पीएम मोदी का वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिए संवाद
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 23 सितम्बर 2020। फिट इंडिया मूवमेंट का एक साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खिलाड़ियों और दूसरे सेलेब्रिटीज से बात कर रहे हैं। क्रिकेटर विराट कोहली चर्चा में मोदी ने पूछा कि टीम के लिए योयो टेस्ट हो रहा है, क्या कैप्टन को भी करना पड़ता है? इस पर कोहली ने कहा कि हम अपना फिटनेस लेवल बढ़ाना चाहते हैं, इसके लिए योयो टेस्ट जरूरी है। मैं भी इसमें फेल हुआ तो सिलेक्शन नहीं हो पाएगा।
नरेंद्र मोदी की विराट से बातचीत
मोदी- दुबई से समय निकालकर जुड़े। आपका तो नाम ही विराट है। फिटनेस पर क्या कहेंगे?
विराट- मुझे भी जिंदगी में ट्रांजिशन से गुजरा। मुझे एक्सपीरियंस मिला कि जो रुटीन सही नहीं था, क्योंकि खेल काफी आगे बढ़ चुका था। जो सेल्फ रियलाइजेशन की बात थी। मुझे भी लगा कि फिटनेस प्रायोरिटी होनी चाहिए। प्रैक्टिस मिस हो जाए तो खराब नहीं लगता। फिटनेस सेशन मिस हो जाए तो बहुत बुरा लगता है।
मोदी- दिल्ली के छोले-भटूरे मिस करते हैं?
विराट- जहां से आता हूं, वहां का खान-पान बहुत असर नहीं डालता। हालांकि, अब फिटनेस के लिए बहुत कुछ बदलना पड़ा। अगर हम फिटनेस को इम्प्रूव नहीं करेंगे तो खेल में पीछे छूटते चले जाएंगे। शरीर और दिमाग दोनों का स्वस्थ रहना जरूरी है। रात को मीठा खाकर बिना कोई एक्टिविटी किए सो गए, ये गलत होता है। दिमाग में ये क्लीयर होना जरूरी है कि आप किसके लिए फिट रहना चाहते हैं?
मोदी- आप लगातार एक्टिविटीज करते रहते हैं, थकते नहीं हैं?
विराट- कोई भी एक्टीविटी करने पर थकना लाजिमी है। मैं भी थकता हूं। लेकिन थकने के बाद मैं एक मिनट में दोबारा तैयार हो जाता हूं तो यह बड़ी बात होती है। टेस्ट क्रिकेट थकाऊ होता है। तीन दिन में प्लेयर्स को थकान होने लगती है। अगर खिलाड़ी फिट है तो वह तीसरे-चौथे-पांचवें दिन भी एफर्ट डाल सकता है। हमारे पास पहले भी स्किल थी, यही हमारी ताकत है। लेकिन पहले खिलाड़ी थकने की वजह से एफर्ट नहीं डाल पाते थे, लिहाजा हमारी टीम हार जाती थी।
मिलिंद सोमण बोले- लोग पूछते हैं कि 55 की उम्र में इतना कैसे दौड़ लेता हूं
कोहली से पहले मोदी ने एक्टर मिलिंद सोमण से बातचीत में उनके गाने ‘मेड इन इंडिया’ का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने सोमण से उम्र के बारे में पूछा। एक्टर ने कहा “लोग मुझसे कहते हैं कि 55 साल में इतना कैसे दौड़ लेते हो? मैं उनसे कहता हूं कि मेरी मां 81 साल की हैं। वो भी ये सब कर लेती हैं। मेरे दादाजी भी बहुत फिट थे। बैठने से आप कमजोर होते हैं। कोई भी व्यक्ति एक्सरसाइज से 3 किमी से 100 किमी तक दौड़ सकता है।”
सोमण ने कहा, “मुझे एक्सरसाइज करना पसंद है। जो भी समय मिलता है, उसमें एक्सरसाइज करता रहता हूं। जिम नहीं जाता, मशीनों का इस्तेमाल नहीं करता। मैं 10 फीट के कमरे में फिट रह सकता हूं। मैं जब दौड़ता हूं तो जूते भी नहीं पहनता। आपके पास जो भी है, उसे लेकर भी आप खुद को फिट रख सकते हैं।”
“आप खुद की एक्सरसाइज बना सकते हैं। लोगों को समझ में आना जरूरी है कि फिट रहना है। ये जानना जरूरी है कि आप किस चीज के लिए फिट रहना चाहते हैं, जैसे- पर्वतारोहण, खेलना या सामान्य जिंदगी के लिए। 40, 50, 60 की उम्र में जिंदगी खत्म नहीं होती। आप नई शुरुआत कर सकते हैं।”
‘कोरोना के बीच फिजिकल एक्टिविटी जीवन का हिस्सा बनीं’
मोदी ने कहा कि फिट इंडिया मूवमेंट ने एक साल में ही लोगों की जिंदगी में जगह बना ली है। बड़ी बात ये है कि इस दौरान दुनिया कोरोना से भी जूझ रही है। खेलों को लेकर अवेयरनेस लगातार बढ़ रही है। रनिंग, स्वीमिंग, योग, जॉगिंग, एक्सरसाइज अब जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। आज दुनियाभर में सेहत को लेकर जागरूकता है। फिजिकल एक्टीविटी पर WHO ने रिकमंडेशन भी जारी की है।
‘जो परिवार एक साथ खेलता है, वह एक साथ फिट भी रहता है’
मोदी ने कहा कि इस समय बड़े लेवल पर फिटनेस पर काम चल रहा है। ज्यादा से ज्यादा लोग फिटनेस से जुड़ें, इसकी कोशिशें जारी हैं। सब कुछ हेल्थ पर निर्भर है। स्वास्थ्य है, तभी भाग्य है, सफलता है। फिट होने पर एक आत्मविश्वास आता है। यही बात परिवार, समाज और देश पर भी लागू है। एक परिवार जो एक साथ खेलता है, एक साथ फिट भी रहता है। वही सफल भी होता है। कोई भी अच्छी आदत होती है, तो उसे माता-पिता ही सिखाते हैं। अब युवा माता-पिता को एक्सरसाइज के लिए प्रेरित करते हैं। हमारे यहां कहा गया है, मन चंगा तो कठौती में गंगा।
मोदी बोले- मां पूछती हैं कि हल्दी ले रहे हो या नहीं?
न्यूट्रिशन और फिटनेट एक्सपर्ट रुजुता दिवेकर ने हेल्दी फूड के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आजकल अमेरिका में घी शब्द सबसे ज्यादा गूगल किया जा रहा है। मोदी ने कहा कि मैं सहजन (मुनगा या ड्रमस्टिक) के पराठे खाता हूं। हफ्ते में दो बार मां से बात होती है। वे एक ही बात पूछती हैं- हल्दी ले रहे हो न।
स्वामी शिवध्यानम स्वामी बोले- आश्रम युवाओं का जीवन बदल देता है
मोदी से बातचीत में आध्यात्मिक गुरू शिवध्यानम ने कहा कि गुरुकुल में छोटी उम्र से बच्चे आकर रहते थे, वहां रहने का माहौल बनता था। हमारे आश्रम में भी यही तरीका है। योग सिर्फ अभ्यास नहीं, जीवन जीने की कला है। आश्रम ऐसा माहौल देता है कि योग की शिक्षाओं को जीवन में उतार सकें। आश्रम में सभी लोग अपना काम खुद करते हैं। लड़के-लड़कियां आते हैं, उन्होंने पहले कोई काम किया नहीं होता। जाते वक्ते कहते हैं कि हमारा जीवन बदल गया।