छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 16 दिसंबर 2024। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में ‘द दिल्ली मॉडल’ का विमोचन किया। आप के वरिष्ठ नेता जस्मीन शाह द्वारा लिखी गई इस किताब में आम आदमी पार्टी के उद्भव की वजह से लेकर मौजूदा वक्त की छोटी-बड़ी घटनाओं का जिक्र है। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम अपने काम की बदौलत दिल्ली में चौथी बार सरकार बनाने जा रहे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के पास कोई मुद्दा और विजन नहीं है। इनको सिर्फ केजरीवाल को गाली देना है। उन्होंने कहा कि, पिछले 10 वर्षों में हमारी सरकार ने शिक्षा-स्वास्थ्य, बिजली-पानी, महिलाओं का बस में सफर मुफ्त कर दिल्लीवालों की मूलभूत समस्याओं का समाधान किया है। हमने इन्हें भी मुद्दों पर बात करने के लिए मजबूर किया, तो प्रधानमंत्री मोदी को गुजरात में फ़र्ज़ी स्कूल में फोटो खिंचवानी पड़ी। इस दौरान वरिष्ठ नेता मनीष सिसौदिया, सत्येन्द्र जैन, मुख्यमंत्री आतिशी और किताब के लेखक जस्मीन शाह समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।
यह किताब केवल दिल्ली के गवर्नेंस मॉडल के बारे में नहीं, बल्कि यह आप की राजनीति का मॉडल भी है: केजरीवाल
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ‘द दिल्ली मॉडल किताब लिखने के लिए जस्मीन शाह को बधाई देते हुए कहा कि यह केवल दिल्ली के गवर्नेंस मॉडल के बारे में नहीं, बल्कि यह आम आदमी पार्टी की राजनीति का मॉडल भी है। दिल्ली का गवर्नेंस मॉडल या आम आदमी पार्टी की राजनीति क्या है? हमने लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी की मूलभूत समस्याओं को सुलझाने की बस कोशिश की है। यह और कुछ नहीं है। लोगों के बच्चों को शिक्षा चाहिए, बीमार हो जाएं तो अस्पताल चाहिए। महंगाई बढ़ रही है, इसमें सरकार थोड़ी मदद कर दे, बिजली मुफ्त कर दे, पानी फ्री कर दे। हमने इन मूलभूत समस्याओं का समाधान करने की कोशिश की है। लेकिन सवाल उठता है कि यह हमसे पहले किसी सरकार ने क्यों नहीं किया? देश को आज़ाद हुए 75 साल हो गए। हमारे पहले इतनी पार्टियां और इतने नेता आए लेकिन किसी ने यह नहीं किया।
पार्टी में जाति को देखकर नहीं, बल्कि व्यक्ति की परफॉमेंस को देखकर टिकट बांटी जाती है
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने दिल्ली में अपने सारे उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। जब हम टिकट की घोषणा कर रहे थे, तो हमारी बातचीत में कभी यह नहीं आता कि कोई सीट इस जाति की है, इसलिए उस जाति को दे दो। केवल परफॉर्मेंस के आधार पर हमारी टिकटें बांटी जाती हैं। हम केवल यह देखते हैं कि कौन काम कर रहा है। किसको जनता पसंद कर रही है। हमने इस देश के अंदर यह साबित किया है कि केवल गवर्नेंस के आधार पर चुनाव लड़े जा सकते हैं और गवर्नेंस के दम पर चुनाव जीते जा सकते हैं। पहले कहा जाता था कि केवल धर्म के नाम पर ही चुनाव लड़ा जा सकता है। यही कारण है कि दिल्ली में अब इतनी ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं चलती है। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में इन्होंने कितना शाहीन बाग करने की कोशिश की थी, लेकिन स्कूल और अस्पतालों ने इनके शाहीन बाग के नारे को हरा दिया। यह बहुत बड़ी बात है। इनके इतना शाहीन बाग करने के बाद भी हमारी 70 में से 62 सीट आईं। और ये लोग दिल्ली में केवल आठ सीटें ले पाए।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक्स पर कहा कि दिल्ली सरकार के कामों और नीतियों को लेकर आपके मन में कई सवाल हो सकते हैं। इन सभी सवालों के जवाब जस्मीन शाह की नई किताब ‘द दिल्ली मॉडल‘ में संजोए गए हैं, जो आज लॉन्च हुई है। अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली-पानी समेत हर क्षेत्र में जो परिवर्तन हुआ, वह केवल नीतियों का नहीं, बल्कि एक सोच का बदलाव है। यह किताब सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि समझने के लिए है कि कैसे एक ईमानदार और जन समर्पित सरकार हर असंभव कार्य को संभव बना सकती है।
इस किताब में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, वायु प्रदूषण, परिवहन, बिजली और पानी के क्षेत्र में किए सुधारों का विश्लेषण पेश किया गया है- जस्मीन शाह
इस दौरान किताब के लेखक और आप के वरिष्ठ नेता जस्मीन शाह ने कहा कि यह मेरी पहली किताब है। मुझे दिल्ली मॉडल की कहानी क्यों इतनी ज़रूरी लगी और क्यों मुझे लगता है कि यह कहानी आज के भारत की सबसे महत्वपूर्ण कहानियों में से एक है। फरवरी 2015 में, जब पूरे देश की नज़रें दिल्ली पर थीं, आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत हासिल की। मैं भी उन लाखों लोगों में से एक था जो टेलीविज़न पर यह होते हुए देख रहा था और प्रेरित महसूस कर रहा थे। आम आदमी पार्टी सत्ता में आई क्योंकि उसने वोटों के जादुई खेल या किसी जाति-विशेष के वोट बैंक के बल पर चुनाव नहीं जीते, जैसा कि आमतौर पर भारत में राजनीति बन चुकी है, बल्कि दिल्ली के लोगों ने एक बड़े बदलाव का वादा किया था, जिस पर सभी जातियों और वर्गों के लोग विश्वास कर रहे थे। वह वादा था व्यवस्था परिवर्तन। अरविंद केजरीवाल ने आप के इस वादे को व्यवस्था परिवर्तन नाम दिया, जिसका मतलब है सरकारी मशीनरी का पूरी तरह से पुनर्गठन। यह एक ऐसी घड़ी थी जब दिल्ली के आम लोग एकजुट होकर सभी प्रमुख पार्टियों को नकारते हुए, उनके द्वारा उनकी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से जुड़े मुद्दों का समाधान न करने पर नाराज़ हुए। ये मुद्दे थे- खस्ता हाल सरकारी स्कूल, भीड़-भाड़ और असमर्थ स्वास्थ्य सेवाएँ, लंबी बिजली कटौती, बढ़ती हुई बिजली और पानी की कीमतें, और बढ़ती प्रदूषण की समस्या। मैंने यह किताब इसलिए लिखी क्योंकि सबसे पहला कारण यह है कि 2015 में हमने व्यवस्था परिवर्तन का जो वादा किया था, उसका क्या हुआ, इसका दस्तावेजीकरण करना है। इस किताब में मैंने दिल्ली मॉडल के तहत छह प्रमुख क्षेत्रों शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, वायु प्रदूषण, परिवहन, बिजली और पानी में किए गए सुधारों का तथ्यात्मक और नीति-आधारित विश्लेषण प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, और यह भी बताया है कि किस प्रकार इन सुधारों ने शासन में नए मानक स्थापित किए हैं।