जन अपेक्षाएं और आवश्यकतायें सागर सी थी, लेकिन राहत बूंद भर भी नहीं, महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही जनता बजट से निराश
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
रायपुर 01 फरवरी 2023। केंद्रीय बजट 2023 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि आज प्रस्तुत किए गए बजट में ना महंगाई नियंत्रण का कोई प्रावधान है और ना ही रोजगार का कोई रोड मैप। ना किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी का प्रावधान है, ना ही स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश के आधार पर C-2 फार्मूले पर 50 प्रतिशत के लाभ। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार देने वाली महत्वपूर्ण योजना मनरेगा पर न बात, न खाद सब्सिडी, न खाद्य सब्सिडी मोदी सरकार के इस आखिरी पूर्णकालिक बजट में ना 2014 के घोषणापत्र का रोडमैप दिखा और ना ही 2019 के वादों पर कोई प्रावधान किए। 2 करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष देने का वादा युवाओं से किया गया था 9 साल में 18 करोड़ रोजगार मिलने थे जिसके बारे में कोई बात नहीं, अब केवल 47 लाख युवाओं को 3 साल के लिए भत्ता देने का झांसा दे रहे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि दुनियां के सबसे बड़े उपक्रम “रेलवे“ में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी मोदी सरकार की जिम्मेदारी से भागने का प्रमाण है। एक तरफ ऑटोमोबाइल खिलौने और साइकिल में कस्टम ड्यूटी घटाने की बात कही जा रही है वहीं दूसरी ओर रसोई गैस की चिमनी पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा रहे मोदी सरकार की प्राथमिकता में न किसान हैं, ना रोजगार है और ना ही महंगाई से जूझ रही महिलाओं की समस्या।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि मोदी सरकार के प्राथमिकता में आम जनता का हित नहीं 2014 से आज तक 9 साल में पहली बार इनकम टैक्स का बेसिक एक्सेंप्शन लिमिट बढ़ाया गया वह भी केवल 50,000 जो ऊंट के मुंह में जीरा है महंगाई 4 गुनी बड़ी है लेकिन राहत मात्र 20 प्रतिशत। न 80-C की लिमिट बढ़ाया और न ही मेडिकल इंश्योरेंस पर छूट की सीमा, न हीं हाउस लोन पर भरे जाने वाले ब्याज पर छूट की सीमा बढ़ाई। बुजुर्गों और महिलाओं को जमा पर मिलने वाले ब्याज के साथ ही सुकन्या समृद्धि योजना की ब्याज दर लगातार कम हुई है इस पर कोई बात नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि एमएसएमई को सपोर्ट के नाम पर फिर से जुमलेबाजी जबकि हकीकत यह है कि 90 परसेंट एमएसएमई 1 साल से अधिक सरवाइव नहीं कर पा रहे हैं। हमारी अर्थव्यवस्था में 90 प्रतिशत से अधिक रोजगार असंगठित क्षेत्र में जनरेट होते हैं, कृषि, रियल स्टेट और कपड़ा जैसे महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर प्रदान करने वाले सेक्टर के लिए कुछ नहीं। उज्जवला योजना के नाम पर पीठ था पाने वाले इस बात पर मौन है कि महंगाई की मार से उज्जवला योजना के कितने हितग्राही गैस की रिफिल करा पा रहे हैं? कुल मिलाकर आज का बजट देश की आम जनता और सर्वहारा वर्ग के लिए घोर निराशा का बजट है। आवश्यकता और अपेक्षाएं सागर सी थी पर राहत बूंद भर का नहीं।
ना रोजगार का रोडमैप, ना महंगाई नियंत्रण पर बात, न एमएसपी की गारंटी, जन अपेक्षाओं से कोसों दूर
केंद्रीय बजट 2023 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के आखिरी बजट में भी बुनियादी सवालों और आम जनता की जरूरतों को पुनः नजरअंदाज कर दिया है। वित्त मंत्री के डेढ़ घंटे के बजट भाषण में रोजगार की आस लगाए युवाओं को केवल स्किल डेवलपमेंट का झुनझुना मिला। देश के किसान से 2022 तक आय दुगुनी करने का वादा था, स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू करने का वादा था, पूर्व में एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का आश्वासन भी दिए लेकिन बजट में उस पर कोई प्रावधान नहीं है। मिलेट मिशन छत्तीसगढ़ मॉडल का ही प्रभाव है। भूपेश सरकार कोदो कूटकी रागी पहले ही समर्थन मूल्य पर खरीद रही है और 10000 प्रति एकड़ की दर से राजीव गांधी किसान न्याय योजना की राशि दे रही है। केवल डिजिटल ट्रेनिंग देकर किसानों का भला करने का दावा भी जुमला है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना में पिछले बजट में 8270 करोड़ का प्रावधान था जिसे घटाकर 3365 करोड़ कर दिया गया है। सीमा अवसंरचना एवं प्रबंधन के मध्य में पिछले बजट में 3739 करोड़ का प्रावधान था जो अब घटकर 3545 करोड़ रह गया है। सड़क सुरक्षा कार्य (लेवल क्रॉसिंग) के लिए पिछले बजट में 750 करोड़ का प्रावधान था जो इस बार घटाकर मात्र सात सौ करोड़ कर दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि 9 करोड़ 60 लाख उज्ज्वला हितग्राही होने का दावा कर अपनी पीठ थपथपाने से पहले यह देखना चाहिए की केंद्रीय आंकड़ों में ही 90 परसेंटेज हितग्राही सिलेंडर दोबारा रिफिल कराने की स्थिति में नहीं है। बजट में एलपीजी सब्सिडी पर कोई बात नहीं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि देश पर 11 लाख 80 हजार करोड़ का अतिरिक्त कर्ज बढ़ाने और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी के नाम पर रेलवे को बेचने के बावजूद राजकोषीय घाटा 5.9 प्रतिशत है। आय का लगभग एक चौथाई हिस्सा कर्ज के रूप में अर्थात देश के संसाधन, देश के उपक्रमों को बेचने के बाद भी अतिरिक्त कर्ज का बोझ पढ़ाया जा रहा है।