छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 19 दिसंबर 2021। कानून मंत्रालय के एक अधिकारी की ओर से मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के साथ बैठक में मौजूद रहने के कथित सरकारी पत्र से उत्पन्न विवाद पर शनिवार को कानून मंत्रालय ने सफाई दी। मंत्रालय ने कहा कि यह पत्र चुनाव आयोग के सचिव या सीईसी के प्रतिनिधि के लिए था। सीईसी और दो चुनाव आयुक्तों के साथ बाद में वर्चुअल बैठक चुनावी सुधारों पर मतभेदों को दूर करने के लिए थी। इस मामले को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है।
कानून मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कैबिनेट सचिव, कानून सचिव और विधायी सचिव को 16 नवंबर को आम मतदाता सूची पर बैठक के लिए पत्र लिखा था। यह सीईसी को संबोधित नहीं किया गया था। इसमें चुनाव आयोग के सचिव से बैठक में भाग लेने का अनुरोध किया गया था। भारत के चुनाव आयोग के पास मतदाता सूची के संबंध में आवश्यक विशेषज्ञता व जनादेश होने के नाते, और कानून मंत्री, सचिव, विधायी विभाग को संबोधित सीईसी के पिछले पत्र के आलोक में इस बैठक में चुनाव आयोग के अधिकारियों को आमंत्रित करना उचित था। मंत्रालय ने कहा कि 16 नवंबर की बैठक कुछ सुधारों पर कैबिनेट नोट को अंतिम रूप देने के लिए थी, जिसे वर्चुअल आयोजित किया गया था। मालूम हो कि विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया था कि सीईसी को पीएमओ में बुलाकर सरकार ने चुनाव आयोग की स्वायत्तता को कमजोर किया है। कांग्रेस इस मुद्दे पर लोकसभा में कार्यवाही स्थगित करने के लिए सोमवार को नोटिस पेश कर सकती है। प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और दो अन्य चुनाव आयुक्त के बीच बातचीत को लेकर विपक्षी दलों ने यह कहते हुए विवाद खड़ा कर दिया है कि इससे चुनाव आयोग की स्वायत्तता प्रभावित हुई है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदलों और अन्य पार्टियों ने इस बारे में सवाल उठाए हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त सहित चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ बातचीत किए जाने को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच विधि मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा कि विधाई विभाग के सचिव ने इन अधिकारियों को बैठक में इसलिए आमंत्रित किया था क्योंकि उन्हें लगा कि मतदाता सूचियों के संबंध में इन्हें ज्यादा जानकारी तथा विशेषज्ञता हासिल है। मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी वक्तव्य में कहा गया है कि यह आमंत्रण प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा नहीं भेजा गया था बल्कि विधाई विभाग के अवर सचिव ने भेजा था। बयान में यह भी कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य अधिकारियों के साथ बैठक अनौपचारिक थी और यह मुख्य बैठक के बाद वर्चुअल माध्यम से हुई थी।