छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
जम्मू-कश्मीर 06 मई 2023। जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में कांडी वन क्षेत्र में शुक्रवार को आतंकवादियों द्वारा किए गए विस्फोट में पांच सैन्यकर्मी शहीद हो गए और मेजर रैंक के एक अधिकारी घायल हो गए। पिछले महीने पुंछ जिले के भाटा धुरियान में सेना के ट्रक पर घात लगाकर किए गए हमले में शामिल आतंकवादियों के एक समूह की उपस्थिति के बारे में जानकारी मिलने के बाद अभियान शुरू किया गया था, जो अब भी जारी है। पिछले महीने हुए हमले में पांच सैनिक शहीद हो गए थे। शुक्रवार के हमले से पहले, पुंछ और राजौरी के दो सीमावर्ती जिलों में अक्टूबर 2021 के बाद से सात बड़ी आतंकवादी घटनाएं हुई हो चुकी हैं, जिसमें 22 सैन्यकर्मियों सहित 29 लोगों की मौत हुई है। शहीद सैनिकों में उत्तराखंड के गैरसैंण के लांस नायक रुचिन सिंह रावत, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के ‘पैराट्रूपर’ सिद्धांत छेत्री, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नायक अरविंद कुमार, जम्मू के हवलदार नीलम सिंह और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर के ‘पैराट्रूपर’ प्रमोद नेगी शामिल हैं।
वहीं शहीद हुए जम्मू के हवलदार नीलम सिंह के गांव में मातम पसरा हुआ है। गांव वाले भी परिवार वालों को यह खबर देने में अंत तक कतराते रहे कि अब उनका बेटा नहीं रहा। ज्यौड़ियां के गांव चक किरपाल पुर (दलपत) निवासी नीलम सिंह शादीशुदा है और उसकी एक बेटी पवना देवी और बेटा अखिल सिंह है। नीलम सिंह का आज 6 मई को शहीद का दरिया चिनाब के किनारे पर अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मासूम पवना को बिलखते देखकर चक किरपालपुर में हर किसी की आंख हुई नम
बस मेरे पापा वापस दे दो और कुछ नहीं चाहिए… बेटी पवना के आंसू रुक नहीं रहे। बिलखते हुए कहती है – पिछली बार पापा आए थे तो लिंटर डालने की बात कर रहे थे। बिलखती मासूम बच्ची व पत्नी बिंदु के चित्कार से हर किसी की आंख नम थी। यह गमगीन माहौल राजोरी में शुक्रवार को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए ज्यौड़ियां के गांव चक किरपालपुर (दलपत) निवासी नीलम सिंह के घर बना था। बेटे की शहादत की खबर पहुंचते ही गांव में मातम छा गया। नीलम सेना की नौ पैरा कमांडो में तैनात थे। उनकी एक बेटी पवना देवी और बेटा अखिल सिंह है।
बेटे की शहादत की खबर देने से कतराते रहे लोग
शहीद नीलम सिंह के शहीद होने की खबर पहुंचते ही पूरे गांव में मातम है। कोई भी नीलम के शहीद होने की खबर परिजनों को बताने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। लेकिन बाद में घर के आसपास लोगों की भीड़ देखकर परिजनों को अंदेशा होने लगा। जानकारी मिलते ही बुजुर्ग पिता, शहीद की पत्नी और बच्चे बिलखने लगे। नीलम की माता का पहले ही निधन हो चुका है। परिवार में उनके पिता गुरदेव सिंह, पत्नी बिंदु देवी, छोटा भाई अंगद सिंह, बेटी पवना देवी, बेटा अखिल सिंह हैं।
18 महीनों में चौथी बार गुफाओं की आड़ में सेना पर हुआ हमला
आतंकियों के लिए मुफीद बनीं राजोरी-पुंछ की गुफाएं सेना और खुफिया एजेंसियों के लिए पहेली बन गई हैं। यूं कहा जाए कि पिछले 18 महीनों से इन गुफाओं के भेद को अभेद करने में तमाम सुरक्षा एजेंसियां असफल हो गई हैं। पिछले 18 महीनों में भाटादूड़िया के जंगलों में आतंकी आराम से गुफाओं में छिपकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, लेकिन एक भी आतंकी न तो मारा गया और न ही पकड़ा गया। 11 अक्तूबर 2021 से भाटादूड़िया में छिपे आतंकी अब तक भारतीय सेना के 19 जवानों को शदीद कर चुके हैं। घात लगाकर हमला करना हो या फिर मुठभेड़। चार बार ऐसा हो चुका है, लेकिन एक भी आतंकी अब तक नहीं मारा गया। इससे साफ है कि आतंकियों को गुफाओं से बाहर निकालने में कामयाबी नहीं मिल रही। जबकि आतंकी हर बार सेना को एक बड़ा जख्म दे जाते हैं।
18 माह में छह हमले, 19 जवानों के साथ 28 की गई जान…बता दें कि 11 अक्तूबर, 2021 को भाटादूड़ियां के जलंग में छिपे आतंकियों ने सर्च कर रहे सेना के दल पर हमला कर दिया था। अब तक 18 महीने बीत जाने के बाद भी इन आतंकियों का पता नहीं चला है। 11 अक्तूबर से लेकर अब तक पुंछ और राजोरी में आतंकियों ने छह हमलों को अंजाम दिया है। इनमें 19 जवान शहीद हुए। नौ नागरिकों की जान गई, जबकि एक भी आतंकी नहीं मारा गया है।