उठाना पड़ सकता है नुकसान
विमान सेवाओं के बंद होने का सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय छात्रों को उठाना पड़ सकता है। रूस में इस समय करीब 15-20 हजार भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं। ये छात्र जून में परीक्षाएं होने के बाद वे वापस लौटते हैं। देहरादून के एक अभिभावक ने बताया कि एयरोफ्लोट ने जून में बुक टिकटें रद्द कर दी हैं तथा पैसे लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एयर इंडिया ने हालांकि जून की टिकटें रद्द नहीं की हैं, लेकिन यदि आने वाले दिनों में कोई समाधान नहीं निकला है तो फिर उसे भी बुकिंग रद्द करनी पड़ सकती है। बहरहाल, अरब देशों के जरिये रूस जाने का विकल्प खुला है, लेकिन यह कब तक खुला रहेगा कहना मुश्किल है ? लेकिन टिकटों के दाम लाखों में जा चुके हैं।
बढ़ीं भारतीय छात्रों की मुश्किलें
दरअसल, रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों के बाद भारतीय छात्रों की मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गई थी। वीजा एवं मास्टर कार्ड के आपरेशन बंद करने के कारण फॉरेक्स कार्डों ने कार्य करना बंद कर दिया था। स्विफ्ट पर रोक के कारण अभिभावकों के लिए पैसा भेजना भी मुश्किल हो गया था। लोग रूस जा रहे लोगों के हाथ रुपये भेजकर काम चला रहे थे। लेकिन अब उड़ानें बंद होने से यह जरिया भी खत्म हो गया है।
विदेश मंत्रालय ढूंढ़ रहा है उपाय
स्विफ्ट पर रोक के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा था कि रोक से उत्पन्न स्थितियों के समाधन के लिए वित्त मंत्रालय ने एक पैनल गठित किया है जो जल्द उपाय सुझाएगा। लेकिन करीब एक माह बीतने के बाद भी समाधान नहीं निकल सका है। विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि रूस में कई भारतीय बैंक काम कर रहे हैं और रूस के बैंक भारत में भी संचालित हैं। ऐसे में इस समस्या का समाधान निकालना ज्यादा मुश्किल नहीं है, हल खोजने के लिए सरकार को तत्परता दिखानी चाहिए। इस बीच, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि सरकार विमान सेवाएं बंद होने और उससे पूर्व स्विफ्ट भुगतान प्रणाली पर लगे प्रतिबंध को लेकर चिंतित है। साथ ही इस मुद्दे पर गंभीर भी है कि कैसे इसका समाधान निकल सकता है।