छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 02 फरवरी 2025। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश किया। इसमें बड़े बदलाव लाने वाले कर सुधारों का प्रस्ताव पेश किया गया। इसमें आयकर कानून को सरल बनाने से लेकर धनप्रेषण पर टीसीएस सीमा बढ़ाने और मध्यम वर्ग को आयकर में कई तरह के लाभ देना शामिल है। सीतारमण ने लोकसभा में 2025-26 का बजट पेश करते हुए आयकर प्रावधानों के नियमन संबंधी छह दशक पुराने कानून की जगह एक सरल और हल्का नया कानून लाने का वादा किया। उन्होंने कहा कि नए आयकर कानून में ‘न्याय’ की भावना होगी और यह ‘पहले विश्वास करो, बाद में जांच करो’ के सिद्धांत पर काम करेगा।
क्या है टीसीएस?
TCS (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) एक प्रकार का कर है, जो भारत सरकार की ओर से लगाया जाता है। यह कर विक्रेता द्वारा खरीदार से प्राप्त की गई राशि पर लगाया जाता है, जब वह कुछ विशिष्ट वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री करता है। TCS के तहत, विक्रेता को खरीदार से प्राप्त की गई राशि का एक निश्चित प्रतिशत कर के रूप में सरकार को जमा करना होता है। यह कर विक्रेता की ओर से खरीदार को बिल या इनवॉइस जारी करने के समय ही काट लिया जाता है।
आईटीआर फाइल करने को लेकर पर भी बड़ा एलान
उन्होंने संशोधित आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने वाले व्यक्तियों के लिए समय सीमा को भी बढ़ाकर चार साल करने का प्रस्ताव रखा। इसे वे करदाता दाखिल करते हैं, जो निर्धारित समय पर अपनी सही आय की जानकारी नहीं दे पाए थे। फिलहाल ऐसे रिटर्न संबंधित कर आकलन वर्ष के दो साल के भीतर दाखिल किए जा सकते हैं। लगभग 90 लाख करदाताओं ने अतिरिक्त कर का भुगतान करके स्वेच्छा से अपने आय विवरण को संशोधित किया है।
करदाताओं की सुविधा के लिए कई सुधार लागू
सीतारमण ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने करदाताओं की सुविधा के लिए कई सुधार लागू किए हैं। इनमें चेहरा-रहित कर आकलन, करदाता चार्टर, त्वरित रिटर्न सुविधा, लगभग 99 प्रतिशत रिटर्न स्व-मूल्यांकन के आधार पर होना और विवाद से विश्वास योजना शामिल हैं। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा कि उनके कराधान प्रस्ताव का उद्देश्य मध्यम वर्ग पर विशेष ध्यान देने के साथ व्यक्तिगत आयकर में सुधार, मुश्किलों को कम करने के लिए टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) एवं टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) को तर्कसंगत बनाना और स्वैच्छिक अनुपालन सुनिश्चित करना है।
वरिष्ठ नागरिकों को फायदा
बजट में बेहतर स्पष्टता और एकरूपता के लिए स्रोत पर कर कटौती की सीमा बढ़ा दी गई है। वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज से अर्जित आय पर होने वाली कर कटौती की सीमा को मौजूदा 50,000 रुपये से दोगुना करके एक लाख रुपये कर दिया गया है। इसी तरह किराया पर टीडीएस के लिए 2.40 लाख रुपये की वार्षिक सीमा को बढ़ाकर छह लाख रुपये किया जाएगा।
छोटे करदाताओं को फायदा
सीतारमण ने कहा कि इससे टीडीएस के लिए उत्तरदायी लेनदेन की संख्या कम हो जाएगी, जिससे छोटे भुगतान पाने वाले छोटे करदाताओं को फायदा होगा। रिजर्व बैंक की उदारीकृत धनप्रेषण योजना (एलआरएस) के तहत प्रेषण पर टीसीएस संग्रहित करने की सीमा भी सात लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है। शिक्षा के लिए धन भेजने पर टीसीएस से छूट दी गई है, जहां ऐसा प्रेषण किसी निर्दिष्ट वित्तीय संस्थान से लिए गए ऋण से होता है।
12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को आयकर से छूट
वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में मध्यम वर्ग को कर बोझ और पुनर्गठित स्लैब के संबंध में राहत दी गई। सीतारमण ने एलान किया कि नई आयकर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को आयकर से छूट दी जाएगी। वेतनभोगी करदाताओं के लिए मानक कटौती को ध्यान में रखते हुए यह आय सीमा 12.75 लाख रुपये हो जाएगी।