छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
अम्बिकापुर 12 जनवरी 2025। कल्याण आश्रम के संत शिरोमणि परम पूज्य बाबा कल्याण दास जी के द्वारा एटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड हरिद्वार सिंह जी का चादर ओढ़ाकर सम्मान किये और आशीर्वाद दिये परम तपस्वी बाबा के प्रेरणा से पूर्व केन्द्रीय मंत्री माननीय अर्जुन सिंह जी ने देश का दुसरा आदिम जनजाति विश्वविद्यालय अमरकण्टक मे स्थापित किया था अमरकण्टक के दुर्लभ पहाड़ी पर नर्मदा नदी के तट पर 12 वीं तक सी वी एस ई कोर्स के साथ आवासीय विद्यालय भी बाबा जी ने खोला है पूर्व में उस विद्यालय का उद्घाटन भी कुंअर अर्जुन सिंह ने किया था पेंड्रा में तीन हज़ार बच्चों का 12वी तक आवासीय विद्यालय बाबा जी के द्वारा खोला गया है बैगा आदिवासी प्रजाति बिलुप्त हो रहें हैं केंद्र सरकार ने 215 करोड़ रुपये बैगा जनजाति संरक्षण के क्वीन पर खर्च किया किन्तु मध्य प्रदेश के बैगा आदिवासीयों के हालात में कोई परिवर्तन नहीं हुआ किन्तु बाबा जी अनुपपुर जिले के राजेन्द्रग्राम में अति आधुनिक विद्यालय खोलकर बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए एक अवसर दिया है बहुत सारे बच्चे निःशुल्क शिक्षा के साथ ही रहना खाना भी मुफ़्त प्राप्त करते है आश्रम में कार्यरत कर्मचारियों को नियुन्तम मजदुरी राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दर से दी जाती है पूर्व महासचिव एटक कामरेड गुरुदास दास गुप्ता जी सांसद भी आश्रम में आये थे और आश्रम को सामाजिक कार्य के लिए प्रमुख केंद्र कहा था हिमालय के गोद में डोल आश्रम है जहां उच्च कोटी का विद्यालय आश्रम द्वारा संचालित है सभी शिक्षा एवं आश्रम का खर्च दान दाता एवं ट्रस्ट वहन करते हैं आश्रम पूर्णतः ग़ैरराजनीतिक है संयुक्त कोयला मज़दूर संघ एटक के केन्द्रीय पदाधिकारियों जिसमें कुल 40 लोग थे आश्रम ने खाना ठहरना के साथ ही व्यवस्था कर बैठक कराया था।
ऐसे संत के द्वारा सार्वजनिक रुम से सम्मानित होने पर मुझे फक्र है आश्रम के इंचार्ज 40 बर्षो से हिमाद्रि मुनि जी अमरकण्टक छोडकर कहीं रात्रि बिश्राम नहीं किये शिक्षण संस्थानों एवं आश्रम के ब्यवस्था को वहीं संभालते है समय के पाबंद प्रशासन में चुस्ती उनके निःस्वार्थ भाव को समझा जा सकता है उनके अनुआयी जगदीशानंद जी पेंड्रा स्कूल को संभालते है एक आदिवासी बालक को पढ़ा लिखाकर संस्कृति का विद्वान बनाया स्वामी योग्यस्वरा नंद जी जिनको शंकराचार्य का दर्जा प्राप्त है डाक्टर विश्वनाथ दास अयोध्या आश्रम के इंचार्ज हैं और स्वामी विशेस्वरानंद दूबई में एक विद्यालय का संचालन कर रहें हैं मिथ्या नहीं हकीकत है कि कथित हिन्दूबादी संगठन एक जातिबिशेष को ही शंकराचार्य के लिए हमेशा उपयुक्त समझते हैं किन्तु आश्रम ने एक आदिवासी बालक को शिक्षित कर शंकराचार्य के बराबर बना दिया है ऐसी बात नहीं है कि आश्रम के हर बात से हम सहमत हैं किन्तु कुछ बातें हैं शायद किसी और आश्रम में पाया जाना दुर्लभ हैं आश्रम का स्वयं का गोशाला है जहां क़रीब सौ गीर नश्ल की दुधारू गायें है दुध का उपयोग विद्यालय के आवासीय बच्चों के लिए किया जाता है आश्रम में आगन्तुकों के लिए निःशुल्क ठहरने भोजन इत्यादि की ब्यवस्था है।