बीजेपी लगातार दूसरी बार देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में बड़ी जीत के साथ सत्ता में आई, योगी के काम आई पीएम मोदी के ‘चाणक्य’ की रणनीति

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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर  

लखनऊ 10 मार्च 2022। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब तक हुई वोटों की गिणती से साफ हो चुका है कि बीजेपी लगातार दूसरी बार देश के सबसे बड़े राज्य में बड़ी जीत के साथ सत्ता में गई है। खबर लिखे जाने तक उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में बीजेपी गठबंधन 262, समाजवादी पार्टी गठबंधन 136, बीएसपी 2, कांग्रेस एक सीट, अन्य 2 सीटों पर आगे चल रहे हैं। इस जीत के साथ ही हर तरफ यूपी के मुख्यमंत्री की बल्ले-बल्ले हो रही है। यूपी की जनता ने संदेश दे दिया है कि उन्हें यूपी में योगी और केंद्र में पीएम मोदी पसंद हैं। यूं तो इस जीत में बीजेपी के एक-एक कार्यकर्ता का योगदान है, लेकिन चुनाव रिजल्ट पर नजर डालें तो पता चलता है कि एक बार फिर से पीएम मोदी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह का अहम रोल रहा है।

यूपी चुनाव प्रचार पर नजर डालें तो पता चलता है कि अमित शाह ने बिल्कुल चाणक्य की तरह दो ऐसे बयान दिये जिससे विपक्षी खेमे के वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी हुई है।

मोदी के ‘चाणक्य’ ने ऐसे तोड़ा अखिलेश का जातीय ‘चक्रव्यूह’

2022 के यूपी चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जाति आधारित चक्रव्यूह की रचना की थी। समाजवादी पार्टी ने यूपी के अलग-अलग हिस्सों में जाति आधारित क्षेत्रीय दलों से गठबंधन किया था। सपा को अनुमान था कि वह जाति आधारित चक्रव्यूह में पूरी बीजेपी को फंसा लेगी, लेकिन अमित शाह ने दो ऐसे दांव चले कि अखिलेश यादव के मंसूबे पर पानी फिर गया है।

2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी के प्रभारी के तौर पर बीजेपी को प्रचंड जीत दिलवाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह यहां के वोटरों की नब्ज को बखूबी समझते हैं। शाह ने दिखा कि अखिलेश यादव ने जाति आधारित चक्रव्यूह की रचना की है तो उन्होंने तत्काल रणनीति में बदलाव करते हुए विपक्षी खेमे के वोट बैंक में कंफ्यूजन पैदा करना शुरू किया जिसका फायदा रिजल्ट में साफ तौर से दिख रहा है।

अमित शाह का पहला दांव: माना जा रहा था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन की वजह से बीजेपी को भारी नुकसान होगा। विभिन्न सर्वे आधारित खबरों में राष्ट्रीय लोकदल (RLD) और समाजवादी पार्टी के गठबंधन को जनता का भरोसा मिलने की बात कही जा रही थी। ऐसे में अमित शाह ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी को बीजेपी में आने का न्योता दे दिया। साथ ही कह दिया कि जयंत चौधरी अच्छे नेता हैं, लेकिन गलत गठबंधन में हैं।

अमित शाह के इस बयान से जाट वोटरों में कंफ्यूजन पैदा हो गया। जानकार कह रहे हैं कि जाट वोटरों का एक बड़ा वर्ग सोचने पर विवश हो गया कि क्या जयंत चौधरी चुनाव बाद बीजेपी के साथ चली जाएगी। इस कंफ्यूजन का बीजेपी को साफ फायदा दिख रहा है।

अमित शाह का दूसरा दांव: अखिलेश यादव के जाति आधारित चक्रव्यू को तोड़ने के लिए अमित शाह ने दलितों की सबसे बड़ी नेता मायावती पर सॉफ्ट कॉर्नर दिखाकर दूसरा दांव चला। चुनाव प्रचार और टीवी इंटरव्यू में अमित शाह कहते रहे कि मायावती अपनी यूपी की पॉलिटिक्स में रिलेवेंट हैं और बनी रहेंगी। शाह ने कहा कि बीएसपी को सीट कितने मिलेंगे ये कहा नहीं जा सकता है, लेकिन उनकी पार्टी को वोट जरूर मिलेंगे क्योंकि उनकी प्रासंगिकता बनी हुई है। अमित शाह ने ये भी कहा कि यूपी के मुसलमान भारी संख्या में बीएसपी को वोट करेंगे।

मित शाह के इस बयान के बाद बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा, ‘मैं समझती हूं यह उनका बड़प्पन है कि उन्होंने जमीनी सच्चाई को स्वीकार किया है। मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि पूरे उत्तर प्रदेश में बीएसपी को दलितों और मुस्लिमों का ही नहीं, बल्कि अति पिछड़े वर्गों का भी समर्थन मिल रहा है। सवर्ण जातियां भी साथ हैं। बसपा को सर्वसमाज का वोट मिल रहा है। मायावती ने दावा किया है कि वे 2007 की तरह पूर्ण बहुमत के आधार पर अपनी सरकार जरूर बनाएंगी।

यूपी चुनाव के रिजल्ट को देखकर कहा जा सकता है कि अमित शाह ने जो दांव खेला मायावती उसमें फंस गईं। एक्सपर्ट का मानना है कि चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह का मायावती की तारीफ करना फिर मायावती का अमित शाह की तारीफ करने से जाटव और मुस्लिम वोट बैंक में कंफ्यूजन पैदा हो गया। मुस्लिम समझने लगे कि मायावती चुनाव बाद बीजेपी के साथ जा सकती हैं, इसलिए बीएसपी प्रत्याशी को किसी भी सूरत में वोट नहीं देना है। वहीं जिन सीटों पर बीएसपी के प्रत्याशियों की जितने की संभावना कम दिखी वहां जाटव सहित ज्यादतर दलितों ने बीजेपी प्रत्याशी के प्रति अपनी उदारता दिखा दी। अमित शाह के कंफ्यूजन फैलाने वाले इन दोनो दांव का पूरा-पूरा फायदा बीजेपी को हुआ है।

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