छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 21 जून 2021। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ पर योग के विज्ञान पर चर्चा करना आवश्यक हो जाता है। योग, भारत द्वारा विश्व को दिए कई बहुमूल्य खजानों और धरोहरों में से एक है। कम-से-कम हजार वर्ष पूर्व, उपनिषद काल में ऋषियों-महर्षियों द्वारा योग का विज्ञान सिखाया जाता था, उसका अभ्यास किया जाता था। हजारों साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सतत और अथक प्रयासों से योग पुनः प्रतिष्ठित हुआ है। अब तेजी से विश्व स्तर पर लोगों का झुकाव इस ओर हो रहा है। संस्कृत शब्द ‘युज’ से उत्पन्न ‘ योग’, मनुष्य व परमात्मा को जोड़ने के विज्ञान के रूप में परिभाषित है। वास्तव में, योग शरीर व मन को स्वस्थ एवं शांत रखने का अभ्यास व प्रशिक्षण है।
वह लोग जो इस यात्रा को पूरी तरह तय करने को तैयार होते हैं, वे अंततः योग के माध्यम से अपनी चेतना के मूल में छिपे उस दिव्य तत्व को पहचानने में भी समर्थ होते हैं। यही दिव्य अवस्था समाधि कहलाती है। समाधि की स्थिति की चर्चा सम्पूर्ण रूप से आध्यात्मिक विकास के इच्छुक कुछ बिरले लोगों के लिए छोड़ते हुए, मैं आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि जो लोग अध्यात्म व आत्मविद्या संबंधी ( मेटा फिजिकल ) बातों में रुचि नहीं रखते, उनके लिए भी योग बेहतर शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य की ओर जाने का सही रास्ता है। आधुनिक विज्ञान ने भी इसे स्वीकार किया है।
कुछ वर्ष पूर्व ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को मनुष्य के स्वास्थ्य के एक अभिन्न अंग के रूप में स्वीकार किया है, जबकि इस अवधारणा में योगियों का विश्वास हजारों वर्षों से रहा है। व्यक्तिगत तौर पर मैंने दस वर्ष की उम्र से ही योग-आसन व प्राणायाम का अभ्यास शुरू किया। आज इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि 72 साल की उम्र में भी मैं शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ एवं फिट हूं।
महामारी में वे बेहतर रहे, जिन्होंने किया योग
वर्तमान समय में पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोविड-19 से त्रस्त है। कोरोना की दूसरी लहर भी धीरे-धीरे नीचे जा रही है। जब से महामारी शुरू हुई है, मैंने इंटरनेट चैनलों के माध्यम से सैकड़ों लोगों तक योग के विज्ञान का संदेश पहुंचाया है।
विशेष रूप से प्राणायाम, सांस लेने की सही कला और अन्य योगिक तकनीकों को सिखाया है। मैं इस तथ्य की पुष्टि कर सकता हूं कि जो लोग संक्रमित हुए, उनमें से जो लोग योग का अभ्यास करते रहे हैं, वे निश्चित रूप से अपनी स्थिति को उन लोगों की तुलना में बेहतर संभाल सके जिन्होंने योगाभ्यास नहीं किया। स्वस्थ शरीर के लिए आसन और प्राणायाम, तथा भय और विषाद से निपटने के लिए सरल ध्यान- ये प्रमुख साधन हैं।
दुनियाभर में बढ़ी योग के प्रति रुचि
आज योग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक चर्चित शब्द है। टिम्बकटू से हॉलीवुड तक पूरे जोश के साथ योगाभ्यास किया जा रहा है। जब से संयुक्त राष्ट्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव पर 11 दिसंबर, 2014 को घोषित किया कि 21 जून ‘ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा, दुनिया भर में रुचि तेजी से बढ़ी है।
योग नागरिक का मौलिक अधिकार
योगाभ्यास के सकारात्मक परिणामों को देखकर, मुझे यकीन है कि योग की लोकप्रियता बनी रहेगी। योग को बढ़ावा देना, वास्तव में स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा दे रहा है। यह लोकतंत्र में हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।