छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 20 मई 2022। पेगासस जासूसी कांड की जांच कर रही समिति को रिपोर्ट दाखिल करने के सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते का और समय दिया है।दरअसल, समिति की ओर से कोर्ट में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी गई थी। आज सुनवाई के दौरान समिति ने शीर्ष अदालत से समय की मांग की, जिसके बाद सीजेआई ने समिति को चार सप्ताह का समय दिया है।
मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा, हमें टेक्निकल समिति की अंतरिम रिपोर्ट मिली थी। बताया गया है कि 29 मोबाइल की जांच की गई है। कई लोगों से बात की गई। मई के अंत तक रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। हम समय दे रहे हैं। 4 हफ्ते में मामले की निगरानी कर रहे पूर्व जज को रिपोर्ट सौंपी जाए। अब इस मामले में जुलाई में सुनवाई होगी। कोर्ट का कहना है कि सुपरवाइजिंग जज टेक्निकल कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन करेंगे और जून के अंत तक कोर्ट को अपनी राय देंगे।
समिति ने सौंपी थी अंतरिम रिपोर्ट
समिति ने सुप्रीम कोर्ट को जो रिपोर्ट सौंपी थी, वह अंतरिम थी। इस रिपोर्ट में कुछ अन्य बिंदुओं का विश्लेषण किया जाना बाकी है। दरअसल, समिति ने 18 अप्रैल को सभी राज्यों के पुलिस प्रमुखों को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या उन्होंने इस्राइल का पेगासस स्पाईवेयर खरीदा था?
करीब 1400 लोगों की जासूसी का है आरोप
इस्राइली सॉफ्टवेयर पेगासस के माध्यम से भारत में करीब 1400 लोगों की जासूसी कराने का आरोप है। दावा किया गया था कि 2019 में मोबाइल फोन या सिस्टम व लैपटॉप के जरिए 1400 लोगों की जासूसी सरकार ने कराई थी। इसमें 40 बड़े पत्रकार, विपक्षी नेता, केंद्रीय मंत्री, सुरक्षा एजेंसियों के कई अधिकारी, उद्योगपति शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स से खुला था मामला
पेगासस जासूसी कांड का खुलासा कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से हुआ था। रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र था कि 2017 में जब भारत सरकार ने इस्राइल से दो अरब डॉलर का मिसाइल सौदा किया था तभी पेगासस स्पाईवेयर भी खरीदा गया था। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी। हालांकि, सरकार ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया था।
12 याचिकाएं हुई थीं दाखिल
पेगासस मामले की स्वतंत्र जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में 12 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मामले में 12 जनहित याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है। इनमें एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार द्वारा दायर जनहित याचिकाएं शामिल हैं।
क्या है पेगासस स्पाईवेयर
- दरअसल, इस सॉफ्टवेयर को इस्राइल की कंपनी एनएसओ ग्रुप ने बनाया है। इसे बिना बताए किसी भी लक्षित आदमी के फोन, लैपटॉप या कंप्यूटर में इंस्टॉल किया जा सकता है। इंस्टॉल किए जाने के बाद ये स्पाईवेयर उस शख्स पर पूरी तरह नजर रखने लगता है।
- ये सॉफ्टवेयर डिवाइस का सारा पर्सनल डाटा चुराकर थर्ड पार्टी को डिलीवर कर देता है। इस स्पाईवेयर को आतंकियों और क्रिमिनल्स पर नजर रखने के मकसद से बनाया गया था।
- एक्सपर्ट्स की मानें तो पेगासस स्पाईवेयर बहुत आसानी से व्हाट्सएप की एक मिस्ड कॉल के जरिए फोन में इंस्टॉल कर दिया जाता है। वहीं आईफोन में ये आईमैसेज के जरिए इंस्टॉल हो जाता है। इतना ही नहीं ये स्पाईवेयर इतना खतरनाक है कि ये जीरो क्लिक मैथड के जरिए इंस्टॉल हो जाता है। मतलब बिना किसी लिंक पर क्लिक किए ये डिवाइस में आ जाता है। मैसेज को डिलीट कर देने पर भी इससे बचा नहीं जा सकता।
- इस स्पाईवेयर से आपके फोन में मौजूद सारी जानकारी किसी तीसरे व्यक्ति के पास चली जाती है। इतना ही नहीं ये आपके डिवाइस के माइक व कमैरा को खुद ही ऑन कर सकता है।