छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 20 अप्रैल 2023। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। उन्होंने इस मौके पर कहा कि बुद्ध का मार्ग भविष्य का मार्ग है। अगर दुनिया बुद्ध की सीखों पर चला होता तो जलवायु परिवर्तन जैसे संकट का कभी सामना नहीं करना पड़ता। बता दें, दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के सहयोग से 20-21 अप्रैल को राजधानी के अशोक होटल में किया जा रहा है।
आने वाली पीढ़ी के लिए हमें सतर्क होना जरूरी
पीएम मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन जैसा संकट इसलिए आया क्योंकि पिछली शताब्दी में कुछ देशों ने आने वाली पीढ़ियों के बारे में नहीं सोचा। उन्होंने आगे कहा कि आज हर व्यक्ति का हर काम किसी न किसी रूप में धरती को प्रभावित कर रहा है। चाहे वह हमारी लाइफस्टाइल ही क्यों न हो इसका भी प्रभाव पृथ्वी पर पड़ रहा है।
जागरूक होने की जरूरत
उन्होंने कहा कि अगर हम चाहें तो इस संकट से पृथ्वी को उभार सकते हैं। हर व्यक्ति जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ सकता है। लोगों को जागरूक होकर प्रयास करने की जरूरत है। प्रयास से इस बड़ी समस्या से निपटा जा सकता है। यही तो बुद्ध का मार्ग है। पीएम ने कहा कि अगर दुनिया को सुखी बनाना है तो हमें स्वयं से निकलकर संसार की संकुचित सोच को त्यागना होगा। समग्रता का ये बुद्ध मंत्र ही एकमात्र रास्ता है।
भारत सभी के साथ खड़ा
इस दौरान आपदाओं को लेकर भी पीएम मोदी ने बात की। उन्होंने कहा कि दुनिया के अलग-अलग देशों में शांति अभियान हों या तुर्किए में भूकंप जैसी आपदा हो। भारत अपना पूरा सामर्थ्य लगाकर हर संकट में सभी के साथ खड़ा होता है। बुद्ध का मार्ग है- परियक्ति, पटिपत्ति और पटिवेध यानी पिछले 9 वर्षों में भारत इन तीनों ही बिन्दुओं पर तेजी से आगे बढ़ा है। उन्होंने कहा कि बुद्ध व्यक्ति से आगे बढ़ कर एक बोध हैं, बुद्ध स्वरूप से आगे बढ़कर एक सोच हैं, बुद्ध चित्रण से आगे बढ़कर एक चेतना हैं और बुद्ध की ये चेतना चिरंतर है। यह सोच शाश्वत है, ये बोध अविस्मरणीय है। इसलिए आज अलग-अलग देशों से, भौगोलिक-सांस्कृतिक परिवेश से लोग यहां एक साथ उपस्थित हैं। पीएम ने कहा कि यही भगवान बुद्ध का वो विस्तार है जो पूरी मानवता को एक सूत्र में जोड़ता है।
30 देशों के 171 प्रतिनिधि शामिल
इस दो-दिवसीय वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का विषय “समकालीन चुनौतियों के प्रति प्रतिक्रिया : दर्शन से अभ्यास तक” है। इस शिखर सम्मेलन में लगभग 30 देशों के लगभग 171 प्रतिनिधि और भारतीय बौद्ध संगठनों के 150 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। दुनिया भर के प्रतिष्ठित विद्वान, संघ के नेता और धर्म के अनुयायी भी इसमें भाग लिया।