छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 18 नवंबर 2020। भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा का निधन हो गया है। मृदुला का जन्म 27 नवंबर 1942 को बिहार के मुजफ्फरपुर में हुआ था। उन्होंने मनोविज्ञान में एमए और बीएड किया था। इसके बाद कुछ समय मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज में पढ़ाया। मोतिहारी में एक स्कूल की प्रिंसिपल भी रहीं। बाद में नौकरी छोड़कर पूरी तरह लेखन में रम गईं।
मृदुला सिन्हा के निधन पर गृह मंत्री अमित शाह ने श्रद्धांजलि दी है. शाह ने ट्वीट के जरिए उन्हें याद किया. उन्होंने लिखा ‘गोवा की पूर्व राज्यपाल व वरिष्ठ भाजपा नेता मृदुला सिन्हा जी का निधन बहुत दुःखद है। उन्होंने जीवन पर्यन्त राष्ट्र, समाज और संगठन के लिए काम किया. वह एक निपुण लेखिका भी थी, जिन्हें उनके लेखन के लिए भी सदैव याद किया जाएगा. उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ. ॐ शान्ति’
पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मृदुला सिन्हा जी को जनता की सेवा के लिए उनके प्रयासों के लिए याद किया जाएगा। वह एक कुशल लेखिका भी थीं, जिन्होंने साहित्य के साथ-साथ संस्कृति की दुनिया में भी व्यापक योगदान दिया। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।’
बिहार के बेगुसराय से भारतीय जनता पार्टी से सांसद गिरिराज सिंह ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी. सिंह ने लिखा ‘गोवा की पूर्व राज्यपाल, प्रख्यात साहित्यकार एवं भाजपा की वरिष्ठ नेत्री मृदुला सिन्हा जी के निधन से मन व्यथित है। उनका निधन भाजपा परिवार के लिए एक अपूर्णीय क्षति है. हमारे माथे पर से एक आशीर्वाद उठ गया. प्रभु उनकी आत्मा को शांति दें।’
पति के साथ राजनीति में सक्रिय हुईं
उनके पति डॉ. रामकृपाल सिन्हा बिहार में कैबिनेट मंत्री और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री रहे। इसके बाद मृदुला भी राजनीति में सक्रिय हो गईं। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान वे केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष रहीं। बाद में उन्हें गोवा का राज्यपाल बनाया गया।
लोक आस्था के त्यौहारों पर अक्सर लिखती रहीं
मृदुला की पहचान राजनेता के साथ हिंदी लेखिका की भी रही है। वे पांचवां स्तम्भ नाम से एक सामाजिक पत्रिका निकाल चुकी हैं। उन्होंने अलग-अलग विषयों पर करीब 46 पुस्तकें और उपन्यास लिखे हैं। विजयाराजे सिंधिया पर लिखी उनकी किताब ‘एक थी रानी ऐसी भी’ पर फिल्म भी बनी थी। वे लोक परंपराओं पर लगातार लिखती रहीं। छठ पर्व उनका प्रिय विषय था और उन्होंने लेखन में इसे लगातार शामिल किया।
कई पुरस्कार और सम्मान हासिल हुए
मृदुला सिन्हा को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का साहित्य भूषण सम्मान, दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार समेत कई दूसरे सम्मान और पुरस्कार मिल चुके हैं। इनके अलावा कई साहित्यिक मंचों से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।