2500 धान का दाम, कर्जमाफी और 80 लाख टन धान खरीदी हर साल
कांग्रेस सरकार ने कर दिखाया तो रमन सिंह और भाजपा के हाथों से तोते उड़ गये
बौखलाहट में मोदी सरकार के खिलाफ ही आंदोलन करवाने में लगे है रमन सिंह
रमन सिंह गरीब विरोधी, किसान विरोधी, छत्तीसगढ़ विरोधी तो रहे ही अब मोदी विरोध पर भी उतर आये हैं
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
रायपुर 07 जनवरी 2021। भाजपा के किसान आंदोलन की घोषणा पर तंज कसते हुये प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन और प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा पहले यह तो छत्तीसगढ़ के किसानों को बतायें कि यह आंदोलन दिल्ली में मोदी सरकार के किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ है या फिर छत्तीसगढ़ में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए धान, मक्का, गन्ना उत्पादकों की दी जा रही प्रति एकड़ 10 हजार सहायता राशि के खिलाफ है क्योंकि भाजपा के नेता किसानों को समर्थन मूल्य के अलावा अतिरिक्त राशि का सहायता देने का विरोध कर रहे। भाजपा मोदी सरकार के खिलाफ मैदान में उतरे किसानों को समझाने में विफल हो चुकी है और षड़यंत्र कर किसानों के खिलाफ माहौल बनाने में जुटी है। जिसने 3 लाख 50 हजार गठान जूट बोरी नहीं देकर छत्तीसगढ़ में धान खरीदी में विघ्न डालने की फिर से कोशिश की है।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन और प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि रमन सिंह जो-जो असंभव कहते रहे कांग्रेस ने कर दिखाया। 2500 धान का दाम, कर्जमाफी और 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी। हर साल कांग्रेस सरकार ने कर दिखाया तो रमन सिंह और भाजपा के हाथों से तोते उड़ गये। रमन सिंह बौखलाहट में गरीब विरोधी, किसान विरोधी, छत्तीसगढ़ विरोधी कृत्य कर रहे है।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन और प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों के पूर्व जारी घोषणा पत्र में कांग्रेस द्वारा किसानों से उनका धान 2000 रू. प्रति क्विंटल की दर से खरीदने का वादा किया गया था। कांग्रेस को मिल रहे किसानों के समर्थन से घबराकर डॉ. रमन सिंह ने उसी समय 2100 रू. प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का संकल्प लिया था तथा प्रतिवर्ष 300 रू. प्रति क्विंटल बोनस भी देने का वादा किया था। 2013 में सरकार बनाने के बाद राज्य के किसानों को डॉ. रमन सिंह ने सिर्फ धोख दिया।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन और प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि वर्ष 2003 से 2018 के बीच 15 साल में राज्य में सिंचाई के साधनों के विकास के नाम पर रमन सिंह सरकार ने 18000 करोड़ रूपये खर्च किये गये किन्तु सिंचाई का वास्तविक में 25 हजार हेक्टेयर का ही हो पाया है। पूरी राशि कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी। राज्य की जनता की गाढ़ी कमाई की ऐसी लूट खसोट कभी देखी सुनी नहीं गयी होगी। किसानों एवं कृषि के लिये सिंचाई का महत्व किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन और प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि 2018 में विधानसभा चुनावों के पूर्व किसानों से कांग्रेस ने वादा किया था कि हम उनके कृषि कर्ज माफ करेंगे तब डॉ. रमन सिंह ने कहा था कि ऋण माफी की घोषणा छलावा मात्र है इसका क्रियान्वयन संभव नहीं है। हमारी सरकार ने वादे के अनुसार ऋण माफी करके दिखाई।