छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी कार्लटन चैपमैन का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वो 49 साल के थे। उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद रविवार को उनको बेंगलुरू के हॉस्पिटल में भर्ती कराया था, जहां उन्होंने आज सुबह दम तोड़ दिया। साल 1990 के दौर में क्लब फुटबॉल में बाईचुंग भूटिया और आईएम विजयन के साथ उनकी जोड़ी काफी पॉपुलर थी। चैपमैन की गिनती भारत के सबसे शानदार मिडफील्डरों में की जाती थी।
उनके साथ भारत टीम का एक दफा हिस्सा रहे चुके ब्रोनो कॉटीनो ने गोवा से पीटीआई को बताया, ‘मुझे बेंगलरु से उनके एक दोस्त का फोन आया था, उन्होंने मुझे बताया कि चैपमैन अब नहीं रहे। वो बहुत ही शानदार इंसान थे, हर वक्त मुस्कराते रहते थे और हर किसी की मदद करने के लिए तैयार रहते थे।‘
चैपमैन भारत के लिए साल 1995 से लेकर 2001 तक खेले और उनकी कप्तानी में टीम ने 1997 में एसएएफएफ(SAFF) कप को भी अपने नाम किया। क्लब स्तर पर उन्होंने ईस्ट बंगाल के लिए दो और जेसीटी के लिए एक सफल सीजन खेला। 1990 की शुरुआत में चैपमैन टाटा फुटबॉल अकेडमी का हिस्सा थे और उन्होंने साल 1993 में ईस्ट बंगाल क्लब को जॉइन किया था। चैपमैन ने एशियन कप विनर्स कप के पहले राउंड के मुकाबले में गोलों की हैट्रिक लगाते हुए टीम को इराक के फुटबॉल क्लब अल जवारा के खिलाफ 6-2 से जीत दिलाई थी।
हालांकि, उनका सबसे बेहतरीन प्रदर्शन तब देखने को मिला, जब उन्होंने साल 1995 में जेसीटी क्लब को जॉइन किया। चैपमैन ने पंजाब के इस क्लब से खेलते हुए 14 ट्रॉफियां जीती, जिसमें 1996-97 में नेशनल फुटबॉल लीग का उद्घाटन सीजन भी शामिल था। जहां उन्होंने बाईचुंग भूटिया और आर विजयन के साथ मिलकर कमाल का प्रदर्शन किया।
इसके बाद चैपमैन एफसी कोचिन क्लब से साथ जुड़े, लेकिन एक साल बिताने के बाद वो वापिस ईस्ट बंगाल में 1998 में लौट आए। इसके बाद उनकी कप्तानी में क्लब ने एनएफएल(NFL) जीता, जहां उन्होंने बेहद अहम भूमिका निभाई। उन्होंने प्रोफेशनल फुटबॉल से साल 2001 में संन्यास की घोषणा की। चैपमैन ने क्वार्ट्ज एफसी के तकनीकी डायरेक्टर बनने से पहले बतौर कोच टीएफए, रॉयल वाहिंगदो के लिए काम किया।