छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
लखनउ 28 सितम्बर 2021। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले योगी आदित्यनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से उस अपील को वापस ले लिया जिसे प्रदेश की चीनी मिलों को बंद करने और भूमि को किसी अन्य मकसद के लिए हस्तांतरित करने के अधिकार को फिर से स्थापित करने के लिए दायर किया गया था। मायावती के नेतृत्व वाली बसपा सरकार (2007-2012) के शासन के दौरान अप्रैल, 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य चीनी मिलों को बंद करने या चीनी मिलों की जगह के लैंड यूज को बदलने की शक्ति मानते हुए कानून पारित नहीं कर सकती।
चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने सोमवार को राज्य सरकार को अपील को वापस लेने की अनुमति तब दी जब यह सूचित किया गया कि सरकार ने 2009 के कानून में उन सभी प्रावधानों को निरस्त करने का निर्णय लिया है जो उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड के स्वामित्व वाली चीनी मिलों को विनिवेश, बिक्री या बंद करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य अपनी अपील को आगे बढ़ाना नहीं चाहती है क्योंकि वह उत्तर प्रदेश चीनी उपक्रम (अधिग्रहण) अधिनियम, 1971 में किए गए संशोधन के सभी विवादास्पद प्रावधानों को खत्म करना चाहती है।
सफल बोलीदाता कानून में मौजूद अन्य उपायों का कर सकते हैं इस्तेमाल
चीनी मिलों की बिक्री में सफल बोलीदाताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने राज्य सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि बोली लगाने वालों ने शीर्ष अदालत के समक्ष मामले को चलाने के लिए सरकार पर भरोसा किया था। हालांकि पीठ ने कहा कि बोली लगाने वालों ने स्वतंत्र रूप से हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की है, इसलिए यदि राज्य ने अपनी मुख्य याचिका को वापस लेने का फैसला किया है तो अन्य विरोध नहीं कर सकते। पीठ ने कहा कि बोली लगाने वालों ने मामले में खुद को याचिकाकर्ता के रूप में शामिल करने के लिए प्रयास नहीं किया है। पीठ ने राज्य सरकार की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि सफल बोली लगाने वाले कानून में उपलब्ध अन्य उपायों का लाभ उठा सकते हैं। उत्तर प्रदेश में 119 चीनी मिलें हैं। इनमें से कम से कम आधी सरकारी मिलें हैं।
योगी ने मायावती पर 21 चीनी मिलों को कम कीमतों में बेचने का लगाया था आरोप
सरकार का यह निर्णय सीएम योगी द्वारा गन्ने की खरीद कीमतों में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा के 24 घंटे के अंदर लिया गया है। रविवार को लखनऊ में किसानों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने बसपा शासन के दौरान 21 चीनी कारखानों को कम कीमतों पर बेचने के लिए मायावती पर निशाना भी साधा था। उनके इस बयान को आगामी विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले किसानों तक पहुंच बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि किसानों का एक वर्ग पिछले नवंबर से केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहा है।