छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
भुवनेश्वर /अमरावती 26 सितम्बर 2021। ओडिशा के गोपालपुर और आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम तटों के बीच से रविवार को ‘गुलाब’ चक्रवात के गुजरने की आशंका है जिसके मद्देनजर बचाव और राहत कार्यों के लिए उत्तर तटीय आंध्र जिलों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के तीन और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के एक दल को तैनात किया गया है। वहीं, ओडिशा आपदा त्वरित कार्य बल (ओडीआरएएफ) के 42 दलों और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के 24 दलों के साथ दमकल कर्मियों को सात जिलों गजपति, गंजम, रायगढ़, कोरापुट, मल्कानगिरी, नबरंगपुर, कंधमाल भेजा है।
सरकार की ओर से शनिवार को जारी बयान में कहा गया कि विशाखापत्तनम, विजयनगरम और श्रीकाकुलम जिलों में निचले इलाकों से लगभग शिफ्ट करने की योजना बनाई गई है। श्रीकाकुलम में एनडीआरएफ के दो दलों को तैनात किया गया है जहां चक्रवात का अधिक प्रभाव हो सकता है। इसके अलावा विशाखापत्तनम में एक दल को तैनात किया गया है। विशाखापत्तनम में एसडीआरएफ के एक दल को भी आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रखा गया है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इन जिलों के मछुआरों से 27 सितंबर तक समुद्र में न जाने को कहा है। ओडिशा के गंजम के चक्रवाती तूफान से गंभीर रूप से प्रभावित होने की उम्मीद है और इलाके में 15 बचाव दलों को तैनात किया गया है। इसके अलावा दमकल के 11 दलों के अलावा ओडीआरएएफ के छह दलों और एनडीआरएफ के आठ दलों को आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, बंगाल की खाड़ी के उत्तर और मध्य हिस्से पर बना गहरे दबाव का क्षेत्र 14 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पश्चिम की ओर बढ़ा है। शनिवार को सुबह साढ़े आठ बजे गहरे दबाव का क्षेत्र गोपालपुर से 510 किलोमीटर पूर्व-दक्षिणपूर्व और आंध्र प्रदेश में कलिंगपत्तनम से 590 किलोमीटर पूर्व में स्थित था। आईएमडी ने कहा, ‘यह 26 सितंबर की शाम तक कलिंगपत्तनम के आसपास विशाखापत्तनम और गोपालपुर के बीच उत्तर आंध्र प्रदेश और दक्षिण ओडिशा तटों की ओर बढ़ सकता है।’ आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय मोहपात्र ने बताया कि चक्रवाती तूफान के प्रभाव से 95 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक हवा चलने का अनुमान है। अगले तीन दिनों के दौरान समुद्र में ऊंची लहरें उठेंगी और ओडिशा, पश्चिम बंगाल तथा आंध्र प्रदेश में मछुआरों को 25 से 27 सितंबर तक बंगाल की खाड़ी के पूर्वी-मध्य और उत्तरपूर्वी क्षेत्र में समुद्र में न जाने को कहा गया है।