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन और प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि डॉ. रमन िंसह ने कहा था कि 2500 रू. प्रतिक्विंटल की दर से धान खरीदने की घोषणा चुनावी वादा मात्र है। इसका क्रियान्वयन संभव नहीं है। हमारी सरकार ने न केवल रिकार्ड 85 लाख मीट्रिक टन धान क्रय किया बल्कि अपना वादा निभा कर दिखाया। वर्ष 2014 में जब केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी तो सबसे पहले उन्होने बोनस देने पर प्रतिबंध लगाया। जिस डॉ. रमन सिंह ने केन्द्र की भाजपा सरकार को दिखावे के तौर पर बोनस जारी रखने का दिखावा किया। किन्तु केन्द्र की आड़ लेकर खुद की घोषणा के विपरीत किसानों को बोनस देना बंद कर दिया। वह आज किसानों को फिर से धोखा देने में लगे है।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन और प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि राज्य से केन्द्रीय पूल में 60 लाख मीट्रिक टन चावल लिये जाने की लिखित सहमति के बाद भी मात्र 24 लाख टन चावल लेने का अनुमति राज्य के किसानों के साथ अन्याय है। केन्द्र द्वारा पूर्व घोषणा के अनुसार बारदाने उपलब्ध न कराना भी दुर्भाग्यजनक है। डॉ. रमन सिंह में जरा भी नैतिकता बाकी है तो उन्हें चाहियें कि केन्द्र सरकार से पूर्व निर्धारित घोषणा के अनुरूप 60 लाख मीट्रिक टन चावल राज्य से ले। किसानों के जख्मों पर सिर्फ नमक छिड़कने एवं घड़ियाली आंसू बहाना बंद करें। कांग्रेस की सरकार किसानों से अपने किये वादे को अवश्य पूरा करेगी। राज्य के किसान इस हेतु पूर्णतः आश्वस्त है। वर्ष 2017-18 में विधानसभा चुनाव निकट आने पर डॉ. रमन सिंह ने पुनः केन्द्र सरकार से कहा कि किसानों के हितों को देखते हुये उन्हें 300 रू. प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि देने की अनुमति दी जाये। यह राशि प्रोत्साहन राशि है, बोनस नहीं। केन्द्र सरकार ने रमन सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर प्रोत्साहन राशि दिये जाने की स्वीकृति दे दी। जब कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को 10,000 रू. प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि इनपुट सब्सिडी देना आरंभ का निर्णय करा दिया।
वर्ष 2020-21 के धान खरीदी और बारदाना व्यवस्था की प्रमुख बिन्दु
1 धान खरीदी की जानकारी :-
- खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में धान का विक्रय हेतु कुल 21.48 लाख किसानों का पंजीयन किया गया। जो गतवर्ष पंजीकृत संख्या 19.55 लाख किसानों की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक है, और का विक्रय हेतु पंजीयन कृषकों की अब तक की यह सर्वाधिक संख्या है।
- खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में कुल पंजीयन कृषकों में अब तक 13.02 लाख किसानों से लगभग 59.79 लाख में. टन धान का उपर्जान किया जा चुका है। गतवर्ष इसी अवधि में 8.48 लाख किसानों से 34.61 लाख मे. टन धान का उर्पाजन किया गया था।
- इस प्रकार गतवर्ष की तुलना में अब तक लगभग 77 प्रतिशत अधिक कृषकों से लगभग 73 प्रतिशत अधिक मात्रा का धान उपार्जित किया जा चुका है।
- धान बेचने वाले कृषकों को विक्रय किये गये धान के एवज में अब तक 10 हजार करोड़ रूपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। किसानों को भुगतान में कोई विलम्ब नहीं किया जा रहा है।
- सोसायटियों में कृषकों से धान का उर्पाजन प्रति बोरा 40.580 किलो ग्राम वजन के हिसाब से तौल कर किया जा रहा है। इसमें बोरे का वनज 580 ग्राम व शेष 40 किलो ग्राम वजन धान का सम्मिलित है। इस प्रकार कृषकों से निर्धारित माप के अनुरूप ही धान की तौलाई कर धान उपार्जित किया जा रहा है।
2 बारदाना व्यवस्था की जानकारी :-
- ऽ खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में अनुमानित धान उर्पाजन 89.00 लाख मे. टन हेतु लगभग 4.45 लाख गठान बारदानों की आवश्यकता संभावित है। जिसके प्ररिप्रेक्ष्य में भारत सरकार से 3.5 लाख गठान नये जूट बारदानें अपेक्षित थे। इसके विरूद्ध सर्वप्रथम भारत सरकार द्वारा 3 लाख गठान नये जूट बारदानों की आपूर्ति की सहमति दी गई, किन्तु कालांतर में भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य को आपूर्ति किये जाने वाले नये जूट बारदानों की आपूर्ति में आधे से अधिक मात्रा की कटौती करते हुये, केवल 1.45 लाख गठान जूट बारदानों की आपूर्ति हेतु स्वीकृति दी गई।
- छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उक्त स्वीकृति के अनुक्रम में पर्याप्त समय पूर्व ही जूट कमिश्नर को इण्डेंट प्रेषित कर अग्रिम राशि अंतरित कर दी गई थी, आज की स्थित में छत्तीसगढ़ को केवल 1.09 लाख गठान बारदाने ही जूट कमिश्नर से प्राप्त हुये है। इस प्रकार कटौती उपरांत प्राप्त होने वाले बारदानों में से भी 36 हजार गठान बारदानों की आपूर्ति शेष है।
- नय जूट बारदानों की आपूर्ति में संभावित कमी को ध्यान में रखकर राज्य सरकार द्वारा, भारत सरकार से माज जनवरी में 1.10 लाख गठान नये जूट बारदानों की अतिरिक्त आपूर्ति की अनुमति मांगी गई है, जो अब तक अप्राप्त है।
- भारत सरकार द्वारा नये जूट बारदानों की आपूर्ति में कटौती किये जाने के फलस्वरूप राज्य सरकार द्वारा किसानों की सुविधा के दृष्टिकोण से एचडीपीई/पीपी बारदानों का क्रय कर बारदानों की वैकल्पिक व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है। कृषकों से धान खरीदी हेतु अब लगभग 23 हजार गठान एचडीपीई, पीपी बारदाने उपलब्ध कराये जा चुके है।
- कोविड-19 के कारण एचडीपीआई, पीपी बारदानों की आपूर्ति में संभावित कमी को दृष्टिगत रखते हुये 30 हजार गठान एचडीपीआई, पीपी बारदानों के पुनः उपयोग की अनुमति भी प्रदान की गई है।
- इसी तरह जिला प्रशासन के माध्यम से अब तक 73 हजार गठान पीडीएस बारदानों एवं 1.18 लाख गठान मिलर के पुराने बारदानों का संकलन कर धान खरीदी हेतु प्रयोग किया जा रहा है। इन बारदानो के अधिक से अधिक संग्रहण हेतु निरंतर प्रयास किये जा रहे है।
- इन समस्त प्रयासों के अतिरिक्त किसानों की सुविधा के लिये बारदानों के साथ समिति के पुराने जूट बारदानों मे भी खरीदी हेतु प्रावधान किये गये है। इसके लिये किसानों को 15 रूपये प्रति बारदाने की दर से राशि का भुगतान किया जा रहा है, जो धान खरीदी की राशि के अतिरिक्त कृषकों को प्राप्त होगी।
- अब तक लगभग 20000 गठान किसान बारदानों में एवं 119 गठान समिति बारदानों में खरीदी जा चुकी है।
- इस प्रकार किसानों को असुविधा न हो, इस दृष्टिकोण से बारदानों की संभावित कमी की प्रतिपूर्ति हेतु नये जूट बारदानों की अतिरिक्त मांग के साथ अन्य वैकल्पिक प्रयास भी राज्य सरकार द्वारा निरंतर किये जा रहे है। बारदानो के अभाव के कारण धान खरीदी बंद नही हुयी है।
3. वर्ष 2019-20 के शेष धान के निराकरण के संबध में :-
- खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में कुल 83.94 लाख में. टन धान की सर्वाधिक खरीदी की गई थी। इसमें से 80.37 लाख में. टन धान का निराकरण कस्टम मिलिंग के माध्यम से किया जा चुका है।
- वर्तमान स्थिति में लगभग 2.57 लाख में. टन धान संग्रहण केन्द्रों मे शेष है। राज्य मे बस्तर, कोण्डगांव एवं सूरजपुर जिले के अरवा मिलर्स द्वारा 21 हजार में. टन धान का उठाव किया जाना है, जिसका उठाव निरंतर जारी है।
- खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में भारत सरकार से सर्वप्रथम 24 लाख में. टन चावल भारतीय खाद्य निगम में जमा करने की अनुमति प्राप्त हुयी थी, शेष 4.10 लाख में. टन चावल जमा करने की अनुमति बाद में प्राप्त हुई। इसके बावजूद भारतीय खाद्य निगम में कुल 28.10 लाख में. टन में से 26.10 लाख में. टन चावल जमा किया जा चुका है, जो विगत वर्षो में जमा सीएमआर की तुलना में सर्वाधिक है।
- राज्य की उसना मिलिंग क्षमता सीमित है, इसके अलावा कोविड-19 की महामारी एवं असामयिक वर्षा के कारण राज्य में उसना मिलिंग प्रभावित हुई थी।
- अतः उपरोक्त परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुये भारतीय खाद्य निगम में शेष सीएमआर जमा हेतु भारत सरकार से अनुमति मांगी गई है, जो अब तक अप्राप्त है।
नोटः- रमन सिंह द्वारा लिया गया पत्र क्रमांक D.O.No.132/CMH/ Dt. 01.07.2014 संलग्न है।