मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के घर हुई बैठक, बिल को शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा
जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा
जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा
धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही कानूनी कार्रवाई
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
भोपाल 26 दिसम्बर 2020। मध्य प्रदेश में लव जिहाद विरोधी विधेयक ‘धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020’ को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। अब इसे 28 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। शनिवार को सीएम आवास पर कैबिनेट की बैठक में ड्राफ्ट को हरी झंडी मिली। इसमें कानून को और सख्त बनाने संबंधी फैसला लिया गया।
इससे पहले गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी कानून को सख्त करने की बात कह चुके हैं। कहा जा रहा है कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तेजी से यह कानून बनाया है, उसी की राह पर शिवराज सरकार भी आगे बढ़ रही है।
कम से कम 10 साल की सजा
विधेयक के ड्राफ्ट के मुताबिक, गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा और कम से कम 10 साल तक की सजा का प्रावधान रहेगा। लव जिहाद जैसे मामलों में सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी। वहीं, शादी के लिए धर्मांतरण कराने वालों को भी सजा देने का प्रावधान इस कानून में रहेगा।
यूपी में भी दोषियों को 10 साल की सजा
उत्तर प्रदेश में गलत तरीके से धर्मांतरण पर रोक लगाने का कानून प्रभावी हो चुका है। राज्यपाल ने 28 नवंबर को इसे मंजूरी दी थी। कैबिनेट ने 24 नवंबर को इसका विधेयक पास किया था। योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा उपचुनाव के दौरान कहा था कि महिलाओं को सुरक्षा देने के मकसद से प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ एक कानून लाया जाएगा। हरियाणा, कर्नाटक और भाजपा की सरकार वाले कुछ और राज्यों में भी ऐसा कानून लाने की कवायद चल रही है।
उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य था, जहां यह कानून पास किया गया। यूपी में भी इस कानून के तहत गैर जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज करने और 10 साल की कठोरतम सजा का प्रावधान है।
बिल के मुख्य पॉइंट
- बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान होगा।
- धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा।
- बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है।
- धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है।
- यह अपराध गैर जमानती होगा।
- जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा।
- इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा।
- इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।