लम्होटा धुरकुटा (डिंडोरी) मध्य प्रदेश के आदिवासियों की दुर्दशा शिवराज सिंह सरकार के बड़बोले मुंह पर करारा तमाचा है: हरिद्वार सिंह

Chhattisgarh Reporter
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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर

डिंडोरी ( मध्यप्रदेश) 13 दिसंबर 2022। 12 दिसंबर को मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले के लम्होटा धुरकुटा गांव में करीब 500 आदिवासियों की एक बैठक महेंद्र सिंह परस्ते की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में मुख्य वक्ता मजदूर नेता कामरेड हरिद्वार सिंह जी ने अपने उद्बोधन में कहा के 26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू हो गया ।आजादी के पहले राजा का बेटा ही राजा होता था, किंतु इंसानियत का पवित्र ग्रंथ संविधान ने आम जनता को चाहे राजा हो या रंक गोरा या काला हो सरकार चलाने की कुर्सी पर बैठने का अवसर दिया है। अब इस देश का एक-एक नागरिक को समान अधिकार है ऐसी परिस्थिति में आज भी वर्ण व्यवस्था के आधार पर दलित ,आदिवासियों को जो लोग अपने पैर की जूती समझते हैं ,वैसे अज्ञानी लोग ही संविधान विरोधी हैं समाज विरोधी हैं और राष्ट्र विरोधी हैं ।आमसभा को संबोधित करते हुए कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहा मध्य प्रदेश की सरकार वन अधिकार कानून 2005 को लागू करते हुए आदिवासियों को 10 एकड़ तक का पट्टा देने का दावा करती हैं उपस्थित सभा में 500 लोगों ने हाथ उठाकर कहा कि किसी एक भी आदिवासी को पट्टा नहीं मिला है। आदिवासियों के तन पर वस्त्र नहीं है, उनको देखने से लगता है आदिमकाल के आदिवासियों में और इन लोगों में कोई बहुत बड़ा बुनियादी फर्क नहीं है ।आज भी बहुत सारे गांव में बिजली नहीं है ,जिस सूचना संचार के क्रांति का हम दावा ठोकते हैं 50 किलोमीटर में किसी भी मोबाइल का नेटवर्क नहीं काम करता है ।विधवा पेंशन ,वृद्धा पेंशन पात्र हितग्राहियों को भी नहीं मिलता है और यहां तक की सस्ते राशन की दुकान में ताला लगे रहते हैं । बड़ी-बड़ी कंपनियां डिंडोरी जिले में आ रही हैं किंतु पेसा कानून का दूर-दूर तक पर पालन नहीं दिखता है ।

पूरे देश में 8 करोड़ से अधिक आदिवासी हैं सबसे ज्यादा एक करोड़ 54 लाख आदिवासी मध्यप्रदेश में हैं ।क्षेत्र के विधायक कांग्रेस पार्टी के हैं आदिवासी हैं किंतु जनता जब उनसे संपर्क करती है तो वह कहते हैं हमारी सरकार नहीं है इसे खराब हालत किसी इलाके की क्या हो सकती हैं कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहा कि उन इलाके में घने जंगलों को एवं खूबसूरत पहाड़ियों को देख कर ऐसा लगता है की जंगलों की रक्षा आदिवासियों ने की है मध्य प्रदेश सरकार के विकास के दावे से डिंडोरी जिले के आदिवासी कोसों दूर है अपने ज्वलंत समस्याओं को लेकर महेंद्र सिंह परस्ते के नेतृत्व में सैकड़ों आदिवासी कलेक्टर कार्यालय डिंडोरी के समक्ष धरना कर रहे थे रात के 12 बजे पंडाल को उखवाकर करके डिंडोरी की पुलिस ने बहादुरी का मेडल जीतने का काम किया है। आजादि के बाद सत्ता का नशा केवल कमजोर समझ कर पूंजीपतियों के अंदर या भाजपाइयों के अंदर ही नहीं दिखी ।बल्कि पुलिस के अंदर भी वही नशा दिखा ।वामपंथी नेता एवं एटक मध्यप्रदेश के अध्यक्ष कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहां की जबरदस्त जन आंदोलन की जरूरत है। आदिवासियों को जागरूक करने की जरूरत है ।तभी लुटेरों को सबक सीखाया जा सकता है ।जो आदिवासी संविधान के पांचवी अनुसूची एवं छठवीं अनुसूची में डिंडोरी जिले को शामिल करने की लड़ाई शुरू करते हैं उनको प्रशासन नक्सलाइट्स घोषित करती है । पूरी तरह से गरीब जनता को डराने और धमकाने का सुनियोजित कार्यक्रम चल रहा है वह है डिंडोरी जिले का वह अति पिछड़ा इलाका । प्रधानमंत्री आवास योजना में भारी भ्रष्टाचार है, अस्पताल के नाम पर कुछ असहाय मकान दिखे ,रात में गंभीर बीमारी की हालत में मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। नदी है नाले हैं किंतु किसानों के खेतों को सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है जंगल का लकड़ी बिन कर छोटे-मोटे रोजी रोजगार कर वहां के आदिवासी जिंदा हैं किंतु विकास के मुख्यधारा में आने के लिए उन्हें कम से कम 100 साल इंतजार करना पड़ेगा। सरकारी स्कूलों की हालत जर्जर है आखिर कैसे इन आदिवासियों का विकास होगा को संबोधित करते हुए आदिवासी नेता कामरेड समर सिंह ने कहा संगठित होकर संघर्ष करने से ही सारे समस्याओं का समाधान होगा हमारे बीच के ही दलाल सत्ता एवं प्रशासन से मिलकर आदिवासियों के एकता को कमजोर कर रहे हैं।

आम सभा को पीतांबर खैरवार( खबर पानी) ने संबोधित करते हुए 1980 से अभी तक आदिवासियों के लिए बने कानून एवं उसके परिपालन में शासन की लापरवाही को उजागर किया। सभा को पूर्व सरपंच बलदेव सिंह मरावी एवं बलवंत राय गंडाले ने भी संबोधित किया। सरपंच रामकुमार बिंदिया ने भी सभा को संबोधित किया कई और जागरूक आदिवासी नेताओं जैसे महेश विटिया ,बुद्ध सिंह मरकाम ,घनश्याम सिंह चंद्र निया , मानसिंह बुदिया ,जगन लाल सुरेश्वर आदि ने भी सभा को संबोधित किया। सभा में बहुत बड़ी संख्या में महिलाएं भी उपस्थित थीं सर्वसम्मति से महेंद्र सिंह परस्ते ने प्रस्ताव रखा कि जनवरी महीने में विशाल सभा करेंगे सरकार और प्रशासन से सवाल पूछेंगे और आदिवासियों के विकास के नाम पर लूट का हिसाब मांगेंगे । 500 उपस्थित आदिवासियों ने दोनों हाथ उठाकर महेंद्र सिंह परस्ते के प्रस्ताव का तालियों की गड़गड़ाहट से समर्थन किया । लड़ेंगे हम जीतेंगे गगनभेदी नारों के साथ सभा समाप्त हुई।

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