गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार: सीएम हिमंत ने लगाई कांग्रेस की क्लास; कहा- यह भारतीय संस्कृति पर प्रहार

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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर  

नई दिल्ली 19 जून 2023। धर्म, संस्कृति और परंपरा को समेटे गीता प्रेस को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के एलान के साथ ही अब इस पर सियासत शुरू हो गई है। सरकार और विपक्ष पार्टी के नेताओं के बीच वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया। एक ओर, कांग्रेस पार्टी ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के आदेश के तुरंत बाद सवाल उठा दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 देना ‘सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने’ जैसा है। इसी पर, अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में मिली चुनावी जीत के घमंड में चूर होकर कांग्रेस भारतीय संस्कृति पर खुला प्रहार कर रही है।  दरअसल, गांधी शांति पुरस्कार महात्मा गांधी द्वारा स्थापित आदर्शों को श्रद्धांजलि के रूप में 1995 में भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है। संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के रूप में चुनने का फैसला किया। 

इसी साल गीता प्रेस ने 100 वर्ष पूरे किए हैं। बता दें कि गीता प्रेस की स्थापना करने वाले चूरू राजस्थान के रहने वाले जयदयालजी गोयंदका (सेठजी) गीता-पाठ, प्रवचन में बहुत रुचि लेते थे। व्यापार के सिलसिले में उनका कोलकाता आना-जाना होता रहता था। वहां वह दुकान कि गद्दियों में भी सत्संग किया करते थे। धीरे-धीरे सत्संगियों की संख्या इतनी बढ़ गई कि जगह की समस्या खड़ी होने लगी। इसपर उन्होंने कोलकाता में बिड़ला परिवार के एक गोदाम को किराए पर लिया और उसका नाम रखा गोविंद भवन।

यह भागीरथ कार्यों का सम्मान: शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शान ने कहा कि भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है। 100 वर्षों से अधिक समय से गीता प्रेस रामचरित मानस से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुंचाने का अद्भुत कार्य कर रही है। गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 मिलना उनके द्वारा किए जा रहे इन भागीरथ कार्यों का सम्मान है।

जयराम रमेश का सरकार पर वार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने अक्षय मुकुल द्वारा लिखित ‘गीता प्रेस एंड द मेकिंग ऑफ हिंदू इंडिया’ का कवर पेज साझा किया। साथ में तर्क देते हुए कहा कि ये किताब बहुत अच्छी जीवनी है। उन्होंने कहा कि लेखक ने इसमें संगठन के महात्मा के साथ तकरार भरे संबंधों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का खुलासा किया है। गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 देना ‘सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने’ जैसा है। ये फैसला एक उपहास की तरह है।

असम के सीएम का कांग्रेस पर पलटवार
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने कांग्रेस नेता को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में मिली चुनावी जीत के घमंड में चूर होकर कांग्रेस अब भारतीय संस्कृति पर खुला प्रहार कर रही है। वह चाहे धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करना हो या फिर गीता प्रेस की आलोचना करना। भारत की जनता निश्चित रूप से दोगुनी शक्ति के साथ कांग्रेस के ऐसे प्रयासों को नाकाम करेगी।

शहजाद पूनावाला ने भी किया पलटवार
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस को ‘हिंदू विरोधी’ करार दिया। उन्होंने लोगों से सवाल किया कि गीता प्रेस पर उसके हमले से क्या कोई हैरान है? उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि गीता प्रेस को अगर ‘एक्सवाईजेड प्रेस’ कहा जाता तो वे इसकी सराहना करते, लेकिन चूंकि यह गीता है, इसलिए कांग्रेस को समस्या है। पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस मुस्लिम लीग को धर्मनिरपेक्ष मानती है, लेकिन उसके लिए गीता प्रेस सांप्रदायिक है। जाकिर नाइक शांति का मसीहा है लेकिन गीता प्रेस सांप्रदायिक है।

41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित 
बता दें, दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक गीता प्रेस की स्थापना सन् 1923 में हुई थी। केंद्रीय मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, इसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें 16.2 करोड़ श्रीमद् भगवद गीता शामिल हैं।

पीएम ने दी बधाई
इस बीच, पीएम मोदी ने पुरस्कार जीतने के लिए गीता प्रेस को बधाई दी और क्षेत्र में इसके योगदान की सराहना की। पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूं। उन्होंने लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में सराहनीय काम किया है।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी गोरखपुर स्थित ‘गीता प्रेस’ को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी।

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