छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 29 मार्च 2022। केंद्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आवंटित कुल 39.45 लाख करोड़ रुपये के बजट का 5.2 फीसदी हिस्सा खाद्य सब्सिडी कार्यक्रमों पर खर्च होगा। वर्ष 2022-23 के लिए सरकार ने 2.06 लाख करोड़ रुपये का बजट खाद्य सब्सिडी के लिए आवंटित किया था। गरीबों का पेट भरने के लिए चल रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को छह महीने का विस्तार देने के बाद इस मद में खर्च की कुल रकम 3.40 लाख करोड़ के पार होने का अनुमान है। सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत गरीबों को सस्ती दर पर खाद्यान मुहैया कराती है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की इसमें अहम भूमिका है।
पीएमजीकेएवाई के तहत खर्च
खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020-21 में सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में 36,058 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसके बाद बिहार में 17,282.94 करोड़, पश्चिम बंगाल में 15,112.17 करोड़, उत्तराखंड में 1,121.49 करोड़ और झारखंड में 6,913.97 करोड़ खर्च किए गए हैं।
वित्त वर्ष 2020-21 में रिकॉर्ड खर्च
केंद्र की भाजपा सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिए खाद्य सब्सिडी के लिए कुल 1,15,570 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था। हालांकि इस दौरान खाद्य सब्सिडी पर खर्च हुई रकम का आंकड़ा 4,22618 करोड़ के पार हो गया था। आवंटन की तुलना में खर्च हुई राशि में 366 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। बीते दस वर्षों में ये सर्वाधिक बढ़ोतरी है। 80 हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम अगले छह महीने योजना पर खर्च होगी। 2.60 लाख करोड़ रुपये अबतक खर्च हो चुके हैं। आपको बता दें कि कुल खर्च 3.40 करोड़ के पार होगा। आपको बता दें कि पांच किलोग्राम राशन प्रति व्यक्ति प्रतिमाह मिलेगा। 80 करोड़ लोग इससे लाभान्वित होंगे।
पीडीएस देश की सबसे बड़ी कल्याणकारी योजना
90.3 करोड़ लोग इस योजना के लिए उपयुक्त हैं जो देश की आबादी के 67 फीसदी हैं। चार क्षेत्रों- रक्षा, परिवहन, राज्यों को आवंटन, पेंशन भुगतान के बाद सबसे बड़ी रकम खाद्य सब्सिडी पर खर्च किए जाते हैं।