भारत में अब 3,682 बाघ, उत्तर प्रदेश में 2006 के मुकाबले दोगुने तो उत्तराखंड में तीन गुने हुए बाघ

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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर  

नई दिल्ली 30 जुलाई 2023। कभी खात्मे की कगार पर पहुंच चुके बाघ अब भारत की धरती पर फिर से बढ़ने लगे हैं। इनकी संख्या पिछले 16 साल में 260 प्रतिशत बढ़कर 3,682 पहुंच गई है, जबकि 2006 में महज 1,411 ही बाघ बचे थे। ‘भारत में बाघों की स्थिति’ रिपोर्ट के शनिवार को जारी विस्तृत संस्करण में यह तथ्य सामने आए। इसके अनुसार देश में कम से कम 3,167 और अधिकतम 3,925 बाघ हो सकते हैं, इसलिए औसत संख्या 3,682 मानी गई है। सबसे ज्यादा 785 बाघ मध्यप्रदेश में हैं। उत्तराखंड में साल 2006 में जहां 178 बाघ ही बचे थे, आज इनकी संख्या तीन गुना बढ़कर 560 पहुंच गई है। उत्तर प्रदेश में भी संख्या 109 से करीब दोगुनी बढ़कर 205 पहुंच गई है। यह राज्य शिवालिक गंगा क्षेत्र में आते हैं, जहां बाघों की संख्या 297 से बढ़कर 819 हो चुकी है।

कार्बेट रिजर्व में सबसे ज्यादा
रिपोर्ट के अनुसार भी टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा 260 बाघ उत्तराखंड के कार्बेट रिजर्व में हैं। इसके बाद बांदीपुर में 150, नागरहोल में 141, बांधवगढ़ में 135, दुधवा में 135, मधुमलई में 114, कान्हा में 105, काजीरंगा में 104, सुंदरबनों में 100, ताडोबा में 97, सत्यमंगलम में 85 और पेंच में 77 बाघ मिले हैं। कुछ रिजर्व में हालात चुनौतीपूर्ण हैं, करीब 35 प्रतिशत को तत्काल सुधारों और संरक्षण के प्रयासों की जरूरत है।

विश्व बाघ दिवस पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने जिम कॉर्बेट रिजर्व में यह रिपोर्ट जारी की…इसे हर 4 साल में होने वाली देशव्यापी बाघ गणना का भारतीय वन्यजीव संस्थान के विश्लेषण पर तैयार किया गया है। इसके अनुसार देश में साल 2018 में 2,967 बाघ थे, इस लिहाज से 2022 तक इनकी आबादी सालाना 6.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी।

यूपी और उत्तराखंड: शिवालिक पर्वत व गंगा के मैदानी क्षेत्र ने खूब बढ़ाए बाघ। शिवालिक पर्वत व गंगा के मैदानी क्षेत्र में बाघों की आबादी में 16 साल में 275 प्रतिशत वृद्धि हुई, जो देश में सबसे ज्यादा है। इसमें उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश का अहम योगदान रहा।

मध्य भारत क्षेत्र व पूर्वी घाट: इस क्षेत्र में सात राज्य हैं। यहां देश के सबसे ज्यादा बाघ भी हैं। हालांकि, इनमें मध्यप्रदेश (785) और राजस्थान (88) ने काफी बाघ बढ़ाए, लेकिन आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा में बाघ घट गए।

पश्चिमी घाट क्षेत्र: दूसरी सबसे बड़ी आबादी यहीं। कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्यों ने बाघों की संख्या में 270 प्रतिशत वृद्धि की।

केंद्रीय वन मंत्री ने मध्य प्रदेश को सराहा
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने मध्य प्रदेश को शुभकामनाएं देते हुए कहा, ‘नई गणना में 785 बाघों के साथ मध्य प्रदेश भारत में सबसे बाघों वाला राज्य बन गया है। यह बाघों के संरक्षण में राज्य का समर्पण दर्शाता है।

दो बाघिनों के मिले शव
उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट रिजर्व के ढेला रेंज और महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के बल्लारपुर वन रेंज में बाघिनों के शव मिले हैं। चंद्रपुर के पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा, बाघिन के सभी अंग बरकरार थे। मौत के कारणों का पता लगाया जा रहा है। वहीं कॉर्बेट रिजर्व के सवालदेह वन क्षेत्र में जो बाघिन मृत मिली है उसकी उम्र करीब पांच साल है। मध्य भारत, शिवालिक पर्वतों और गंगा के मैदानों में बाघ सबसे तेजी से बढ़े हैं। पृथ्वी पर जंगलों पर रहने वाले बाघों की 75 प्रतिशत आबादी भारत में है।

53 में से 12 टाइगर रिजर्व सर्वोत्कृष्ट, पांच ठीकठाक
बाघों की संख्या बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे देश के 53 टाइगर रिजर्व का प्रबंधन कितना प्रभावशाली है, इसके विश्लेषण (एमईई) में 12 रिजर्व को सर्वोकृष्ट घोषित किया गया है। वहीं केवल 5 को संतोषजनक की श्रेणी में रखा गया है। पांचवें चरण के इस विश्लेषण में 51 टाइगर रिजर्व शामिल किए गए थे।

साल 2006 में शुरू हुए एमईई को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और भारतीय वन्यजीव संस्थान मिलकर करवाते हैं। इसकी नई विस्तृत रिपोर्ट विश्व बाघ दिवस पर कॉर्बेट रिजर्व में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने जारी की। यह विश्लेषण प्रकृति व प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के अंतरराष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) और संरक्षित क्षेत्रों के विश्व आयोग द्वारा तय ढांचे के तहत होता है। इनके जरिए वन्य जीवों के संरक्षण के साथ उनके प्राकृतिक आवास, जैव विविधता के संरक्षण और मानव समुदायों के हितों का भी ध्यान रखा जा रहा है। सबसे अहम, यह संकेत देता है कि संबंधित रिजर्व का संचालन कैसा है।

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